Kalratri Mata-7th day of Navratri

Devi Kalaratri: माता कालरात्रि

navarathri goddess मां दुर्गा की सप्त शक्ति का नाम देवी कालरात्रि है। इनके नाम से साफ़ झलकता है काल की रात। saptami के दिन साधक का मन सहस्रार चक्र में अवस्थित होता है इसका अर्थ यह है कि व्यक्ति को संसार  की सारी सिद्धि और निधि (विद्या, धन, शक्ति) प्राप्त होती है।

Devi (Durga) के अनेक नाम है जैसे भद्रकाली, महाकाली, भैरवी, चामुंडा और चंडी आदि। इन्हें ही देवी काली की संज्ञा दी है कालरात्रि और महाकाली दोनों ही नाम एक दूसरे के पूरक है। इनकी पूजा से भूत, पिशाच और सभी नकारात्मक बुरी शक्तियां नष्ट हो जाती है और व्यक्ति सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ता है। देवी के रूप को देखें तो यह बहुत भयानक प्रतीत होता है लेकिन सच्चे मन से भक्ति करने पर माता शुभ फल देती हैं इसलिए इन्हें शुभंकरी के नाम से भी पुकारा जाता है। देवी कालरात्रि की उपासना करने से जीव-जंतु भय, अग्नि भय, जल भय, रात्रि भय और भूत पिशाच भय कभी नहीं होते।  [1]

कालरात्रि की पौराणिक कथा

navratri day 7 देवी कालरात्रि से जुड़ी एक कथा के अनुसार एक रक्तबीज नामक राक्षस था जिससे सभी देवता परेशान थे और देवताओं की परेशानी की जड़ थी रक्तबीज का रक्त। दरअसल राक्षस का रक्त जिस भी स्थान पर गिरता था वहां बिल्कुल रक्तबीज जैसा नया दानव बन जाता था। सभी देवता परेशान होकर भगवान शिव के पास पहुंचे।  भगवान शिव ने समाधान स्वरुप देवी पार्वती का नाम लिया और कहा कि केवल देवी पार्वती ही इस दानव का वध कर सकती हैं। पार्वती ने रक्तबीज के खात्मे के लिए ही कालरात्रि रूप का सृजन किया था। कालरात्रि ने जब दानव का वध किया तो उसका रक्त धरती पर गिरने के बजाय अपने मुख में भर लिया और सभी देवताओं की चिंता का हल निकाल लिया। [2]

महाभारत के अंत में क्यों प्रकट हुई थी मां कालरात्रि

जब महाभारत में कौरवों की सेना हार के चरम पर थी उस वक़्त अश्वतथामा ने अपने पिता द्रोणाचार्य की मौत का बदला लेने के लिए आक्रोश में आकर दृष्टद्युम्न समेत पाडंवों के पाँचों पुत्र की हत्या कर दी थी। युद्ध में की गई बेईमानी को देखकर ही देवी कालरात्रि वहां प्रकट हुई थी।

Maa kalratri puja vidhi in hindi: पूजा विधि

1. देवी मां की तस्वीर या प्रतिमा पर प्रातःकाल गंगाजल छिड़कें।  

2. इसके पश्चात navratri 7th day colour तथा देवी का प्रिय लाल रंग का वस्त्र चढ़ाएं और सिन्दूर अर्पित करें।   

3. मिष्ठान, पंच मेवा, पंच फल और पंचामृत वाला नैवैद्य अर्पित करें।  

4.  इन सब क्रिया के बाद 108 बार मंत्र का जाप करें इससे माता रानी की कृपा भक्तों पर अवश्य बनी रहेगी।  

Kaal ratri mantra: कालरात्रि मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। 

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

Kalratri Mata प्रार्थना मंत्र

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥

Kalratri Mata जाप मंत्र

ॐ ऐं ह्रीं क्रीं कालरात्रै नमः।। [3]

ईमानदारी की राह पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं देवी कालरात्रि

Durgaspatashati के दिन पूजी जाने वाली माता कालरात्रि व्यक्ति को ईमानदारी की राह पर जाने के लिए प्रेरित करती है और ऐसा नहीं होने पर वे भक्तों को संकेत भी दिया करती हैं। सही राह पर चलने का उदाहरण महाभारत के प्रसंग से लिया जा सकता है. सच्चे मन से देवी की आराधना करने वह व्यक्ति संसार के सभी भय से मुक्त हो जाता है और सच्चाई के रास्ते पर अग्रसर होता है। 

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