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    Home » नागपंचमी पर इच्छाधारी नागिन ने धारण किया विकराल रूप, आंखों से खून निकालकर की महादेव से बगावत
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    नागपंचमी पर इच्छाधारी नागिन ने धारण किया विकराल रूप, आंखों से खून निकालकर की महादेव से बगावत

    rootBy rootJuly 26, 2023Updated:July 26, 2023
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    हेलो दोस्तों आपका हमारे यूट्यूब चैनल पर स्वागत है। आज हम महादेव भक्तों के लिए एक ऐसी वीडियो लाए है, जिसे देखकर वह हैरान रह जाएंगें, जी हां, यह तो आप सभी जानते होंगे कि, महादेव को नाग कितने प्रिय है। इसी वजह से वह उनको आभूषण की तरह अपने गले में हमेशा सजाए रखते हैं। इसी के साथ महादेव को सावन की नागपंचमी भी बेहद प्रिय है। ऐसे में इस पावन दिन पर यदि उनके नाग देवता ही उनसे नाराज़ हो जाए तो क्या परिस्थिति होगी। इसकी जानकारी आज हम आपको वीडियो के जरिए देगें।

    आपने अक्सर सुना या देखा होगा कि, नाग-नागिन का जोड़ा हमेशा एकसाथ रहता है। वह कोई भी काम एक-दूसरे के बिना नहीं करते। यहां तक की ज़मीन पर भी वह एकसाथ चलते हैं। इसके पीछे का कारण उनका प्रेम है, जी हां आपने फिल्मों और असल जिंदगी में भी देखा होगा कि, नाग-नागिन किस तरह एक-दूसरे की रक्षा करते है व एक-दूसरे के साथ किस तरह प्यार करते हैं। इसी तरह कि एक सच्ची कहानी हम आपके लिए लाएं है जोकि, एक इच्छाधारी नागिन की है। हिंदु धर्म में मान्यता है कि, यदि कोई भी इच्छाधारी नाग-नागिन के जोड़े को देख लेता है तो उसकी किस्मत चमक जाती है, लेकिन आज की इस सच्ची कहानी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि, किस तरह एक इच्छाधारी नागिन ने विकारल रूप धारण करके महादेव से बागवत की, जी हां, इस धरती पर प्यार की मिसाल बनने वाले इस इच्छाधारी नाग-नागिन के जोड़े के साथ नागपंचमी के दिन एक ऐसी अनहोनी हुई। जिसको पूरे गांव ने देखा।

    दरअसल, गहोर गांव में नागपंचमी वाले दिन दूर-दूर से लोग महादेव के मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। यहां तक की कई गांवों के नाग भी इस दिन यहां इक्ट्ठा होते हैं। इसी तरह यह इच्छाधारी नाग-नागिन का जोड़ा भी महादेव की कृपा पाने के लिए जंगल से मंदिर की ओर जा रहा था। यह जोड़ा हमेशा एकसाथ चलता था, लेकिन नाग तेज़ी से आगे बढ़ने लगा और नागिन धीरे-धीरे पीछे आ रही थी। नाग इतनी तेज़ी में जाने लगा कि, सड़क के बीच में पहुंच गया, जिस दौरान एक कार सड़क के बीच में से गुजर रही थी और वह नाग कार के नीचे आकर मर गया। यह देखकर नागिन गुस्से में आ गई। वह रो-रोकर अपना फन सड़क पर बुरी तरह से पटकने लगी। इतने में लोगों की भीड़ सड़क पर लग गई। उनमें से एक शख्स जिसे सांपों को पकड़ने का अनुभव है उसने नाग को सावधानी से उठाया और ज़मीन में दफनाने लगा। यह देखकर नागिन को क्रोध आया और उसने उस आदमी को डस लिया। जिसके बाद वहीं पर उसकी मौत हो गई। ऐसा करने के बाद वह नागिन अपने नाग को मुंह में दबाकर महादेव के मंदिर के अंदर ले गई और शिवलिंग के पास उसे रख दिया।

    इसके बाद उस इच्छाधारी नागिन ने अपना विशाल विकराल रूप दिखाया। उसका ऐसा रोद्र रूप देखकर गांव वासियों के पसीने छूटने लगे। फिर इच्छाधारी नागिन ने अपना रूप बदला और आधी नागिन और आधी औरत बन गई। धीरे-धीरे वह इतनी विशाल हो गई की, लोग उसे देख भी नहीं पा रहे थे। वह चिल्ला-चिल्लाकर शिवलिंग के आगे अपने नाग को वापिस मांगने बागवत कर रही थी। उसके आंसू खून के रूप में ज़मीन पर गिर रहे थे। ऐसा नज़ारा देखने के बाद गांव वासियों की रूह कांप गई। नागिन का ऐसा रोद्र रूप देखकर गांव वासियों को लगा कि, वह पूरे गांव को निगल जाएगी, लेकिन वह शांत नहीं हो रही थी। इसके बाद एक साधू विशाल रूप में वहां पर आया और नागिन से कहा कि, तुम इतनी बागवत क्यों कर रही हो, क्या तुम नहीं जानती तुम्हारे नाग ने किसी निर्दोष महिला की जान ली है। तुम्हें महादेव से ये शक्ति प्राप्त है कि, तुम दोनों ही सालभर में 3 बार ही इंसान का रूप धारण कर सकते हो, जिसमें तुम बुरे और अच्छे कर्म कर सकते हो, उस समय तुम्हारे नाग के पास खुद को अच्छा साबित करने का समय था, लेकिन उसने पहले महिला के साथ गलत किया और फिर उसकी जान लेकर भागने लगा। यह उसके कर्म है जोकि, उसको भुगतने है।

    इस धरती पर हर कोई अपना कर्म भुगता है फिर चाहे वह इंसान हो या जानवर। इस बात पर नागिन भड़क गई और कहने लगी कि, एक मौका तो मेरे नाग को दिया जा सकता है, वह भटक गया था, लेकिन आपने तो उसकी जान ही ले ली। यदि मेरा नाग आज के आज वापिस नहीं आया तो मैं इस पूरे गांव को खत्म कर दूंगी। यह बात सुनकर गांव वासी डर गए और साधू से विनती करने लगे कि, हे बाबा आप हम लोगों को बचा लो यहां हमारे छोट-छोटे बच्चे भी हैं। फिर साधू ने कहा, ठीक है बेटा महादेव इसको जीने का वरदान देंगे, लेकिन तुम दोनों से ही इच्छाधारी होने का गुण छीन लेंगे और तुम दोनों मिलकर इस गांव की रक्षा करोगे, ताकि यहां पर कभी भी कोई अनहोनी ना हो। इसपर नागिन ने कहा कि, ठीक है मुझे सिर्फ मेरा नाग चाहिए और वो आपको देना होगा, फिर वह साधू साधारण रूप धारण करके महादेव के आगे पूजा-पाठ करने लगा और मंत्रों का जप करते हुए नाग पर गंगा जल छिड़कने लगा। कुछ ही देर में उस नाग की पूंछ धीरे-धीरे हिलने लगी यह देखकर नागिन काफी खुश हुई, फिर जैसे ही मंत्र खत्म हुए तो वह नाग जिंदा हो गया।

    यह चमत्कार देखकर वहां के लोग डर गए। इसके बाद वह नागिन और नाग एक-दूसरे के गले लग गये। यह दृश्य देखने में काफी भावुक था,फिर साधू ने कहा कि, तुम्हारे मुताबिक मैंने अपना वादा पूरा किया अब तुम्हारा वादा तुम दोनों मिलकर पूरा करोगे। इस गांव की रखवाली तुम दोनों हमेशा ही करोगे। इस पर नाग-नागिन ने कहा कि, यह गांव नहीं आज से हमारा घर है, इसलिए हर मुसीबत आने पर हम लोग इस गांव की रक्षा करेगें। यह सुनकर साधू वापिस जंगल की ओर जाने लगा। इसके बाद जहां-जहां पर साधू के पैर पड़ रहे था वहां-वहां पर पैरों के निशान चिन्ह बनने लगे। यह चमत्कारी दृश्य देखने के बाद लोगों को यकीन होने लगा कि, यह कोई साधू नहीं बल्कि स्वयं महादेव थे। जिन्होंने नागिन के नाग को पुर्नजन्म दिया और हमारी जान बचाई। महादेव के पैरों के निशान मंदिर से लेकर सड़क के बीचों-बीच आज भी स्थित है, जब से ही लोगों की मान्यता है कि, इन चिन्हों पर ना तो कोई पैर रखता है और ना ही कोई इस पर कार चढ़ता है, यदि कोई ऐसा करता है तो उसको उसका दंड भुगतना पड़ता है। इसे चमत्कार कहे या फिर नागिन के सच्चे प्रेम की परीक्षा ये तो महादेव ही जानें। यदि आपको हमारी यह कहानी पसंद आई हो तो महादेव की कृपा पाने के लिए आप कमेंट बॉक्स में हर हर चमत्कारी महादेव जरूर लिखें।

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