भगवान शिव की जटाओं से निकलने वाली गंगा,

जब हिमालय से होते हुए तराई क्षेत्रों में आती है तो इनका धार्मिक महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

इसलिए विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में गंगा जल का प्रयोग निश्चित रूप से किया जाता है।

मान्यता है कि जो लोग गंगा में स्नान करते हैं, उन्हें सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।

अमावस्या या पूर्णिमा तिथि के दिन गंगा जल में स्नान करने से साधक को देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां गंगा का जन्म वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन हुआ था।

शिव पुराण की एक कथा के अनुसार, गंगा भी मां पार्वती की भांति भगवान शिव को पति के रूप में पाना चाहती थीं।

उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए घोर तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपने साथ रखने का वरदान दिया।

वरदान के कारण जब मां गंगा धरती पर अपने पूरे वेग के साथ आईं तो जल प्रलय आ गया।

इस प्रलय से बचाने के लिए भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में समाहित कर लिया।

एक दिन में १०० बार हनुमान चालीसा पढ़ने से क्या होगा ?