श्रीकालहस्ती मंदिर | Srikalahasti Temple
श्रीकालहस्ती मंदिर/ Srikalahasti )Temple आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुपति शहर के पास स्थित श्रीकालहस्ती ( Srikalahasti नामक कस्बे में यह मंदिर है। श्रीकालहस्ती मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। भगवान शिव के इस मंदिर को दक्षिण भारत के अन्य तीर्थस्थानों से अधिक महत्व दिया जाता हैं। जिस प्रकार भगवान शिव के पंच तत्व लिंग माने जाते हैं, उन्ही मे से यह सब से प्रमुख लिंगों मे से एक लिंग है, जिसे वायु लिंग के नाम से जाना जाता हैं, और यह मनुष्य के पंच तत्वो को भी दर्शाता हैं।
वायु तत्व लिंग होने के कारण श्रीकालहस्ती मंदिर ( Srikalahasti )Temple ) के पुजारी भी इस लिंग का स्पर्श नहीं कर सकते। हैरानी की बात यह हैं की जहा सभी शिव लीग गोलाकार आकर्ति मे हैं वही यह शिव लिंग एक चौकोर आकर्ति मे दिखाई पड़ता हैं।
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इस शिव लिंग ( Shivling ) मे मकड़ी, साँप का फन और हाथी के दाँत देखने को मिलेंगे। इसके पीछे बहुत दिलचस्प कहानी हैं आईये जानते हैं, एक समय की बात हैं जब भगवान शिव की यह शिव लिंग धरती पर हुआ करती थी, तब इस शिव लिंग की आराधना एक मकड़ी किया करती थी, शिव लिंग पर धूप न लगे इसलिए वह एक सूखे पेड़ के ऊपर जाला भूना करती थी। जिससे शिव लिंग छाव मे रहा करती थी। जब जाला किसी कारण वर्ष टूट जाया करता था, तो मकड़ी ऊपर जा कर नया जाला भून दिया करती थी। एक दिन वह जाला भूनते वक्त पेड़ से गिर गई। जिससे उसे बहुत पीड़ा होने लगी, ऐसे मे मकड़ी ने भगवान शिव को याद किया। भगवान शिव उसकी भक्ति से प्रसन्न हुए और शिव लिंग से बाहर निकले और कहा “मैं तुम्हें मुक्ति और मेरे साथ तुम्हारी पूजा हो ऐसा आशीर्वाद देता हूँ” दूसरी तरफ शिव लिंग पर एक हाथी जल और फूलों से शिव लीग को अभिषेक किया करता था, और रात के समय एक साँप आकार सारे फूल हटा दिया करता था। ऐसा बहुत दिनों तक हुआ, और एक रात साँप ने वही रुक कर इंतज़ार करने लगा। तब उसने देखा की एक हाथी आया और शिव लिंग को नहला कर फूल अर्पित किया।
यह देखने के बाद, साँप ने हाथी पर हमला कर दिया, हमला इतना भयानक था की दोनों की हमले के दौरान ही वही मृत्यु हो गई। तब भगवान शिव, शिव लिंग से दुबारा प्रकट हुए तो उन्होंने दोनों की भक्ति आस्था को देखा और आशीर्वाद दिया की, “तुम दोनों को मुक्ति मिलती है और मेरे साथ तुम्हारी पूजा होगी।“ जिस कारण इस मंदिर को श्रीकालहस्ती ( Srikalahasti ) के नाम से जाना जाने लगा।
जिसमे श्री का मतलब हैं मकड़ी और काल का मतलब हैं सर्प और हस्ती का मतलब हैं हाथी। राहू और केतु दोनों ही ऐसे गृह हैं जो सूर्य और चंद्रमा को ढकते हैं जिस कारण मनुष्य के जीवन पर बहारी प्रभाव पड़ता हैं, कई बार यह प्रभाव इतना गहरा होता हैं की मनुष्य के जीवन से निकलता ही नहीं हैं। जिस कारण यहाँ लोग दूर दूर से अपने दोष से मुक्ति पाने आते हैं। जिस कारण यह मंदिर सूर्य ग्रहण मे भी खुला रहता है। इस कारण इस मंदिर को राहू मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा ही एक और दिव्य मंदिर है, जहां महादेव के साक्षात चमत्कार देखने को मिलते है
आईए अब आप सभी को बताते हैं कालाहस्ती मंदिर ( Kalahasti Temple ) मे रखी लिंग को वायु लिंग क्यूँ कहा जाता हैं; इसके नाम के इतिहास का संबंध वायु देवता से हैं। जिन्होंने मंदिर के पास बनी सवर्णा नदी के पास बैठ कर भगवान शिव की तपस्या की थी। भगवान शिव उनकी तपस्या से बहुत प्रसन्न हुए और वायु देवता को 3 वरदान दिए, जिसमे पहला वरदान यह था की, वायु देव सभी पृथ्वी लोक के प्राणी के अंदर जीवित रहेंगे। दूसरा वरदान यह था की, वायु देव के बिना कोई भी प्राणी जीवित नहीं रह सकेगा। तीसरा और आखिरी वरदान यह था की अब इस शिव लिंग को, शिव लिंग के नाम के बजाए वायु लिंग के नाम से पूजा जाएगा।
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श्रीकालहस्ती मंदिर ( Srikalahasti Mandir ) के पीछे एक पहाड़ी हैं जिसे भक्त “कनप्पा” के नाम से जाना जाता हैं। भक्त कनप्पा को महाभारत के अर्जुन का अवतार माना जाता हैं, जिनका वास्तविक नाम “नील” था। और यह भगवान शिव के बड़े भक्तों मे से एक भक्त माने जाते हैं। भक्त नील एक दिन जंगल मे जा रहे थे वहाँ उन्होंने एक शिव लिंग को देखा और जंगल मे जानवरों के डर से शिव लिंग को कुछ हो न जाए इसलिए वह रक्षा करने लगे। एक दिन भगवान शिव ने भक्त नील की परीक्षा ली, जिसमे जब वह जंगल मे शिव लिंग के पास आए तो उन्होंने देखा की शिव लिंग ( Shivling ) की आँखों से खून निकल रहा था। तब उन्हे याद आया की ताज़ा मास लगाने से घाव जल्दी भरा जा सकता हैं।
तब उन्होंने अपने धनुष के तीर से अपनी एक आँख निकाली और शिव लिंग पर बनी आँख पर लगा दी। उसके बाद शिव लिंग मे बनी दूरी आँख से खून निकलने लगा, तब वह तीर से दूसरी आँख निकालने ही जा रहे थे। तभी भगवान शिव प्रकट हुए और भक्त नील को अपने साथ शिव लोक ले गए जहाँ उनका नाम कनप्पा पड़ा जिसका तमिल मे मतलब हैं नेत्र। तभी से पहाड़ी को कनप्पा कहा जाने लगा।
श्रीकालहस्ती मंदिर कहां है ? | Where is Srikalahasti Temple
श्रीकालहस्ती मंदिर ( Srikalahasti Temple ) आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुपति शहर के पास स्थित Srikalahasti नामक कस्बे में यह मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
कालाहस्ती मंदिर में क्या है खास? | What is special about kalahasti Temple?
श्रीकालहस्ती मंदिर ( Srikalahasti Mandir ) राहु-केतु पूजा के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि इस पूजा को करने से लोगों को राहु और केतु के ज्योतिषीय प्रभावों से बचाया जा सकेगा। हिंदू किंवदंती के अनुसार, सभी चार युगों के दौरान ब्रह्मा द्वारा इस स्थान पर कालहस्तेश्वर की पूजा ( Kalahasti Pooja ) की गई थी।
कालाहस्ती के पीछे की कहानी क्या है? | What is the story behind Kalahasti? HISTORY :
श्री कालहस्ती का नाम भगवान शिव के कट्टर भक्तों के नाम पर रखा गया है। वे मकड़ी (श्री), सर्प (काला) और हाथी (हस्ति) थे। उनकी अटूट भक्ति से प्रसन्न होकर, भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया कि उनका नाम वायुलिंग के साथ मिला दिया जाएगा और श्री कालहस्तीश्वर कहलाएगा।
तिरुपति से श्रीकालहस्ती की दूरी कितनी है? | How Much Distance from Tirupati to Srikalahasti
सड़क मार्ग से तिरूपति से श्री कालहस्ती की दूरी है 37Km है ।
श्रीकालहस्ती मंदिर कौन से भगवान का मन्दिर है | Srikalahasti Temple Which God
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। भगवान शिव के इस मंदिर को दक्षिण भारत के अन्य तीर्थस्थानों से अधिक महत्व दिया जाता हैं। जिस प्रकार भगवान शिव के पंच तत्व लिंग माने जाते हैं, उन्ही मे से यह सब से प्रमुख लिंगों मे से एक लिंग है, जिसे वायु लिंग के नाम से जाना जाता हैं, और यह मनुष्य के पंच तत्वो को भी दर्शाता हैं।
Srikalahasti Temple online Booking – Srikalahasti Online Booking – Kalahasti Online Booking
300 रु टिकट: इस टिकट का लाभ उठाने वाले लोगों के लिए पूजा मंदिर के परिसर के बाहर मौजूद एक बड़े हॉल में की जाती है।
750 रु टिकट: इस टिकट के अंतर्गत परिहार पूजा की जाती है, जिसमें पास में मुख्य स्थान पर एक वातानुकूलित हॉल के अंदर मुख्य स्थान पर शिव संन्यास होता है।
1500 रु टिकट: यह वीआईपी टिकट हैं और इसके अंतर्गत मंदिर के अंदर परिहार में पूजा की जाती है।
About Kalahasti Temple – About Srikalahasti Temple in Hindi
Andhra Pradesh Kalahasti Temple
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