बिहार के एक गांव में छोटू नाम के व्यक्ति रहता था जो कि कुम्हार था। वह दिनभर मटके बनाते और खाली समय में हनुमान जी की भक्ति में लीन रहता। छोटू की आस्था कुछ इस प्रकार थी कि हनुमानजी हमेशा मेरे साथ है , मेरी संकट की घड़ी में कोई मेरा साथ दे ना दे हनुमान जी मेरा साथ अवश्य देगे l वह गांव के हर मंदिर में हनुमान जी की पूजा पाठ करता मंगलवार का व्रत रखता जब वह किसी परेशानी में होता तो
हनुमान जी की प्रतिमा के सामने बैठकर उनसे बात किया करता है कि जैसे हनुमान जी उसकी सारी बात सुन रहे हैं।
आसपास के लोग जब छोटू को प्रतिमा से बात करता हुआ देखते तो लोग उसे पागल कहने लगे थे परन्तु उसकी आस्था थी कि हनुमान जी उत्तर दे या न दें परन्तु मेरी बात सुन तो रहे है । एक दिन छोटू ने हनुमान जी की मिट्टी की प्रतिमा तैयार की और अपने घर के बाहर पेड़ के नीचे उसकी स्थापना की। वह बड़ी सेवा भाव से उसकी पूजा पाठ करता है। श्रंगार करता और रोज भोग लगाया करता था।जिस लकड़ी की झोपड़ी में छोटू मिट्टी के बर्तन बनाया करता था, एक दिन वहां पर आग लग गयी वह उस झोपडी में फंस गया छोटू ने बाहर निकलने का प्रयास किया परन्तु आग अधिक होने के कारण वह बाहर निकलने मे असमर्थ था तब छोटू ने हनुमान जी से प्राण रक्षा की गुहार लगायी।
आग के भय के कारण छोटू आंखे बंद हो गई। तब उसे कुछ इस प्रकार प्रतीत हुआ कि उसे किसी ने गोद में उठा लिया हो lदेखते ही देखते वह जलती हुई झोपड़ी से बाहर आ गया। छोटू को इस बात पर यकीन ही नहीं हुआ कि न जाने कैसे वह झोपड़ी के बाहर आ गया। वह कौन था जिसने उसे गोद में उठाया उसे वहां कोई देख भी नहीं रहा था वह बहुत आश्चर्य में था। कुछ देर बाद छोटू जब अपने घर पहुंचा।
उसने देखा जिस मूर्ति कि उसने स्थापना की थी, वह काली पढ़ चुकी थी जैसे कि उसे किसी ने जला दिया हो।
वह समझ गया कि जलती हुई आग से जिसने उसकी रक्षा करी है, वह कोई और नहीं हनुमानजी हैं। हनुमान जी ने खुद जलकर मेरी जान बचाई यह सोच वह भावुक हो गया।गांव वालों को जब इस पूरी घटना के बारे में पता चला सारे लोग आश्चर्य में थे। वह मान गए कि छोटू की भक्ति साधारण नहीं है। छोटू की भक्ति हनुमान जी के प्रति प्रेम उसका कोई दिखावा नहीं है। बल्कि सत्यता है कि वह हनुमान जी से प्रेम करता है, हनुमान जी को अपने परिवार का सदस्य मानता है। उसकी भक्ति गंगा जल जैसी पवित्र है।