उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर परिसर में एक ऐसी घटना हुई जिसे जिसने भी देखा वह हैरत में पड़ गया।
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यह घटना है मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर की जो की शिप्रा नदी के किनारे बसा हुआ है , यहाँ 12 वर्षो के अंतराल से सिंघस्थ कुम्भ का आयोजन किया जाता है। उज्जैन में 12 जोय्तिर्लिंगो में से एक महाकालेश्वर शिवलिंग स्थापित है। पुराणिक कथाओ के अनुसार माना जाता है की यहाँ शिवलिंग में स्वयं महादेव भू रूप में विराजमान है ,यहाँ का वातावरण चित को शांति प्रदान करने वाला है।
महाकालेश्वर मंदिर में कई वर्षो से एक महंत जी पूजा पाठ किया करते थे , लोग बताते है की इतने वर्षो से महादेव की सेवा करते हुए महंत जी का महादेव के साथ सभी से भिन्न एक रिश्ता बन गया है।
महंत जी पूरी आस्था निष्ठा के साथ महादेव की सेवा प्रत्येक दिन किया करते थे , लोग महादेव के प्रति महंत जी के भाव देख अचंभित रह जाया करते थे। और हाल ही में इसी क्रूर कोरोना काल में महंत जी का निधन भी हो गया। परन्तु महंत जी के निधन के बाद एक ऐसा रहस्य खुल कर सामने आया है जिसे देख सभी की आँखे फटी की फटी रह गयी।
आज से कुछ माह पूर्व महंत जी जब बीमारियों से जूझ रहे थे ,ऐसे कठिन समय में भी महंत जी महादेव का जा[प करना नहीं छोड़ा करते थे , एक रात जब महंत जी शयन अवस्था में थे तब उन्हें स्वप्न में महादेव ने दर्शन दिए परन्तु बिना कुछ बोले वह चले गए।
अगली सुबह महंत जी ने यह बात उन सभी को बतायी जो उस समय महंत जी की देख रेख में लगे हुए थे , सभी ने इस बात को साधारणस्वप्न बताकर महंत जी को सब कुछ भुलाने की सलाह दी। परन्तु महंत जी का घूड़ विश्वास था की यह कोई साधारण स्वप्न नहीं था।
अगली रात जब महंत जी फिर से शयन अवस्था में गए तब फिर स्वप्न में महादेव ने आकर दर्शन दिए , महंत जी ने फिर सभी को जब यह बात बताई फिर भी किसी ने उनकी बात पर किसी ने यकीन नहीं किया।
ये सिलसिला धीरे धीरे रोज़ का हो गया था जा भी महंत जी शयन अवस्था में जाते तब महादेव उनके स्वप्न में आया करते।
और एक दिन तो ऐसा आया जहाँ महादेव ने स्वप्न में आकर महंत जी से कहा की मैं मंदिर परिसर में ही दक्षिण दिशा में ज़मीन के नीचे कई वर्षो से दबा हुआ हूँ और मैं चाहता हूँ की आप मुझे बहार निकलवाए।
इतनी बात कहकर महादेव स्वपन से विलुप्त हो गए।
महंत जी की आँख खुल गयी उन्होंने तुरंत ही मंदिर के कुछ लोगो को बुलाया और सारी बात बताकर , दक्षिण दिशा से महादेव को बहार निकलने की बात कही , परन्तु वहाँ सभी ने उन्हें एक बीमार वृद्ध व्यक्ति समजकर किसी ने उनकी बात पर भरोसा नहीं किया।
लेकिन महंत जी का विश्वास अडिग था की मादेव ने आकर स्वप्न में यदि कुछ का है उसका अर्थ कुछ ना कुछ तो अवश्य है।
इसी कारणवश महंत जी ने मंदिर प्रशासन को सारी बात बताने का निर्णय लिया परन्तु जा तक वह किसी को यह बात बता पाते उससे पहले काल चक्र में उनका निधन हो गया।
महंत जी के निधन के साथ महादेव के मंदिर परिसर में दक्षिण दिशा में दबे होने की बात भी दब कर रह गयी।
परन्तु हाल ही में मंदिर प्रशसन द्वारा विस्तारीकरण का कार्य शुरू करवाया गया , तभी ऐसा चमत्कार हुआ जिसे देख सभी के होश उड़ गए। जैसे ही विस्तारीकरण कार्य हेतु मजदूरों ने मंदिर परिसर के दक्षिण दिशा में खुदाई का कार्य करना प्रारम्भ किया।
खुदाई के दौरान धरातल से कुछ 2 फुट नीचे ही मजदूरों को एक विशाल काले रंग का विशेष पत्थर दिखाई पड़ा सभी ने उसे बहार निकला तो ज्ञात हुआ की यह कोई साधारण पत्थर नहीं है , यह तो साक्षात् शिवलिंग है।
मंदिर परिसर से शिवलिंग मिलने की खबर पूरे उज्जैन में आ की तरह फ़ैल गयी , तुरंत ही वहाँ पुरातत्व विभाग का समूह भी पहुँच गया।
खुदाई फिर से शुरू की गई तब वहाँ से दसवीं शताब्दी के विष्णु बघवान की मूर्ति भी मिली। यह सब देख वहाँ मौजूद लोग आस्था से झूम ऊठे।
और तभी वहाँ उपस्तिथ लोगो में से किसी ने कुछ माह पूर्व महंत जी को आये स्वप्न के बारे में सभी को याद दिलाया। जिस जिस ने महंत जी को बातो को युहीं हवा में उड़ा दिया था उन सभी को अपने किये पर बहुत पछतावा हुआ , और साथ ही भक्तो ने महंत जी को याद कर उनको आस्था भाव को भी बहुत सराहा।
ज़मीन से खुदाई में मिली 10वीं शताब्दी की विष्णु भगवान् की चतुर्भुजी प्रतिमा स्थानक मुद्रा में है साथ ही 9वी शताब्दी के शिवलिंग की लम्बाई 5 है यह जितनी धरातल के ऊपर है उतनी ही ज़मीन के नीचे भी है।
आज के छल कपट से भरे हुए ज़माने के बीच महंत जी की प्रबल आस्था जिसके सामने प्रभु को भी स्वयं आना पड़ा उसे सभी ने शत शत नमन किया।
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