भारत देश जोकि तीज-त्योहारों का देश है। यहां हर समय पर अलग-2 तरह के त्योहार मनाएं जाते है। प्रत्येक त्योहार का अपना- अपना महत्व होता है। हिंदुओं के लिए ये त्योहार बेहद ही खास होते है। हालांकि इन त्योहारों को मनाने के रिति-रिवाज जरूर अलग होते है। लेकिन इन त्योहार के प्रति लोगों की आस्था और विश्वास सभी में एक समान ही होता है। आज के इस आर्टिकल में हम रक्षा बंधन(Raksha Bandhan) के बारे में बात करेंगे।
कब मनाया जाएगा बंधन। kab manaya jayega raksha bandhan
रक्षा बंधन के त्योहार का हिंदू धर्म में अन्य त्योहारों की तरह ही अपना एक अलग महत्व है, और यह त्योहार हर साल बड़े ही धूम-धाम और रीति-रिवाज से मनाया जाता है। रक्षाबंधन का त्योहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसलिए रक्षा बंधन (Raksha Bandhan)को राखी पूर्णिमा भी कहा जाता है। रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। लेकिन, इस बार भद्रा के साये के कारण लोग असमंजस में हैं कि रक्षाबंधन का पर्व 30 अगस्त को मनाया जाएगा या फिर 31 अगस्त को। इस वर्ष सावन पूर्णिमा तिथि का आरंभ 30 अगस्त 2023 को प्रातः 10 बजकर 59 मिनट से होगा और इसका समापन सुबह 07 बजकर 05 मिनट पर होगा. इस पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्रा काल का आरम्भ हो जाएगा। शास्त्रों में भद्रा काल में श्रावणी पर्व मनाना निषेद है।इस दिन भद्रा काल का समय रात्रि 09 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। इसलिए, इस समय के बाद ही राखी बांधना ज्यादा उपयुक्त रहेगा।
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राखी बांधने का शुभ मुहूर्त। rakhi bandhne ka shubh muhurt
भद्रा काल के कारण 30 अगस्त को राखी बांधना शुभ नहीं होगा। ऐसे में 31 अगस्त को सुबह के समय आप राखी बंधवा सकते हैं। ऐसे में इस साल रक्षाबंधन( Raksha Bandhan)का त्योहार 30 और 31 अगस्त दोनों दिन मनाया जा सकता है लेकिन आपको भद्रा काल का ध्यान रखना है। 31 अगस्त की सुबह 7 बजे के बाद भद्रा काल समाप्त हो जाएगा, जिसके बाद आप राखी का पर्व धूम-धाम से मना सकते हो।
रक्षा बंधन पूजन विधि। raksha bandhan puja vidhi
इस दिन बहन अपने भाइयो की कलाइयों पर रंग-बिरंगी राखी बांधती है, और बदले में भाई जीवन भर उनकी रक्षा करने का वचन देते है। राखी बांधने से पहले बहन और भाई दोनों व्रत रखते है। भाई को राखी बांधते(Raksha Bandhan) समय बहन पूजा की थाली में राखी, रोली, दीया, कुमकुम अक्षत और मिठाई आदि रखती है। राखी बांधने से पहले बहन अपने भाई को तिलक लगाती है। उसके बाद बहन अपने भाई को अपने दाहिन हाथ से राखी बांधती है, और फिर उसकी आरती उतारती है। अगर भाई आपसे बड़ा हो तो उसके पैर छुकर उसका आशीर्वाद लें। फिर उसके बाद भाई अपनी बहन को इच्छानुसार उपहार देता है।
क्यों मनाया जाता है रक्षा बंधन। kyun manaya jaata hai raksha bandhan
वैसे तो रक्षा बंधन मनाने के पीछे हमे अनेक पौराणिक कथाएं मिलती है। लेकिन आज हम रक्षा बंधन( Raksha Bandhan) से जुड़ी सबसे प्राचीन और प्रचलित कथा के बारे में जानेंगे।कहा जाता है कि देवराज इंद्र बार-बार राक्षसों से परास्त होते रहे। वह हर बार राक्षसों के हाथों देवताओं की हार से निराश हो गए। इसके बाद इन्द्राणी ने कठिन तपस्या की और अपने तपोबल से एक रक्षासूत्र तैयार किया। यह रक्षासूत्र इन्द्राणी ने देवराज इन्द्र की कलाई पर बांधा। तपोबल से युक्त इस रक्षासूत्र के प्रभाव से देवराज इन्द्र राक्षसों को परास्त करने में सफल हुए। तब से रक्षाबंधन पर्व की शुरुआत हुई।