प्रदोष व्रत हिंदी Katha | Pradosh Vrat Hindi katha
Pradosh Vrat 2024 – प्रदोष व्रत कथा : प्रदोष को प्रदोष कहने के पीछे एक कथा जुड़ी हुई है। संक्षेप में यह कि चंद्र को क्षय रोग था, जिसके चलते उन्हें मृत्युतुल्य कष्टों हो रहा था। भगवान शिव ने उस दोष का निवारण कर उन्हें त्रयोदशी के दिन पुन:जीवन प्रदान किया था अत: इसीलिए इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा।
प्रदोष व्रत की विधि | Pradosh Vrat ki vidhi
प्रदोष व्रत ( Pradosh Vrat ) पूजा विधि संध्या समय शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें। गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें। फिर शिवलिंग पर श्वेत चंदन लगाकर बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग, आदि अर्पित करें। फिर विधिपूर्वक पूजन करें और आरती उतारें।
प्रदोष व्रत की पूजन सामग्री | Pradosh Vrat ki pujan saamagree
प्रदोष व्रत ( Pradosh Vrat ) पूजा-सामग्री लाल या पीला गुलाल, अक्षत, कलावा, चिराग, फल, फूल, सफेद मिठाई, सफेद चंदन, बेलपत्र, धागा, कपूर, धूपबत्ती, घी, गुड़, शक्कर, गन्ने का रस, गाय का दूध, अबीर, धतूरा, भांग, जनेऊ, अगरबत्ती, दीपक, आक के फूल, 5 प्रकार के मौसमी फल आदि।
प्रदोष व्रत के लाभ | Pradosh Vrat ke laabh
प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न कर जीवन में सुख-समृद्धि, लक्ष्मी प्राप्त करने का स्वर्णिम अवसर है। प्रदोषकाल में शिव पूजन अत्यन्त लाभदायक होता है। रावण के पास जितनी भी धन-सम्पदा थी, वह सब शिव कृपा का ही प्रताप था। रावण प्रदोष काल में शिव को प्रसन्न कर, सिद्धियां प्राप्त करता था।
प्रदोष व्रत के नियम | Pradosh Vrat ke niyaam
प्रदोष व्रत के नियम (Pradosh Vrat Ke Niyam) पूजा स्थल पर भगवान शिव की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें और विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करें।प्रदोष व्रत के पूरे दिन उपवास रखना चाहिए। इस दिन निर्जला उपवास करना और भी फलदायी माना जाता है। शाम के समय में पुनः भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के बाद फलहार से अपना व्रत खोलें।
माना जाता है किप्रदोष व्रत ( Pradosh Vrat) रखने से दो गायों को दान करने का पुण्य प्राप्त होता है. प्रदोष का व्रत एक बार में 11 या 26 प्रदोष तक ही रखा जाता है. 11 या 26 प्रदोष व्रत करने के बाद इसका उद्यापन कर देना चाहिए तभी इस व्रत का पूरा लाभ मिल पाता है. प्रदोष व्रत के उद्यापन में कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
प्रदोष व्रत कैसे करते हैं विधि बताइए? | Pradosh Vrat 2024 kaise karte hain vidhi btaiye ?
ब्रह्मा मुहूर्त में उठें
स्नान कर सफेद रंग के वस्त्र पहनें
मंत्र जाप करें
प्रदोष व्रत में हरी मूंग और फलाहार का सेवन करें
व्रत में नमक, लाल मिर्च और अन्न का सेवन न करें
उत्तर-पूर्व की दिशा में मुख करके प्रभु की पूजा करें
प्रदोष व्रत डेट – प्रदोष व्रत कब है |Pradosh Vrat 2024 kab hain – Pradosh Vrat Date
Ravi Pradosh Vrat 2023 : इस समय मार्गशीर्ष मास चल रहा है। मार्गशीर्ष मास का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व होता है। मार्गशीर्ष मास का दूसरा प्रदोष व्रत 24 दिसंबर को है। 24 दिसंबर को रविवार है।
अप्रैल में प्रदोष व्रत कब है? | April mein Pradosh Vrat kab hain
वहीं इस तिथि की समाप्ति अगले दिन 18 अप्रैल मंगलवार को दोपहर 01 बजकर 27 मिनट पर हो रही है। वहीं प्रदोष व्रत की पूजा (Pradosh Vrat ki pooja ) शाम को की जा जाती है। इसलिए प्रदोष व्रत 17 अप्रैल को रखा जाएगा।
प्रदोष का व्रत कब करना चाहिए? | Pradosh ka Vrat kab karna chaiye
एकादशी के ठीक तीसरे दिन यानी त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है. यह प्रदोष व्रत सायंकालीन बेला है. कई बार द्वादशी तिथि पर शाम को यदि त्रयोदशी तिथि लग जाती है तो उसी दिन प्रदोष व्रत किया जाता है. प्रदोष व्रत भगवान भोलेनाथ का व्रत है.
प्रदोष व्रत की शुरुआत कैसे करें? | Pradosh Vrat ki suruaanat kaise kare
पूरे दिन का उपवास रखने के बाद सूर्यास्त से थोड़ी देर पहले दोबारा से स्नान करें. शाम के समय प्रदोष काल में उतर-पूर्व दिशा में मुंह करके कुशा के आसन पर बैठ जाएं. उसके बाद भगवान शिव को जल से स्न्नान कराकर रोली, मोली, चावल, धूप, दीप से पूजा करें. भगवान शिव को चावल की खीर और फल अर्पण करें.
प्रदोष व्रत में क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए? | Pradosh Vrat me kya khana chaiye kya nahi khana chaiye
प्रदोष व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं
प्रदोष व्रत में लाल मिर्च, अन्न, चावल और सादा नमक नहीं खाना चाहिए। हालांकि आप पूर्ण उपवास या फलाहार भी कर सकते हैं।
प्रदोष का व्रत ( Pradosh ka Vrat ) एक बार में 11 या 26 प्रदोष तक ही रखा जाता है. इसके बाद इसका उद्यापन कर देना चाहिए.
प्रदोष व्रत में शाम को क्या खाया जाता है? | Pradosh Vrat me shaam ko kya khaya jaata hain
प्रदोष के व्रत में आप पूर्ण उपवास या फलाहार भी कर सकते हैं। प्रदोष काल में उपवास में सिर्फ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए, क्योंकि हरा मूंग पृथ्वी तत्व है और मंदाग्नि को शांत रखता है। प्रदोष व्रत में लाल मिर्च, अन्न, चावल और सादा नमक नहीं खाना चाहिए।
प्रदोष व्रत में शाम की पूजा कैसे करें? | Pradosh Vrat me shaam ki puja kaise kare
सूर्यास्त के पश्चात पुन: स्नान करके भगवान शिव का षोडषोपचार से पूजन करें। नैवेद्य में जौ का सत्तू, घी एवं शकर का भोग लगाएं, तत्पश्चात आठों दिशाओं में 8 दीपक रखकर प्रत्येक की स्थापना कर उन्हें 8 बार नमस्कार करें।
प्रदोष व्रत में सेंधा नमक खा सकते हैं क्या? | Pradosh Vrat me sendha namak kha sakte hain kya
उपवास में केवल सेंधा नमक का सेवन ही मान्य है और अन्य नमक का सेवन वर्जित है। ऐसा इसलिए क्योंकि, सेंधा नमक पुर्णतः शुद्ध होता है।
प्रदोष व्रत में दूध पी सकते हैं क्या? | Pradosh Vrat me doodh pee sakte hain kya
हल्के संस्करण में, भक्त दिन भर दूध और फल ले सकते हैं और मंदिरों में शिव पूजा के बाद प्रदोष के दिन शाम को उपवास समाप्त कर सकते हैं।
प्रदोष व्रत कितने घंटे का होता है? | Pradosh Vrat kitne ghante ka hota hain
गुरु प्रदोष व्रत पूजन मुहूर्त: प्रदोष व्रत ( Pradosh Vrat ) में शिव पूजन प्रदोष काल में करना अति लाभकारी माना गया है। प्रदोष काल का समय सूर्यास्त के बाद रात्रि के आने से पूर्व का समय होता है। 26 अक्टूबर को शिव पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 41 मिनट से रात 08 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। पूजन की कुल अवधि 02 घंटे 34 मिनट की है।
प्रदोष का मतलब क्या होता है? | Pradosh ka matlab kya hota hain
प्रदोष काल का अर्थ होता है शाम का समय. इस दिन प्रदोष काल में शिव जी की आराधना की जाती है. प्रदोष काल का अर्थ होता है सूर्य अस्त होने से 45 मिनट पहले का समय और सूर्य अस्त होने के 45 मिनट बाद तक रहता है.
प्रदोष व्रत का उद्यापन कौन से महीने में करना चाहिए? | Pradosh Vrat 2024 ka udyaapan konse mahine mein karna chaiye
प्रदोष व्रत का उद्यापन ( Pradosh Vrat ka udyaapan ) किसी भी महीने की त्रयोदशी को किया जाता है लेकिन माघ माह में करना लाभकारी माना गया है।
प्रदोष व्रत कौन रख सकता है? | Pradosh Vrat kon rakh sakta hain
इसलिए इसे त्रयोदशी व्रत भी कहते हैं। प्रदोष व्रत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से शुरू किया जा सकता है। प्रदोष व्रत ( Pradosh Vrat ) को कोई भी रख सकता है। मान्यता है प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं।
माना जाता है कि प्रदोष व्रत रखने से दो गायों को दान करने का पुण्य प्राप्त होता है. प्रदोष का व्रत एक बार में 11 या 26 प्रदोष तक ही रखा जाता है. 11 या 26 प्रदोष व्रत करने के बाद इसका उद्यापन कर देना चाहिए तभी इस व्रत का पूरा लाभ मिल पाता है. प्रदोष व्रत के उद्यापन में कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
प्रदोष व्रत में सेंधा नमक खाया जाता है ( pradosh vrat mein sendha namak kha sakte hain )
उपवास में केवल सेंधा नमक का सेवन ही मान्य है और अन्य नमक का सेवन वर्जित है। ऐसा इसलिए क्योंकि, सेंधा नमक पुर्णतः शुद्ध होता है।
प्रदोष व्रत के नियम ( Pradosh Vrat ke Niyaam )
प्रदोष व्रत के पूरे दिन उपवास रखना चाहिए। यदि संभव हो तो इस दिन निर्जला व्रत भी रख सकते हैं। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, इसलिए सूर्यास्त से पहले दोबारा स्नान कर लें और सफेद रंग का वस्त्र पहनें। शाम के समय में पुनः महादेव की पूजा-अर्चना करने के बाद फलाहार से अपना व्रत खोल सकते हैं।
प्रदोष व्रत में शाम को क्या खाना चाहिए – प्रदोष व्रत में क्या खाया जाता है( Pradosh Vrat mein shaam ko kya kahana chahiye )
प्रदोष काल में उपवास में सिर्फ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए, क्योंकि हरा मूंग पृथ्वी तत्व है और मंदाग्नि को शांत रखता है। प्रदोष व्रत में लाल मिर्च, अन्न, चावल और सादा नमक नहीं खाना चाहिए। हालांकि आप पूर्ण उपवास या फलाहार भी कर सकते हैं।
प्रदोष व्रत में नमक खाना चाहिए या नहीं | Pradosh Vrat mein Namak khana chahiye yaa nahi
प्रदोष व्रत में नमक का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
प्रदोष का मतलब क्या होता है? | Pradosh ka matlab kya hota hai
प्रदोष काल का अर्थ होता है शाम का समय. इस दिन प्रदोष काल में शिव जी की आराधना की जाती है. प्रदोष काल का अर्थ होता है सूर्य अस्त होने से 45 मिनट पहले का समय और सूर्य अस्त होने के 45 मिनट बाद तक रहता है.
प्रदोष व्रत की पूजा कैसे करते हैं | Pradosh vrat ki puja kaise karte hain
प्रदोष व्रत करने की विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi)
इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें
स्नान के बाद साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
फिर भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प लें
यदि संभव है तो व्रत -उपवास करें.
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
शिव -पार्वती जी के साथ-साथ श्री गणेश की पूजा करें.
प्रदोष व्रत का उद्यापन कैसे होता है | Pradosh vrat ka udyapan kaise hota hai
उद्यापन करने से एक दिन पहले भगवान गणेश की पूजा करना शुभ होता है. जिस दिन उद्यापन (Pradosh Vrat Udyapan) किया जाना है उससे एक रात पहले घर में कीर्तन व जागरण किया जाता है. उद्यापन के दिन सुबह सवेरे स्नान पश्चात पूजा का मंडप सजाया जाता है. इसके अलावा, घर में रंगोली बनाना शुभ मानते हैं.
प्रदोष व्रत की शुरुआत कैसे करें? | Pradosh Vrat ki shuruaat kaise karen
कैसे करें प्रदोष व्रत : नैवेद्य में जौ का सत्तू, घी एवं शकर का भोग लगाएं, तत्पश्चात आठों दिशाओं में 8 दीपक रखकर प्रत्येक की स्थापना कर उन्हें 8 बार नमस्कार करें। इसके बाद धर्म सत्वं वृषरूपेण से नंदीश्वर (बछड़े) को जल एवं दूर्वा खिलाकर स्पर्श करें। शिव-पार्वती एवं नंदकेश्वर की प्रार्थना करें।
प्रदोष व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए | Pradosh vrat me kya nahi khana chahiye
फिर शाम को प्रदोष काल में भगवान शिव की आरती करें। प्रदोष व्रत के दिन क्या करें- क्या नहीं: प्रदोष व्रत के दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
इस महीने का प्रदोष व्रत कब है | Iss Mahenee ka Pradosh Vrat kab hain
फरवरी पहला प्रदोष व्रत 2024 मुहूर्त : 7 फरवरी को पहले प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 05 मिनट से रात 08 बजकर 41 मिनट तक है.