शंख का सनातन धर्म में बहुत पवित्र स्थान है। दैवीय शक्तियों से लैस इस शंख के बगैर किसी भी पूजा को पूर्ण नहीं माना जाता है। इसके महत्वपूर्ण होने का सबसे बड़ा साक्ष्य यह है कि शंख हिन्दू धर्म के लगभग देवी-देवता के हाथों में होता है।
Shankam त्रिरेख, कंबु, सुनाद, कंबोज, समुद्रज, जलज, पावनध्वनि, महानाद, हरिप्रिय, जलोद्भव, विष्णुप्रिय, धवल, स्त्रीविभूषण, अर्णोभव आदि नामों से भी प्रचलित है।
खासतौर पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों ने ही अपने हाथ में धारण किया हुआ है। पुराणों में यह बात उल्लेखित है कि Shankam का उद्भव समुद्र मंथन के दौरान हुए 14 रत्नों में हुआ था।
यह शंख तीन प्रकार का होता है :
1. वामवर्ती शंख
2. मध्यवर्ती शंख
3. दक्षिणावर्ती शंख
1. पूजा में शंख बजाने से उस घर में भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता का वास सदैव बना रहता है।
2. शंख बजाने से घर का शुद्धिकरण होता है और बुरी शक्तियां नष्ट होती हैं।
3. अथर्ववेद में यह वर्णन है कि शंख की पावन ध्वनि से सभी भूत प्रेत की बाधाएं दूर हो जाती है।
4. शंख लक्ष्मी मां के भ्राता माने जाते हैं अतः शंख का प्रयोग करने से व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है। यह सभी shankh blowing benefits हैं।
5. पौराणिक कथा में यह वर्णन है कि करींब 1008 शंख की उत्पत्ति शंखचूड़ की अस्थियों से हुई थी। तभी से इसका प्रयोग शुभ कार्यों में किया जाने लगा।
6. समुद्र मंथन के दौरान निकले 14 रत्नों में लक्ष्मी मां के साथ उनके भ्राता कहे जाने वाले शंख भी थे शामिल।
शंख के आध्यात्मिक फायदों के साथ ही इसके वैज्ञानिक लाभ भी है, आइये जानते हैं इसके वैज्ञानिक लाभ :
1. शंख की ध्वनि से निकलने वाली तरंगे बैक्टीरिया को खत्म कर देती हैं।
2. Shankam बजाने से पूरक, कुम्भक और रेचक क्रिया अपने आप हो जाती है। यह फेफड़ों को मजबूत रखने का कार्य करता है।
3. अस्थमा से पीड़ित लोग रोज शंख बजाएं तो इससे उन्हें इस रोग से छुटकारा मिल सकता है।
4. हड्डियों से संबंधित बीमारी से जूझ रहे लोगों को Shankam में रखा हुआ पानी पीने की सलाह दी जाती है। उस पानी में सल्फर, फॉस्फोरस और कैल्शियम की मात्रा अधिक पाई जाती है।
1. सर्वप्रथम मन-मस्तिष्क को एकाग्र करते हुए अपनी गर्दन को हल्का सा ऊपर की ओर उठाकर पीछे करें।
2. इसके बाद गहरी श्वांस लेते हुए तीव्रता के साथ फूंक मारना आरम्भ करें।
3. ध्यान देने वाली बात यह है कि shankam फूंकना एक ही सांस में पूरा होना चाहिए।
4. शंख बजाने की इस प्रक्रिया से व्यक्ति की सुषुम्ना नाडी सक्रिय हो जाती है।
5. Shankh Blowing time की बात करें इसे सुबह और शाम दोनों ही समय में बजाना चाहिए। शंख को दोनों समय में बजाने से इसके अत्यधिक प्रभाव देखने को मिलेंगे।
big size blowing shankh व्यक्ति के फेफड़ों के लिए बहुत लाभदायक है। श्वांस से जुड़े रोगों जैसे अस्थमा से जूझ रहे लोग यदि शंख प्रतिदिन बजाते है तो इससे उनके फेफड़ों की क्षमता बढ़ने की संभावना रहती है।
विश्व का सबसे बड़ा शंख ( Shankam ) केरल राज्य में गुरुवयूर के श्रीकृष्ण मंदिर में मौजूद है, जिसकी लंबाई लगभग आधा मीटर और करीब वजन दो किलो है।
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