Maa Chandraghanta – 3rd Day of Navratri

Maa Chandraghanta: माता चंद्रघंटा

नवरात्रि के शुरुआत के दो दिन पार्वती के कन्या रूप की पूजा की जाती है वहीँ तीसरे दिन उनके विवाहित रूप की आराधना होती है जो देवी चंद्रघंटा के नाम से प्रचलित हैं। यह देवी पार्वती का वैवाहिक रूप है जिसमें वे भगवान शिव के साथ शादी हो जाने के बाद आधे चंद्र को अपने माथे पर धारण करती हैं। navratri 3rd day पूजे जानी वाली माता चंद्रघंटा का शरीर सोने की भांति चमकीला होता है। मां सिंह पर सवारी करती हैं उनके 10 हाथ है जो कि अस्त्र-शस्त्र जैसे खड्ग, गदा, त्रिशूल, चक्र और धनुष से सदैव सुशोभित रहते हैं। ऐसी मान्यता है कि देवी चंद्रघंटा की सच्चे मन से पूजा करने से विवाहित लोगों के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं। यह भी बताते चलें कि माता हमेशा युद्ध की मुद्रा में ही रहती है। शिव पुराण के अनुसार देवी चंद्रघंटा शिव का आधा भाग हैं यही वजह है कि भगवान शिव को अर्धनारीश्वर कहा जाता है यानी बिना शक्ति के शिव अधूरे हैं।  [1]

Maa Chandraghanta ki katha: पौराणिक कथा

मां चंद्रघंटा अस्त्रों-शस्त्रों से सुशोभित रहती है उनके इस रूप से ही यह ज्ञात हो जाता है कि उनका अस्तित्व असुरों की समाप्ति करना है। माता के इस रूप की chandraghanta story की बात करें तो उन्होंने राक्षस महिषासुर का खात्मा कर तीनों लोकों को अन्याय और क्रूरता से छुटकारा दिलाया था।

महिषासुर ब्रह्मा जी का बहुत बड़ा भक्त था। उसने अपनी कठोर तपस्या के माध्यम से ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और वरदान मांगा कि कोई भी देव, दानव या धरती पर रहने वाला उसे मार न सके। यह वरदान मिलने के बाद महिषासुर आतंकित हो गया और उसने तीनों लोकों पर अपना आधिपत्य जमाने के मकसद से क्रूरता करनी आरम्भ कर दी। जब ब्रह्मा विष्णु और महेश के साम-दाम-दंड-भेद काम नहीं आये तब तीनों ने मिलकर शक्ति के रूप में देवी शक्ति को जन्म दिया। देवी चंद्रघंटा ने ही राक्षस का संहार किया था।  [2]

maan chandraghanta kee pooja vidhi

Maan Chandraghanta Kee Pooja Vidhiमां चंद्रघंटा की पूजा विधि

1. navarathri goddess चंद्रघंटा को केसर और केवड़े के जल से स्नान करना चाहिए।  

2. उसके बाद उन्हें सुनहरे रंग का कपड़ा चढ़ाकर लाल या फिर चमेली का फूल अर्पित करें तो देवी प्रसन्न होगी क्योंकि ये फूल उन्हें काफी प्रिय हैं।  

3. माता को मिश्री, मिठाई और पंचामृत का भोग लगाएं। उसके बाद साधना में लीन होकर नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण करें। 

Chandraghanta Mantra: चंद्रघंटा मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। 

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

Chandraghanta Praarthana Mantra: चंद्रघंटा प्रार्थना मंत्र

पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

Maa Chandraghanta beej mantra: मां चंद्रघंटा बीज मंत्र

‘ऐं श्रीं शक्तयै नम:’

Chandraghanta Jaap Mantra: चंद्रघंटा जाप मंत्र :

ॐ देवी चंद्रघण्टायै नम: [3]

बुराई से लड़ने की प्रेरणा देती हैं chandraghanta devi

मां दुर्गा का यह तीसरा रूप बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। माता की अराधना से व्यक्ति अपने भीतर बुराई से लड़ने की असीम शक्ति प्राप्त कर सकता है और जीवन में इस ऊर्जा का उपयोग हर पड़ाव पर कर सकता है। व्यक्ति को निर्भीक होकर कार्य करते रहने की प्रेरणा भी हमें देवी की पूजा अर्चना से प्राप्त होती है। 

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