बिहार के दरभंगा नामक जिले में कुछ ही दिन पहले ऐसी घटना घटित हुई जिसे देख कर वह सभी मौजूद लोग दंग रह गए।
जहाँ एक अनन्य महिला शिव भक्त को मंदिर में जाने से रोका गया , और फिर भी जब महिला ने अंदर जाने का प्रयास किया तब वहाँ मौजूद लोगो ने उसे मारा पीटा उस समय कुछ ऐसा हुआ जिसे देख सभी के होश उड़ गए।
दरभंगा में सुमित्रा नाम की अनन्य शिव भक्त रहा करती है , बचपन से ही वह महादेव की भक्ति में लीन रहा करती थी , नियमबद्ध रूप से मंदिर जाकर महादेव की पूजा किया करती व साथ ही सोमवार और सावन माह का व्रत भी किया करती।
सुमित्रा का विवाह दरभंगा में ही छोटी उम्र में हो गया था , परन्तु विवाह के बाद भी सुमित्रा की आस्था में किसी प्रकार की कोई कमी ना आयी थी।
स्वयं या उनके परिवार पर जब भी किसी प्रकार कोई संकट आता तो वह सिर्फ महादेव को याद किया करती।
जब कुछ सुखद व्यतीत हो रहा था, परन्तु वह जीवन में एक समस्या के कारन से सदैव चिंता में रहा करती थी।
विवाह के इतने सालो के बाद भी उन्हें संतान प्राप्ति नहीं हो रही थी। सुमित्रा व उनके पति रवि ने कई डॉक्टरों से परामर्श किया मंदिरो में मन्नत भी मांगी पर किसी का कोई असर नहीं हुआ। एक समय तो ऐसा आया की सुमित्रा और रवि ने संतान प्राप्ति की आस ही छोड़ दी , दोनों मान चुके थे की ये सुख हमारे जीवन में है ही नहीं। फिर भी सुमित्रा के मैं में ऐसा विश्वास बचा हुआ था की महादेव ने जीवनकी हर समस्या में उसका साथ दिया है और महादेव अब भी साथ अवश्य देंगे।
हाल ही में जब सावन माह प्रारम्भ होने वाला था तो सुमित्रा ने प्रण लिया की , इस सावन माह महादेव को प्रसन्न करने हेतु रोज़ सुबह शहर से 25 किलोमीटर दूर नंगे पैर पैदल चलकर जाएगी और महादेव को जल अर्पित करेगी।
सावन माह प्राम्भ हो चुका था और सुमित्रा सुबह 3 बजे उठकर स्नान आदि कर मंदिर के लिए निकल गयी , कई गान्तो की पैदल यात्रा के बाद वह मंदिर जा पहुंची वहाँ सुमित्रा ने महादेव की सच्चे मन से पूजा अर्चना की ।
वह रोज़ घर में बिना किसी को बताये अपने नियम अनुसार सुबह 3 बजे मंदिर के लिए निकल जाया करती , नंगे पैर इतना चलने के कारन उसके पैर छिल चुके थे ,एक दिन तो मार्ग में पड़ा हुआ कांच तक सुमित्रा के पैर में घुस गया परन्तु मार्ग की कोई ऐसी बाधा नहीं थोई जो सुमित्रा की आस्था को हिला सके।
सुमित्रा का महादेव पर ऐसा विश्वास था की वह उसके सतह है और एक दिन महादेव उसकी मनोकामना अस्वश्य ही पूर्ण करेंगे।
काफी दिन ऐसा ही चलता रहा , एक दिन सुमित्रा के पति रवि ने उससे पूछा की तुम रोज़ इतने भोर में कहा जाती हो परन्तु सुमित्रा ने उसे भी कुछ नहीं बताया और सारी बातों को हस कर हवा में उड़ा दिया।
सावन के कुछ 10 दिन गुज़र गए थे और सुमित्रा घर से मंदिर की ओर प्रस्थान कर चुकी थी , सुमित्रा ”ॐ नमश शिवाय ” का जाप करते हुए मंदिर जा पहुंची।
और सुमित्रा ने जैसे ही मंदिर में प्रवेश करने लगी तभी द्वार पर खड़े दो लोगो ने उसे रोक लिया और मंदिर से धक्के देकर बाहर निकाल दिया ,सुमित्रा ने उसे अंदर ना जाने देने का कारन पुछा तो द्वार पर खड़े लोगो ने उत्तर दिया की आज इस मंदिर में दरभंगा के सबसे बड़े राजनेता आये हुए है तो आज मंदिर में किसी का भी प्रवेश वर्जित है।
सुमित्रा ने बहुत आग्रह किया परन्तु उसकी किसी ने एक ना सुनी और उसे मंदिर में नहीं जाने दिया , सुमित्रा ने यह तक बताया की यदि सूर्योदय से पहले उसने शिवलिंग अभिषेक नहीं कराया तो उसकी मन्नत टूट जाएगी परन्तु द्वार पर खड़े लोगो ने सुमित्रा को अंदर जाने नहीं दिया और साथ ही सुमित्रा को मारा पीटा जिसके कारण सुमित्रा के सर में चोट भी आगयी।
फिर उसके बाद जो हुआ वो किसी चमत्कार से काम ना था , मंदिर के अंदर राजनेता जैसे ही शिवलिंग पर जल चढ़ाने लगा जल की धार नीचे सीधी गिरते गिरते टेढ़ी हो गयी एक बूँद भी शिवलिंग पर नहीं गिरी , ये देख मंदिर में उपस्थित लोग व पुजारी सभी आश्चर्य में रह गए। किसी ने आज से पहले ऐसा दृश्य देखा न था।
राजनेता को ऐसा होता देख बेहद अपमानित महसूस होने लगा तभी उसने थोड़ा जल अपने हाथ में लेकर शिवलिंग पर हाथ से डालने का प्रयास किया और शिवलिंग को छूते ही उसका हाथ कुछ यूँ अकड़ गया जैसे की लकवा मार गया हो सभी बहुत डर गए और सभी भाग कर नेता को सँभालने लगे , द्वार पर खड़े लोग भी नेता की ओर भागे मंदिर का द्वार खाली पाते ही , सुमित्रा ने मंदिर में प्रवेश कर लिया।
और जब सबका ध्यान राजनेता की ओर था तब सुमित्रा ने अपनी पूजा व् आराधना प्रारम्भ कर दी। सुमित्रा अपने हाथो से जल अभिषेक कर रही थी तब शिवलिंग से विशेष तेज की उत्पत्ति होने लगी जिसे देख राजनेता उसके लोगो सहित पुजारी भी दंग रह गए सभी की समज आ गया , राजनेता के आदेश था की किसी को मंदिर में आने मत देना और इस कारन से सुमित्रा के साथ जो दुर्व्यवहार किया गया उससे महादेव क्रोधित हो गए इसी कारण से राजनेता के शिवलिंग छूने मात्र से उन्हें लकवा मार गए सभी ने महादेव और सुमित्रा से माफ़ी मांगी।
पूरे शहर में ये बात आग की तरह फ़ैल गयी अब जहाँ देखो वहाँ सुमित्रा की आस्था और निष्ठाभाव के चर्चे हो रहे थे , परन्तु सुमित्रा के मन में ऐसे बातो से तनिक अभिमान ना आया था , वह निरंतर महादेव की पूजा अर्चना करती रही और महादेव उस पर प्रसन्न हुए जिसके कारणवश उसे कुछ समय बाद गर्भवती होने का सुख भी प्राप्त हुआ
”प्रत्यक्ष को प्रमाण की कोई आवश्यकता नहीं है” इसका उदहारण दिया हमें सुमित्रा ने , की महादेव के प्रति सच्ची आस्था व निष्ठा भाव हो तो जीवन का कोई संकट पल भर नहीं टिक पता।