कहते हैं हनुमान जी हमेशा अपने भक्तों की सदेव रक्षा करते हैं; बस हमे सच्चे मन से हनुमान जी को याद करना हैं, बाकी सब हनुमान जी पर छोड़ दीजिए। चलिए पढ़ते हैं एसी सच्ची घटना जो हमारे साथ सूरज शर्मा जी ने साझा करी हैं।
यह कहानी हमे सूरज शर्मा ने भेजी हैं; वह बताते हैं की आखिर हनुमान जी ने उनकी बर्बाद ज़िंदगी को कैसे सुधारा। जिस वक्त उन्हे जिनकी जरूरत थी कैसे उन्होंने ही उनका साथ छोड़ दिया और फिर कैसे हनुमान जी ने उनका साथ दिया।
यह बात है साल 2021 की जब सूरज का बिजनस काफी अच्छा चल रहा था, सूरज और उसकी पत्नी दोनों ही हनुमान के सच्चे भक्त थे, वह हर मंगलवार को हनुमान जी का उपवास रखते थे, जिससे हनुमान इन दोनों पर अपनी दृष्टि सदा बनाए रखते थे।
लेकिन अचानक एक रात सूरज की पत्नी को हार्ट अटैक आ जाता हैं, सूरज जल्द से जल्द उसे अस्पताल लेके जाता हैं, और डॉक्टर सूरज की पत्नी को ऐड्मिट करते हैं सूरज बाहर खडा यही सोच रहा था अभी तो हम दोनों बहुत खुश थे ये अचानक से क्या हो गया, सूरज इस संकट की घड़ी मे अपने श्री राम दूत हनुमान को याद करता हैं। और उनसे अपनी पत्नी की जान की भीक माँगता हैं।
कुछ समय बाद डॉक्टर बाहर आते हैं और कहते हैं “I am sorry sir” हम आपकी पत्नी को नहीं बचा सके यह सुनने के बाद सूरज के पैरों तले जमीन खिसक जाती हैं। वह अंदर से पूरी तरह से बिखर जाता हैं। सूरज ने जिससे अपनी पत्नी के जीवन की भीक मांगी थी उन्होंने ही उसकी रक्षा नहीं करी, तो सूरज ने थान लिया अब वह हनुमान जी के साथ साथ सभी देवी देवताओ से रिश्ता तोड़ देगा। और सूरज ने ऐसा किया भी।
फिर कुछ समय बीता; एक दिन सूरज अपने बिजनस का ऑफिस मे काम कर रहा था तभी उसके बिजनस के स्टॉक् का डाउन फाल हो गया। जिससे उसके बिजनस पर काफी बड़ा प्रभाव पड़ा, सूरज काफी परेशान हो गया था वह अपने आप को संभालता हैं, और बिजनस पर दुबारा काम करता हैं जिससे उसके दिमाग पर भारी असर हुआ। कुछ दिन इसी टेंशन मे बीते लेकिन बिजनस मे कोई सुधार न आने के कारण सूरज पर अधिक प्रेशर आ गया था, और उसके ऑफिस मे लोगों ने जॉब भी छोड़ दी। जिससे सूरज के बिजनस पर और भी बुरा प्रभाव पड़ा।
सूरज धीरे धीरे डिप्रेशन का शिकार होने लगा, जिससे उसकी मानसिक स्तिथि बहुत बेकार हो गई। जिस कारण से वह अब शराब का आदि हो गया; वह आए दिन शराब के सहारे जीवन काटने लगा। उसकी मदद करने कोई नहीं आया उसके दोस्तों ने भी उसे छोड़ दिया।
अचानक एक दिन सूरज के पेट मे बहुत तेज दर्द उठा उसे आस-पास के लोगों ने जैसे-तैसे अस्पताल भेजा। वहाँ मालूम चला सूरज के लिवर मे बहुत सूजन आ चुकी हैं और साथ ही उसके दिमाग की नसों पर भी काफी दबाव पड़ा हैं। अगर वह समय से पहले अस्पताल नहीं आते तो उनके दिमाग की नस फट भी सकती थी।
सूरज कुछ वक्त अस्पताल मे ऐड्मिट रहता हैं फिर उसे डिस्चार्ज कर दिया जाता है, जिससे अभी उसकी हालत मे थोड़ा सुधार हुआ हैं। वह घर जाता हैं और रोने लगता हैं क्यूंकी अब उसका सब कुछ खत्म हो चुका था। रोते हुए उसकी नजर उसके घर के मंदिर मे हनुमान की मूर्ति पर पड़ी जिससे उसका रोना और तेज हो गया, वह मूर्ति के पास जाता हैं और वही सर रख कर रोने लगता हैं। और फिर सूरज उठा और उसका आत्मविश्वास अचानक से दुबारा से बड़ा, जैसे की हनुमान जी ने उसे एक नई उम्मीद की किरण दिखाई हो। वह नहाया और अपने घर का मंदिर साफ करने लगा।
सूरज ने अपने जीवन मे सुधार और अपने बिजनस को दुबारा से खडा करने का संकल्प लिया। उसने सुना था की अगर हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करे तो मन मांगी मुराद पूरी हो जाती हैं। वह सह दिल से हनुमान जी और अन्य देवी-देवताओ से अपने बुरे कर्मों की माफी माँगता हैं। और फिर सूरज हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करने का निर्णय लेता हैं।
जिसे सूरज ने अपने सच मन और पूरे नियमों का पालन करके पूरा किया। सूरज ने हनुमान चालीसा को पढ़ने से पहले “राम नाम का जाप” क्यूंकी वह पहले हनुमान का बहुत बड़ा भक्त था तो वह जानता था की हनुमान चालीसा पढ़ने से पहले और पढ़ने के बाद 7 बार राम नाम का जाप अति आवश्यक हैं। सूरज ने पूरे दिल से 11 दिन तक रोज हनुमान चालीसा के 108 पाठ पूरे किए और उसके मन को शांति मिलनी शुरू हुई, नकारात्मकता दूर होने लगी और आत्मविश्वास बहुत बड़ गया। बिजनस मे काम करना दुबारा शुरु किया और देखते ही देखते बिजनस ने एक उची रफ्तार पकड़ ली। सूरज के जीवन मे अब बहुत सकरात्मकता आ गई थी। सूरज का जीवन अब पहले से बहुत बेहतर हो गया था।
इस तरीके से सूरज ने हनुमान जी पर विश्वास रखा और हनुमान जी ने अपने भक्त को निराश नहीं करा।