एक रात रामायण का अध्यन करते हुए उसे पता चला की कैसे हनुमान जी ने कैसे सीना चीर राम जी और माँ सीता की कवि पूरे सभा को दिखाई थी उसने सोचा में सीना तो नहीं चीर सकता परन्तु हनुमान जी कमी तपस्या करके उनके दर्शन तो कर ही सकता हूँ।
माधव अगले दिन सुबह चार बजे घर से निकल कर शहर के बहार घने जांगले में चला गया।
वहां बीच जांगले में पहुँच कर बिना कुछ सोचे समजे तप करने बैठ गया , कुछ घंटे गुज़र गए परन्तु माधव अपनी तपस्या से नहीं उठा कुछ दी निकल गए परन्तु माधव का कठोर तप अब तक न टूटा था। तभी एक जंगली सांप धीरे धीरे माधव की ओर बढ़ने लगा उसी समय एक वानर पेड़ से कूदा और सांप को पकड़ कर दूर फेंक दिया और भाग कर माधव के गले से लिपट गया जैसे किसी ने माधव को गले लगाया ,
माधव ने आँख खोल कर देखा तो एक वानर ने उसे गले से लगाया हुआ है और वानर की आँखों में आसूं आये है। यह देख माधव हैरान हो गया माधव ने भी उस वानर को गले से लगाया कुछ देर पश्चात वानर वहां से जाने लगा जाते हुए वानर में माधव को एक दिव्य प्रकाश निकलता हुआ दिखा तब उसे ज्ञात हुआ की यह कोई साधरण वानर नहीं था बजरंग बलि ने स्वयं वानर र्रोप में उसे दर्शन दिया गले भी लगाया और वह खुसी से झूम उठा की उसकी तपस्या सफल हुई है।
यह उदहारण है इस बात का की अगर आपकी निष्ठा और आस्था प्रबल व पावन है तो भगवान् को भी आपके सामने आना ही पड़ता है।