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    Narmadeshwar Ardhnareshwar Shivling for pooja Home

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    Narmadeshwar Shivling क्या है?

    Narmadeshwar ardhnareshwar Shivling शिवलिंगों में सबसे प्रख्यात शिवलिंग है यह पवित्र नर्मदा के किनारे पाया जाने वाला एक विशेष गुणों वाला शिवलिंग है
    इसलिए इस शिवलिंग को नर्मदेश्वर शिवलिंग कहा जाता हैं। यह घर में भी स्थापित किए जाने वाला पवित्र और चमत्कारी शिवलिंग है; जिसकी पूजा अत्यन्त फलदायी है।
    यह साक्षात् शिवस्वरूप, सिद्ध व स्वयम्भू शिवलिंग है। इसको वाणलिंग भी कहते हैं।

    Narmadeshwar ardhnareshwar Shivling क्या है ?

    शिव पुराण में वर्णित कथा के अनुसार ब्रह्मा व विष्णु भगवान के मध्य बड़प्पन को लेकर युद्ध हुआ था। भगवान शिव इस युद्ध को देख रहे थे।
    दोनों के युद्ध को शांत करने के लिए भगवान शिव महाग्नि तुल्य स्तंभ के रूप में प्रकट हुए। इसी महाग्नि तुल्य स्तंभ को काठगढ़ स्थित महादेव का विराजमान शिवलिंग माना जाता है।
    इसे अर्धनारीश्वर शिवलिंग भी कहा जाता है।

    Narmadeshwar ardhnareshwar Shivling की पूजा से क्या होता है? 

    पंडितों के अनुसार सावन के तीसरे सोमवार को अर्द्धनारीश्वर शिव का पूजन किया जाता है।
    इनकी विशेष पूजन से अखंड सौभाग्य, पूर्ण आयु, संतान प्राप्ति, संतान की सुरक्षा, कन्या विवाह, अकाल मृत्यु निवारण व आकस्मिक धन की प्राप्ति होती है।

    Narmadeshwar ardhnareshwar Shivling पूजा कैसे करे?

    • सावन के दूसरे सोमवार पर सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद भोलेनाथ का जलाभिषेक करें.
    • महादेव के अर्धनारीश्वर रूप का ध्यान करते हुए माता पार्वती की पूजा भी करें.
    • शिवलिंग पर चंदन, बेलपत्र, धतूरा और अक्षत चढ़ाएं, साथ ही माता पार्वती को सोलहा श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें.
    • षडोपशाचार से माता गौरी-महादेव के पूजन के बाद खीर का भोग लगाएं
    • Narmadeshwar ardhnareshwar Shivling स्वरूप की पूजा करते समय ‘ऊं महादेवाय सर्व कार्य सिद्धि देहि-देहि कामेश्वराय नमरू मंत्र का 11 माला जाप करना बहुत फलदायी माना गया है
    • सावन सोमवार की पूजा में Narmadeshwar ardhnareshwar Shivling स्तोत्र के पाठ से पति-पत्नी के रिश्तों में तनाव नहीं रहता. शिव-शक्ति की संयुक्त कृपा प्राप्त होती है.
    • परिवार सहित भोलेनाथ की आरती करें और फिर प्रसाद बांट दें.
    • शिव ने क्यों लिया अर्धनारीश्वर रूप?

    शिव का अर्धनारीश्वर रूप पुरुष और स्त्री की समानता का प्रतीक माना जाता है. समाज में स्त्री और पुरुष का जीवन एक दूसरे के बिना अधूरा है.
    शिव पुराण के अनुसार शिव जी का यह स्वरूप संसार के विकास की निशानी है पौराणिक कथा के अनुसार सृष्टि के निर्माण की जिम्मेदारी ब्रह्मा जी की थी.
    जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि के निर्माण का काम शुरु किया, तब वे चिंतित थे कि इसके विकास की गति कैसे होगी.

    भगवान शिव अर्धनारेश्वर कैसे बने ?

    सृष्टि के प्रारम्भ में जब ब्रम्हा जी द्वारा रची गयी मानसिक सृष्टि विस्तार न पा सकी, जिससे ब्रह्मा जी को बहुत दुःख हुआ। उसी समय आकाशवाणी हुई ब्राह्मण।
    अब मैथुनी सृष्टि करो। तब ब्रह्माजी ने सोचा कि परमेश्वर शिव की कृपा के बिना मैथुनी सृष्टि नहीं हो सकती। अतः वे उन्हें प्रसन्न करने के लिए कठोर तप करने लगे। बहुत दिनों
    तक ब्रह्माजी अपने हृदय में प्रेमपूर्वक भगवान शिव का ध्यान लगा कर बैठे रहे। एक दिन उनके तप से प्रसन्न होकर भगवान उमा-महेश्वर ने उन्हें अर्धनारीश्वर रूप में दर्शन दिया।

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