गांव में गरीब किसान रहा करता था जिसका नाम था साधु , साधु अपने खेत में दिन रात मेहनत करता परंतु मेहनत अनुसार उसे उसका फल कभी नहीं मिलता था। कभी बारिश ना होने के कारण कभी धूप तेज होने के कारण कभी कोई परेशानी हो जाने के कारण उसको उसकी फसल का सही मूल्य नहीं मिल पाता था। एक बार गांव में बिल्कुल भी बारिश ना हुई। सूखा पड़ने के कारण खेत में फसल हुई नहीं थी जिससे परेशान होकर साधु है। आत्महत्या करने का निर्णय लिया । अगले दिन जब साधु अपने खेत पर पहुंचा तो उसने देखा कि उसने देखा कि खेत के बीचो-बीच कोई चीज पड़ी हुई है जिस पर सूर्य का प्रकाश पड़ रहा है और वह बहुत चमक रही है। वह खेत में बीच गया तो उसने देखा एक बहुत छोटा सा शिवलिंग वहां पर पड़ा हुआ था।
उसे समझ ना आया कि यह शिवलिंग यहां कैसे आया। उसने उस शिवलिंग को बड़े आदर के साथ उठाया और खेत के पास ही एक पेड़ के नीचे रख दिया। वह शिवलिंग बहुत गंदा हो रहा था तो पास ही से एक पात्र में जल लाया और उस शिवलिंग को स्नान कराने लगा। स्नान कराते समय संयोग मात्र से शिव लिंग से पानी उसकी खेत में चला गया। कुछ देर बाद वहां से साधु अपने घर चला गया। यह सोच कर कि धूप बहुत है और मैं इस धूप में कार्य नहीं कर सकता। सारा दिन घर पर भी सोचता रहा कि मैं ऐसा क्या करूं कि मेरे खेत में फसल हो जाए और अगर कुछ नहीं हुआ तो जो पैसा ब्याज पर लिया है वह मैं कैसे लौट आऊंगा?
परंतु जब उसे कोई उपाय नहीं मिला तो उसने हाथ जोड़े पर शिवजी को याद कर कहा हे महादेव, अब आप ही कोई रास्ता दिखाओ। अन्यथा मेरे पास एक ही उपाय है कि मैं आत्महत्या कर हर चीज से दूर हो जाऊं l यह सब सोचते सोचते साधु बिना कुछ खाए पिए सो गया। जब वे सुबह उठा तो उसने देखा कि गांव में बहुत तेज वर्षा हुई है। वह भागा भागा अपने खेत की ओर गया कि खेत में कहीं जल तो नहीं भर गया। अगर ज्यादा जल भर गया। तुम्हें जो मैंने बीज खेत में डाले हैं वह सब खराब हो जाएंगे। परंतु जब वह खेत पहुंचा तो उसने देखा कि बीज अंकुरित हो चुके हैं और उनमें छोटे-छोटे पौधे निकल आए हैं।
यह देख साधु की खुशी का ठिकाना ना रहा l परन्तु उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि 1 दिन में इतना सब कैसे हो गया तब उसकी नजर उस शिवलिंग पर पड़ी जिसकी स्थापना साधु ने पेड़ के नीचे की थी। उस शिवलिंग से अभी बूंद-बूंद जल साधु के खेत में बहता हुआ आ रहा था। साधु को ज्ञात हुआ कि यह कुछ और नहीं यह महादेव की महिमा है जिसने मेरे सारे संकट दूर किए हैं और मैं कितना मूर्ख था। मैं आत्महत्या करने की कोशिश कर रहा था।
साधु शिवलिंग के पास गया उस पर जल डालकर उसको फिर से स्नान कराया और शिव जी से माफी मांग कर कहा कि प्रभु आप मेरे साथ हैं और मैं इतना अंधा हो चुका था कि आत्महत्या करने चला था। प्रभु मुझे क्षमा कर दें। प्रकार महादेव ने खुद शिवलिंग के रूप में प्रकट होकर अपने भक्तों के सारे संकट दूर किए और आत्महत्या करने से रोका।