Shattila Ekadashi Vrat Katha | षटतिला एकादशी का महत्व
Shattila Ekadashi 2024 – माघ महीने की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के संग मां लक्ष्मी की पूजा-व्रत करने से का विधान है। इस बार फरवरी महीने में षटतिला एकादशी आज है। जो लोग षटतिला एकादशी का व्रत करते हैं। उन्हें षटतिला एकादशी की व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए।
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एकादशी की विशेष धार्मिक मान्यता होती है। एकादशी पर पूरे मनोभाव से भगवान विष्णु का पूजन किया जाए तो उनकी कृपा मिलती है। इस व्रत को भीमसेन एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि पाँच पाण्डवों में एक भीमसेन ने इस व्रत का पालन किया था और वैकुंठ को गए थे। इसलिए इसका नाम भीमसेनी एकादशी भी हुआ। सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत कर लेने से अधिकमास की दो एकादशियों सहित साल की 25 एकादशी व्रत का फल मिलता है।
हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। पद्मपुराण में एकादशी का बहुत ही महात्मय बताया गया है एवं उसकी विधि विधान का भी उल्लेख किया गया है। पद्मपुराण के ही एक अंश को लेकर हम षट्तिला एकादशी का श्रवण और ध्यान करते हैं।
Shattila Ekadashi par Vishnu Puja | षटतिला एकादशी पर विष्णु पूजा
षटतिला एकादशी पर विष्णु पूजाइस चलते इस साल षटतिला एकादशी का व्रत 6 फरवरी, मंगलवार के दिन रखा जाएगा। भगवान विष्णु की पूजा (Vishnu Puja) के लिए षटतिला एकादशी के दिन सुबह उठकर गंगाजल और तिल को स्नान वाले जल में मिलाकर नहाना शुभ माना जाता है। इसके बाद ही व्रत का संकल्प लिया जाता है।
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एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर व्रत संकल्प लें। पूजा के दौरान भगवान विष्णु को पीली मिठाई का भोग लगाना चाहिए, क्योंकि पीला रंग भगवान श्री हरि का प्रिय माना गया है। भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी जी का भी पूजन करें। इस दिन पीपल के पेड़ में जल अर्पित करना भी शुभ माना जाता है।
इस एकादशी पर विष्णु जी की पूजा में काले तिल खासतौर पर रखनी चाहिए। मान्यता है कि षटतिला एकादशी व्रत से कई यज्ञों से मिलने वाले पुण्य के समान ही पुण्य फल मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु जी के मंत्रों (ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय) का जप करना चाहिए। विष्णु जी कथाएं पढ़नी और सुननी चाहिए।
Ekadashi Vrat kaise kare in hindi
एकादशी व्रत हर महीने में दो बार रखा जाता है। एक शुक्ल पक्ष में तो दूसरा कृष्ण पक्ष में। इस व्रत में अन्न और जल कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता है, और इस दिन व्रती सुबह उठकर स्नान करके सच्चे मन से श्री हरि विष्णु की अराधना करती हैं. इसको लेकर पंडित बसंत शर्मा महाराज ने बताया कि एकादशी के दिन शाम को फलहारी ग्रहण करना चाहिए।