पापमोचनी एकादशी व्रत कथा ( Papmochani Ekadashi Vrat Katha )
Papmochani Ekadashi Vrat Katha – पापमोचनी एकादशी व्रत ( Papmochani Ekadashi Vrat ) की कथा में, एक प्राचीन काल की बात है जब चैत्ररथ नामक वन में ऋषि मेधावी तपस्या कर रहे थे। उनके तप को देखकर इंद्र देव को भय होने लगा कि कहीं ऋषि उनसे अपना राज्य न मांग लें। इसलिए, इंद्र देव ने अप्सरा मंजूघोषा को भेजकर ऋषि का तप भंग करवाया। मंजूघोषा के नृत्य से ऋषि मेधावी प्रभावित हो गए और उनके साथ भोग-विलास में रहने लगे। इस प्रकार, वे अपने तप का ध्यान भूल गए।
जब 57 साल बीत गए, तब मंजूघोषा को लगा कि उनका काम पूरा हो गया है और उन्हें स्वर्गलोक जाना चाहिए। लेकिन ऋषि मेधावी ने उन्हें श्राप दिया कि वे पिशाचनी बनेंगी। इसके बाद, उन्होंने पापमोचनी एकादशी का व्रत किया और अपने पापों से मुक्ति प्राप्त की। उन्होंने फिर से तपस्या की और मंजूघोषा को पिशाचनी यौनी से मुक्ति दिलाई।
इस कथा से यह सिद्ध होता है कि पापमोचनी एकादशी का व्रत ( Papmochani Ekadashi Vrat ) करने से सभी पापों का नाश होता है।
पापमोचनी एकादशी व्रत की पूजा विधि ( Papmochani Ekadashi Vrat Vidhi )
पापमोचनी एकादशी व्रत ( Papmochani Ekadashi Vrat ) की पूजा विधि बहुत ही साधारण है। इस व्रत में पहले तो स्नान करना चाहिए, जिससे शुद्धि मिले। फिर इस व्रत के दिन पर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पूजा में तुलसी के पत्ते, फल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, गंगाजल, और अपनी पसंदीदा परिस्थितियों के अनुसार अन्य प्रसाद चढ़ाना चाहिए।
साथ ही, भगवान विष्णु की कथा और आरती भी करनी चाहिए। विशेष रूप से इस दिन की रात्रि में भगवान विष्णु की पूजा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस रात्रि को सावधानी से बिताना चाहिए और भगवान के नाम का जाप करते हुए जागरण करना चाहिए।
पापमोचनी एकादशी व्रत को करने से पापों का नाश होता है और व्रती को भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह व्रत भक्ति और शुद्धि का संदेश देता है, और साधक को स्वयं को भगवान के समीप और पवित्र स्थान पहुंचाता है।
पापमोचनी एकादशी व्रत का महत्व – पापमोचनी एकादशी के क्या लाभ हैं? ( Papmochani Ekadashi Vrat Ka Mahatv )
पापमोचिनी एकादशी का व्रत आरोग्य, संतान प्राप्ति और प्रायश्चित के लिए किया जाता है. इस व्रत को करने से सभी प्रकार की मानसिक समस्या दूर हो जाती है. ये व्रत चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है. इस बार पापमोचनी एकादशी व्रत ( Papmochani Ekadashi Vrat ) शनिवार, 5 मार्च को रखा जाएगा.
पापमोचनी एकादशी 2024 में कब हैं ? ( Papmochani Ekadashi 2024 mein kab hai )
हिंदू कैलेंडर में, पापमोचनी एकादशी ( Papmochani Ekadashi ) एक विशेष महत्व रखने वाला पर्व है, जो भक्तों को उनके कर्मों के बंधनों से मुक्त होने का अवसर प्रदान करता है। वर्ष 2024 में, यह पावन तिथि 5 अप्रैल, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी।
सबसे पहले सुबह सूर्योदय के पहले उठें और स्नान करें. इसके बाद सूर्य भगवान को अर्घ्य दें. इसके बाद साफ कपड़े पहने और मन में श्री हरि का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें. इसके बाद पूजा स्थल पर एक पाटे पर साफ कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी की फोटो या मूर्ति स्थापित करें.
पापमोचनी एकादशी में क्या करना चाहिए? ( Papmochani Ekadashi mein kya karana chahiye )
पाप का अर्थ है पाप और मोचनी का अर्थ है पाप हटाने वाला। पापमोचनी एकादशी व्रत ( Papmochani Ekadashi Vrat ) के दिन, भक्त विष्णु पूजा और उपवास करके भगवान विष्णु की पूजा करते हैं । मान्यताओं के अनुसार, उपवास करने से अनुयायियों को शांत जीवन जीने और पिछली गलतियों के पछतावे से उबरने में मदद मिलती है।
यह एकादशी सभी तरह के पापों से मुक्ति दिलाती है। चैत्र कृष्ण एकादशी को पापमोचिनी एकादशी कहा जाता है। इस व्रत को करने से मनुष्य जहां विष्णु पद को प्राप्त करता है वहीं उसके समस्त कलुष समाप्त होकर निर्मल मन में श्रीहरि का वास हो जाता है। यह व्रत चैत्रादि सभी महीनों के शुक्ल और कृष्ण दोनों पक्षों में किया जाता है।