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    Home » Navratri Special : Maa Siddhidatri की ये कथा पढ़े बिना अधूरी है नवरात्री
    Durga

    Navratri Special : Maa Siddhidatri की ये कथा पढ़े बिना अधूरी है नवरात्री

    VeshaliBy VeshaliOctober 25, 2023Updated:October 25, 2023
    Maa Siddhidatri
    Maa Siddhidatri, cosmic mother sitting on lotus
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    Maa Siddhidatri  –  आशीर्वाद, शक्ति और भक्ति का प्रतीक”

    जय माता दी । आप सभी को महानवमी की हार्दिक शुभकामनाये। आज ,महानवमी के दिन हम माँ के नवे रूप ‘ Maa Siddhidatri’ की पूजा करते है। अगर किसी भक्त ने पुरे नवरात्री पूजा नही की लेकिन नवरात्री के नवे दिन वह माँ सिद्धिदात्री की पूजा करले तो उस भक्त को पूरी नवरात्री का फल मिल जाता है।
    Maa Siddhidatri  , माँ दुर्गा का ही रूप है और उन्हें ‘आदिशक्ति’ के नाम से भी जाना जाता है.{1}

    माँ सिद्धिदात्री का कोई भौतिक रूप नहीं था है, बल्कि वह एक ऊर्जा थी । मां सिद्धिदात्री कमल पुष्प पर आसीन होती हैं, हालांकि इनका भी वाहन ‘सिंह’ है। मां चार भुजाओं वाली हैं और इनकी दाहिनी ओर की पहली भुजा में गदा और दूसरी भुजा में चक्र है। बांई ओर की भुजाओं में कमल और शंख है। माँ के नाम से ही हमें पता चल रहा है की माँ अपने भक्तों को आशीर्वाद के तौर पर सिद्धियां और शक्तियां प्रदान करती है। यहाँ तक की महादेव स्वयं इन देवी की पूजा, आराधना करते है। मान्यता है की महादेव ने देवी सिद्धिदात्री की तपस्या करके आठ सिद्धियां प्राप्त की थी

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    पुराणों के अनुसार जब ब्राह्माण में केवल अंधकार था तब एक ऊर्जा उत्पन्न हुई जो सिद्धिदात्री कहलाई। उस ऊर्जा ने ब्रह्मा, विष्णु और महादेव को प्रकट किया और उन्हें अपने कर्तव्य बाँट दिए, और वापस से ऊर्जा में बदल गयी।माँ के कहने पर त्रिलोक एक समुन्द्र के तट पर बैठ गए और तपस्या करने लगे, त्रिलोकों ने ब्राह्माण का निर्माण तो कर लिया लेकिन उसे कैसे चलाना है उसके लिए उन्होंने Maa Siddhidatri की आराधन की।{1}Siddhidatri maa

    Maa Siddhidatri : देवी का अद्वितीय रूप और ब्राह्माण के निर्माण का दान”

    आराधन से प्रसन्न हो कर माँ सिद्धिदात्री उनके सामने प्रकट हुई और आशीर्वाद में त्रिलोकों को अपनी ऊर्जा से शक्ति के रूप में , उनकी पत्नियां यानी माँ दुर्ग, माँ लक्ष्मी और माँ सरस्वती प्रदान की ताकि वो उनकी मदद से ब्राह्माण को अच्छे से चला सके और जीवन उत्त्पन कर सके, जिसके बाद ब्राह्माण का सम्पूर्ण निर्माण हो गया ।

    कुछ समय बाद महादेव के रौद्र रूप ने माँ सिद्धिदात्री की सालों साल घोर तपस्या की, उस समय माँ सिद्धिदात्री केवल एक ऊर्जा थी। महादेव की तपस्या से प्रसन्न होकर माँ सिद्धिदात्री महादेव की बाई ओर से प्रकट हो गयी और महदेव का रूप आधा पुरुष और आधा स्त्री का हो गया तबसे दोनो के इस रूप को अर्धनारेश्वर के नाम से जाना जाता है। महादेव और माँ सिद्धिदात्री का ये रूप संसार के ध्वन्ध को दर्शाता है की किस प्रकार इस संसार में हर चीज़ के दो पहलु है।

    वैसे देखा जाए तो माँ सिद्धिदात्री ही महाशक्ति है जो इस ब्राह्माण में शुरुआत से है।

    नवरात्री के आखिरी दिन जो की माँ को विदा करने का दिन है,

    उस दिन अगर कोई भी भक्त माँ सिद्धिदात्री की सही विधि विधान से पूजा और आराधना करता है तो माँ उसे सारी सिद्धियां प्रदान करती है।

    Maa

     

    मार्कण्डेय पुराण के अनुसार आठ सिद्धियां होती है, जो भी भक्त माँ की सच्चे मन्न से पूजा करता है तो वो भक्त ज़िन्दगी में कभी निराश नहीं होता और उसे आठों सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है।

    तो चलिए आपको बताते है की कैसे करे Maa Siddhidatri की पूजा ?

    सुबह उठकर स्नान करके बैंगनी रंग के वस्त्र धारण कर ले, माँ का पसंदीदा रंग बैगनी रंग है।
    अगर आपने अपने घर पर कलश रखा है तो उस कलश के सामने लाल आसान रख कर बैठ जाए। माँ को लाल रंग के फूल चढ़ाए। अगर गुड़हल के फूल हो तो और भी अच्छा रहेगा क्यों की माँ को गुड़हल के फूल बेहद पसंद है।

    इसके बाद आप माँ को श्रृंगार भी चढ़ा सकते है। इस दिन माँ को सफ़ेद तिल का भोग लगाए। सफ़ेद तिल का भोग माँ को बहुत पसंद है, ये भोग लगाने से माँ बेहद प्रसन्न हो जाती है। इसलिए माँ को ये भोग ज़रूर लगाए। आज के दिन माता के लिए आप हवन भी करा सकते है।

    कई भक्त आज के दिन कुमारी कन्या पूजन भी करते है, कुमारी पूजन का अर्थ ये ही होता है की माँ दुर्गा के इन नौ रूपों को आप घर पर बुला के पूजा करते है जिससे माँ खुश होकर सारी इच्छाए पूरी कर देती है।

    आप सिद्धिदात्री माँ की पूजा करते समय इस मंत्र का 108 बार रूद्रक्ष की माला से जप कर सकते है, मंत्र इस प्रकार है

    ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम: सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा Siddhidatri॥

    इस मन्त्र का ध्यान पूर्वक जप करने से आपके जीवन में चमत्कार ही चमत्कार होंगे।

     Maa Siddhidatri की आरती

    जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता!!

    तू भक्तों की रक्षक
    तू दासों की माता!!

    तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धी
    तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि!!

    कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम
    हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम!!

    तेरी पूजा में न कोई विधि है
    तू जगदंबे दाती, तू सर्वसिद्धी है!!

    रविवार को तेरा सुमरिन करे जो
    तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो !!

    तू सब काम कराती है उसके पूरे
    कभी काम उसके रहे न अधूरे!!

    तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया
    रखे जिसके सर पर मैया अपनी छाया!!

    सर्व सिद्धी दाती वह है भाग्यशाली
    जो है तेरे दर का ही मां अंबे सवाली!!

    हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा
    महानंदा मंदिर में है वास तेरा!!

    मुझे आसरा तुम्हारा ही माता
    भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता!

    जय माता दी

     

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