Vishwakarma Jayanti 2024 – विश्वकर्मा पूजा हिंदू धर्म के देवता विश्वकर्मा के समर्पित उत्सव का दिन है। इसे विश्वकर्मा जयंती ( Vishwakarma Jayanti ) या विश्वकर्मा दिवस ( Vishwakarma Day ) के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व हर साल आमतौर पर 17 या 18 सितंबर को मनाया जाता है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद माह के आखिरी दिन को पड़ता है। इसे नेपाल में भी उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से कारखानों और उद्योगिक क्षेत्रों में मनाया जाता है, अक्सर दुकानों के आंगन पर।
विश्वकर्मा पूजा 2024 की तारीख ( Vishwakarma Pooja 2024 ki Date)
पूजा के दिन, जो श्रद्धा के प्रतीक के रूप में है, इसे इंजीनियरिंग और वास्तुशिल्प समुदाय ही नहीं, बल्कि कारीगर, शिल्पकार, यांत्रिकी, लोहार, वेल्डर, औद्योगिक श्रमिक, कारखाने के श्रमिक और अन्य लोग भी मनाते हैं। इन लोगों द्वारा विश्वकर्मा पूजा ( Vishwakrama Pooja )की जाती है, जहां उन्होंने बेहतर भविष्य, सुरक्षित कामकाजी परिस्थितियाँ, और अपने-अपने क्षेत्रों में सफलता के लिए प्रार्थना की जाती है।
विश्वकर्मा पूजा का इतिहास (Viswakarma pooja ka Itihaas )
प्राचीन पुराणों के अनुसार, भाद्र मास के अंतिम दिन भगवान विश्वकर्मा की जयंती के रूप में मनाई जाती है। इस पर्व को भारत के पूर्वी राज्यों में भद्रा संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है, जबकि कुछ उत्तरी राज्यों में इसे माघ महीने के बाद दीवाली के दिन भी मनाया जाता है।
कई किंवदंतियों और पुराणों में यह कहा गया है कि भगवान विश्वकर्मा ( Bhagwan Vishwakarma ) का जन्म समुद्र मंथन के दौरान हुआ था, जो कि हिंदू धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। कथाओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ( Lord Vishwakarma ) ने ब्रह्मांड के कई प्रमुख नगरों का निर्माण किया, जैसे कि स्वर्ग, इंद्रप्रस्थ, हस्तिनापुर, और लंका। उनका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है, जहाँ वे वास्तुकला और यांत्रिकी के विज्ञान के देवता के रूप में सम्मानित हैं।
ओडिशा में विश्वकर्मा उत्सव को बिस्वाकर्मा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति ( Vishwakarma Bhagwan ki Murti )में उनके विशेष उपकरण और वेद होते हैं। एक और लोकप्रिय कथा के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने भगवान कृष्ण, भगवान बलराम, और देवी सुभद्रा की प्रसिद्ध जगन्नाथ पुरी मूर्तियां बनाईं।
प्राचीन कहानियों में यह भी कहा गया है कि भगवान विश्वकर्मा ने बूढ़े बढ़ी के रूप में उपस्थित होकर राजा के आदेश के बावजूद अपना कार्य पूरा किया, और उनके छोड़ने के बाद मूर्तियों की पूजा की जाती है।
विश्वकर्मा जयंती 2024 में कब है ( Vishwakarma Jayanti 2024 mein kab hain )
विश्वकर्मा पूजा 2024 ( Vishwakarma Puja 2024 ) में Monday,16 September 2024 को मनाई जाएगी।
विश्वकर्मा पूजा के लिए भुवनेश्वर कैसे पहुँचें? ( Vishwakarma Pooja ke liye Bhubaneswarkaise pahunchen )
विश्वकर्मा पूजा ( Vishwa Karma Pooja ) के लिए भुवनेश्वर तक पहुंचने के लिए विभिन्न प्रकार के यात्रा विकल्प उपलब्ध हैं। यह त्यौहार देश के विभिन्न क्षेत्रों में मनाया जाता है, लेकिन ओडिशा राज्य में इसका आयोजन विशेष रूप से किया जाता है।
सड़क मार्ग से यदि आप कार या बाइक से यात्रा करने का प्रोग्राम बना रहे हैं, तो आपको दूरी को ध्यान में रखकर रोड़ की योजना बनानी होगी। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु से आप भुवनेश्वर तक NH 19, NH 65 और NH 16 के माध्यम से पहुंच सकते हैं। सड़क यात्रा के दौरान, आप सुंदर प्राकृतिक दृश्यों का आनंद ले सकते हैं और गांवों के गहरे जीवन का अनुभव कर सकते हैं।
रेल यात्रा भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन ( Bhubaneswar Railway Station ) यहाँ पहुंचने का सर्वाधिक सुगम तरीका है। यह स्टेशन भारत के अन्य प्रमुख शहरों से सुपरफास्ट ट्रेनों के द्वारा जुड़ा हुआ है। दिल्ली से, आप हीराकुंड एक्सप्रेस या नंदन कानन एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों का इस्तेमाल कर सकते हैं; मुंबई से, कोणार्क एक्सप्रेस; कोलकाता से, कोरोमंडल एक्सप्रेस या अमरावती एक्सप्रेस; और बेंगलुरु से, दुरंतो एक्सप्रेस या प्रशांति एक्सप्रेस। Bhubaneswar Railway Station से, आप टैक्सी या ऑटो रिक्शा का इस्तेमाल करके अपने पंजीकृत होटल या स्थानीय आवास तक पहुंच सकते हैं।
हवाई यात्रा
भुवनेश्वर का हवाई अड्डा भी आपको यहाँ आसानी से पहुंचने का विकल्प देता है। यहाँ से भारत के मुख्य शहरों से नियमित उड़ानें होती हैं, जैसे कि दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता आदि। हवाई अड्डे से आप टैक्सी या ऑटो रिक्शा का इस्तेमाल करके अपने लक्जरी होटल या अन्य ठिकानों तक पहुंच सकते हैं।
विश्वकर्मा जयंती क्यों मनाई जाती है ( Vishwakarma Jayanti kyu manaee jaate hain )
Vishwakarma Jayanti 2024 – हिंदू धर्म में विश्वकर्मा जयंती ( Vishwakarma Jayanti ) का खास महत्व है. ये त्योहार कन्या संक्रांति के दिन मनाया जाता है. इस साल ये त्योहार 17 सितंबर को मनाया जा रहा है. दरअसल इस दिन ब्रह्मा जी के 7वें पुत्र भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था.
विश्वकर्मा का इतिहास ( Vishwakarma ka Itihaas )
भगवान विश्वकर्मा को संसार का पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है। मान्यता है कि उन्होंने ब्रह्माजी के साथ मिलकर इस सृष्टि का निर्माण किया था। विश्वकर्मा पूजा ( Vishwa Karma Pooja )के दिन विशेष तौर पर औजारों, निर्माण कार्य से जुड़ी मशीनों, दुकानों, कारखानों आदि की पूजा की जाती है।
भगवान विश्वकर्मा की उत्पत्ति कैसे हुई? ( Bhagwan Vishwakarma ki utpatti kaise hue )
उनकी उत्पत्ति के विषय में एक प्रसंग मिलता है कि सृष्टि के आरंभ में सर्वप्रथम भगवान विष्णु क्षीरसागर में जब शेष-शैया पर प्रकट हुए तो उनके नाभि-कमल से ब्रह्मा दृष्टिगोचर हुए। ब्रह्मा के पुत्र धर्म तथा धर्म से पुत्र वास्तुदेव उत्पन्न हुए। उन्हीं वास्तुदेव की अंगिरसी नामक पत्नी से विश्वकर्मा ( Vishwakarma ) का जन्म हुआ।
विश्वकर्मा जी किसका अवतार है? ( Vishwakarma ji kiska avatar hain )
भगवान विश्वकर्मा को अक्सर भगवान ब्रह्मा के पुत्र के रूप में जाना जाता है, लेकिन कुछ ग्रंथों में उन्हें भगवान शिव का अवतार कहा जाता है. ब्राह्मण और निरुक्त में उन्हें भुवन का पुत्र भी कहा गया है.
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विश्वकर्मा कौन सी जाति में आते हैं? ( Vishwakarma Kaunse jaati mein aate hain )
Vishwakarma Jayanti 2024 – विश्वकर्मा एक भारतीय उपनाम है जो मूलतः शिल्पी (क्राफ्ट्समैंन) लोगों द्वारा प्रयोग में लाया जाता है। विश्वकर्मा ब्राह्मण जाति से भी संपर्क रखते है विश्वकर्मा पुराण के मुताबिक विश्वकर्मा जन्मों ब्राह्मण: मतलब ये जन्म से ही ब्राह्मण होते ।
विश्वकर्मा जी के वंशज कौन है? ( Vishwakarma Ji ke vanshaj kaun hain )
शिल्प के प्रवर्त्तक विश्वकर्मा विभिन्न रूपों में उत्पन्न हुए जिन के नाम मनु, मय, शिल्प, त्वष्टा, दैवेज्ञ थे। यह पांचों पुत्र ब्रह्मा की उपासना में सदा लगें रहतें थे इत्यादि।
विश्वकर्मा रावण से कैसे संबंधित है? ( Vishwakarma Ravan se kaise sambandhit hain )
एक पौराणिक कथा के अनुसार, रावण की लंका के निर्माता भगवान विश्वकर्मा थे । रावण, जो भगवान शिव का परम भक्त था, एक बार शिव और पार्वती के निवास का गृहप्रवेश करने गया। यह महल सोने से बना था और इसका डिज़ाइन भगवान विश्वकर्मा ( Lord Vishwakarma ) ने बनाया था। शिव के निवास की सुंदरता ने रावण को आश्चर्यचकित कर दिया।
विश्वकर्मा का जन्म कब हुआ था? ( Vishwakarma ka janam kab hua tha )
विश्वकर्मा दिवस ( Vishwakarma day ) हर साल भगवान विश्वकर्मा की जयंती के रूप में मनाया जाता है और ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 16 या 17 सितंबर को मनाया जाता है। दिन की गणना बिशुद्ध सिद्धांत के आधार पर की जाती है।
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विश्वकर्मा क्यों प्रसिद्ध है? ( Vishwakarma Kyu Prasid hain )
भगवान विश्वकर्मा को संसार का पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है। विश्वकर्मा पूजा के दिन विशेष तौर पर औजारों, निर्माण कार्य से जुड़ी मशीनों, दुकानों, कारखानों आदि की पूजा की जाती है। विश्वकर्मा जी ( Vishwakarma ji ) को यंत्रों का देवता भी माना जाता है।
विश्वकर्मा ब्रह्मा का पुत्र है? ( Vishwakarma Brahma Ka Putr hain )
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्रों में से एक हैं और भगवान विष्णुकर्मा ने ही भगवान कृष्ण के पूरे साम्राज्य का निर्माण किया, जिसे द्वारिका नगरी के नाम से जाना जाता है।
विश्वकर्मा पूजा में क्या किया जाता है? ( Vishwakarma Pooja mein kya kiya jaata hain )
पूजा के लिए सबसे पहले पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें और फिर चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर विश्वकर्मा ( Vishwakarma ) की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें और माला पहनाएं। इसके बाद हाथ में फूल और अक्षत लेकर ध्यान करें। इसके बाद फूल अक्षत लेकर मंत्र पढ़ें और चारो ओर छिड़कें। इसके बाद सभी मशीन व औजार आदि पर रक्षा सूत्र बांधे और प्रणाम करें।
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विश्वकर्मा पूजा में कौन सा मंत्र पढ़ा जाता है? ( Vishwa Karma Pooja mein kaunsa Mantra padha jaata hain )
Vishwakarma Jayanti 2024 – भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का पहला इंजीनियर और शिल्पकार माना जाता है. इसके बाद फूल अक्षत लेकर ॐ आधार शक्तपे नम:, ओम कूमयि नम:, ओम अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम मंत्र पढ़ें और चारो ओर छिड़कें.
विश्वकर्मा जी की पूजा कैसे की जाती है? ( Vishwakarma Ji ki Pooja kaise kee jaate hain )
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें। साथ ही सभी उपकरण, औजार, सामान, मशीन की भी साफ सफाई करें। फिर पूरी जगह गंगाजल से छिड़काव करें। पूजा के लिए सबसे पहले पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें और फिर चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर विश्वकर्मा की तस्वीर ( God Vishwakarma Photo ) या मूर्ति स्थापित करें और माला पहनाएं।
विश्वकर्मा पूजा साल में कितनी बार होती है? ( Vishwakarma Pooja saal mein kitne baar hote hain )
श्री विश्वकर्मा पूजा दिवस भारत के कर्नाटक, असम, पश्चिमी बंगाल, बिहार, झारखण्ड, ओडिशा और त्रिपुरा आदि प्रदेशों में यह आम तौर पर हर साल 17 सितंबर की ग्रेगोरियन तिथि को मनायी जाती है।
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विश्वकर्मा पूजा में क्या क्या सामग्री लगती है? ( Vishwa Karma Pooja mein kya kya saamagree lagate hain )
Vishwakarma Jayanti 2024 – सुपारी, रोली, पीला अष्टगंध चंदन, हल्दी, लौंग, मौली, लकड़ी की चौकी, पीला कपड़ा, मिट्टी का कलश, नवग्रह समिधा, जनेऊ, इलायची, इत्र, सूखा गोला, जटा वाला नारियल, धूपबत्ती, अक्षत, धूप, फल, मिठाई, बत्ती, कपूर, देसी घी, हवन कुण्ड, आम की लकड़ी, दही, फूल पूजन सामग्री में शामिल करें.
विश्वकर्मा भगवान की आरती | Vishwakarma bhagwan ki aarti ( Vishwakarma Day )
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का,सकल सिद्धि आई॥
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर,दूर दुख कीना॥