आज से बहुत समय पहले की बात है , श्री कृष्ण की जन्मस्थली कहे जाने वाले मथुरा के पास सुरेश नाम का वृद्ध व्यक्ति रहा करता था , सुरेश श्री कृष्ण और राधा रानी का असीम भक्त था। सुरेश कृष्ण और राधा रानी को अपने परिहार का सदस्य मानता था , सुरेश की आस्था के चर्चे आस पास पूरे ब्रज क्षेत्र मैं फैले हुए थे।
सुरेश बड़े ही पवन भाव से राधा व कृष्ण जी की पूजा पाठ किया करता , उसके घर में जब भी भोजन बनता तो वह पहले राधा रानी और कृष्ण को भोग लगाया करता बाद में खुद उसका सेवा किया करता। उसमे भी राधा रानी को सुरेश अपनी पुत्री मान कर उनकी पूजा पाठ किया करता ,ऐसी भक्ति को देख कुछ लोग तो उसे मानसिक रूप से अस्वथ भी कहने लगे थे , परन्तु सुरेश को किसी की किसी बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था।
एक दिन सुरेश किसी निजी कार्य हेतु पास के ही एक गांव कोस में जाना था। उस समय सफर के लिए इतने साधनो की उपलबधता नहीं थी।
जिसके कारन सुरेश को पैदल ही जाना पड़ा , पूरे दिन वह कार्य हेतु इधर उधर घूमता रहा।
शाम का समय हो चुका था पैदल घूम घूम कर सुरेश पूर्ण रूप से थक चुका था , सुरेश को बहुत प्यास लगी हुई थी परन्तु उसे बीच मार्ग में कही पानी नहीं मिला धीरे धीरे सुरेश का हाल बेहाल हो चुका था।
पैदल ही पानी की खोज में सुरेश नंदगांव जा पहुंचा जहाँ उसने देखा कुछ किशोरिया कुँए से पानी भर रही है , सुरेश ने उनके पास जाकर कहा बेटी में बहुत प्यासा हु क्या तुम मुझे पानी पीला सकती हो , उनमे से एक कन्या ने उत्तर दिया जी रुकिए में अभी आपको पानी पिलाती हूँ।
वह कन्या कुँए से पानी खींचने लगी तभी सुरेश ने उस कन्या से पुछा की यह कोण सा गांव है , कन्या बोली काका यह नंदगांव है , सुरेश ने तुरंत कहा नहीं मैं तुम्हारे यहाँ पानी नहीं पी सकता।
कन्या ने पुछा क्यों काका कोई बात है क्या , सुरेश बोला हाँ यह तो हमारी राधा रानी का ससुराल है और बेटी के ससुराल का पीना तो पाप का भागी होने योग्य है और मैं यह पाप नहीं कर सकता। सुरेश के मुख से यह बात सुन वहाँ उपस्थित सभी किशोरियां सुरेश की भक्ति देख हैरत मे पड़ गयी।
सुरेश वहाँ से आगे निकल आया प्यास के कारण उसे चक्कर आने लगे थे आँखों के आगे सभी धुंदला सा होता जा रहा था। पानी की खोज में पैदल चलते चलते सुरेश नंदगांव से भी बहुत दूर निकल आया था , और एक समय ऐसा आया की सुरेश प्यास के कारन ज़मीन पर गिर गया , वह बस बेहोश होने वाला था।
परन्तु फिर जो हुआ उसे देखने व सुनने वाला सभी हैरानी मे पड़ गए पास से ही एक छोटी कन्या दौड़ती हुई सुरेश की तरफ आयी और सुरेश के पास आकर बोली बाबा यह लो पानी पीलो आप बहुत प्यासे हो , सुरेश ने बालिका से कहा की नहीं बीटा यह नंदगांव है और मैं यहाँ का पानी नहीं पी सकता।
बालिका ने उत्तर दिया की नहीं बाबा यह नीम गांव है नंदगांव तो कबका निकल गया इतना बोल बालिका ने सुरेश को पानी पिलाया , सुरेश ने बाद में उस बालिका से उसका नाम पुछा बालिका ने बताया की मेरा नाम राधा ही और इतना कह कर बालिका वहाँ से ग़ायब हो गई सुरेश आश्चर्य में था , उसने राधा रानी की जय बोल कर उन्हें धन्यवाद किया।
यह बात जिसको पता चली सभी हैरानी में थे की भक्त की भक्ति के आगे विवश होकर राधा रानी को भी बालिका के रूप में स्वयं आना ही पड़ा।