हैलो दोस्तों आपका हमारे यूट्यूब चैनल में बहुत-बहुत स्वागत है। कहते हैं कि, जिसका कोई नही होता उसके स्वयं भगवान होते हैं। यही बात सिद्ध करने के लिए हनुमान जी स्वयं धरती पर आए। हनुमान जी को कलयुग का भगवान कहा गया। शायद वो इसलिए कहा गया, क्योंकि इंसानियत मर सकती है, लेकिन भगवान की भक्ति हमेशा इंसान के दिल में रहती है। ऐसा ही कुछ दिल्ली के रहने पुष्कर के साथ हुआ। पुष्कर कोविड जैसी खतरनाक बीमारी का शिकार हो गए थे। वह पटेल नगर में छोटे से घर में अपने परिवार के साथ रह रहे थे। जिसमें उनकी एक 5 साल की बेटी और पत्नी रहते थे। पुष्कर शुरु से ही आस्थमा के पेशेंट थे। अब इस बीमारी की चपेट में आने से वह खुद को बचा नहीं पाए। यह घटना उस समय की है जब दिल्ली में कोविड ग्रस्त लोगों की संख्या लाखों में बढ़ती जा रही थी व मरने वाली की संख्या हजारों में बढ़ती जा रही थी। ऐसे में आर्थिक तंगी होने की वजह से पुष्कर का परिवार बिखर गया था। पुष्कर शुरू से ही हनुमान जी का परम भक्त था और उसपर हनुमान जी की असीम कृपा थी, लेकिन कलयुग के लोगों में उसके लिए दया भाव नहीं था। जी हां, एक दिन पुष्कर की हालत बद से बदत्तर हो गई उनकी पत्नी अपनी बेटी को रिश्तेदारों के यहां छोड़कर अपने पति को सफरदजंग अस्पताल ले गई वहां पर ऑक्सीजन की किल्लत होने की वजह से भर्ती नहीं किया गया। फिर वह दीनदयाल उपाध्याय में अपने पति को लेकर पहुंची तो वहां भी उन्हें इसी समस्या का सामना करना पड़ा। फिर वह प्राइवेट अस्पताल में ले गई। वहां पर उनसे लाखों पैसे मांग लिया गए। जिसको देने में वो आसमर्थ थी। वह कई सरकारी और प्राइवेट अस्पताल में अपने पति को लेकर घूमती रही। आखिर में उनका पति बीच सड़क पर सांस लेने में दिक्कत होने की वजह से गिर गया और उसका यह हालत देख उनकी पत्नी ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी। पुष्कर ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी पत्नी से कहा कि, हनुमान जी से प्रार्थना करो। अब मुझे वहीं बचाएंगें। उनकी पत्नी हाथ जोड़कर बीच सड़क में हनुमान जी से विनती करने लगी। तभी एक लंबा-चौड़ा आदमी भीड़ में निकलकर आया और मेरे पति को सफरदजंग अस्पताल में भर्ती करवाया। इतना ही नहीं, उसने मुझे कुछ पैसे भी दिए ताकि मैं उनकी दवाईयां कर सकूं। जैसे ही मेरे पति को उपचार मिलने लगा और उनकी हालत में सुधार आने लगा तो मैं उस आदमी का धन्यवाद करने पहुंची तो मैंने देखा कि, वह व्यक्ति जा रहा था, लेकिन जाते जाते हनुमान जी के सिंदूर वाले पैरों की छाप वह छोड़ता जा रहा था। पहले तो मुझे यह भ्रम लगा, लेकिन बाद में मुझे पीछे से उनका रूप हनुमान वाला दिखा। यह देखकर मुझे एक बात पर तो यकीन हो गया कि, इंसानियत ना सही, लेकिन विश्वास आज भी जिंदा है। यदि आज मेरे और मेरे पति के अंदर भगवान को लेकर यकीन नहीं होता तो आज मेरे पति जिंदा नहीं होते। इसलिए जबसे लेकर आजतक हम कोई भी इंसान परेशानी में होता है तो उसकी मदद करने के लिए हम पीछे नहीं हटते। यह सबक सिखाने के लिए हनुमान जी खुद हमारे पास आए थे।
कोरोनकाल में बीच सड़क पर रोती महिला को हनुमान जी ने दिया सहारा, सरेआम दिखाया अद्भूत चमत्कार
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