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    Home » The Battle Of Mundamala Ghat – बिष्णुपुर के राजा महाराजा बीर हंबीर मल्ल की वीरता
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    The Battle Of Mundamala Ghat – बिष्णुपुर के राजा महाराजा बीर हंबीर मल्ल की वीरता

    VikashBy VikashDecember 19, 2023Updated:December 19, 2023
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    मुंडमालाघाट की लड़ाई | The Battle Of Mundamala Ghat

    Mundamala Ghat Battle : तो दोस्तों आज के बेहद खास लेखन मे हम एक ऐसे महान वीर योद्धा के युद्ध के बारे मे जानेंगे, जिन्होंने इतिहास मे माँ काली को भेट मे असली इंसानों के सर की बनी मुंडमाला चडावे मे दी थी।

    The Battle Of Mundamala Ghat
    The Battle Of Mundamala Ghat

    यह कहानी हैं सन 1575, जब भारत मे मुगलों का शासान काफी तेजी से बढ़ता जा रहा था। उस समय बिष्णुपुर राज्य बंगाल क्षेत्र मे अद्वितीय गौरव पर खड़ा था। उस वक्त भारत मे अफ़गान आक्रमणकारी सोलेमान खान करानी का शासन चल रहा था। वह पूरे बंगाल को हराना चाहता था, लेकिन उससे पहले ही सोलेमान खान करानी के एक लापरवाह बेटे दाऊद खान करानी ने बंगाल मे स्थित बिष्णुपुर पर लग भग एक लाख से अधिक पठान सैनिकों की विशाल सेना लिए बिष्णुपुर की ओर बढ़ गया।

    इससे पहले हम सभी ने आपको अतीत के एक ऐसे युद्ध के बारे बताया था जिसमे चार हजार नागा साधुओ ने मिलकर चालीस हजार आक्रमणकारीयो को मौत के घाट उतार था।

    इसकी भनक बिष्णुपुर के राजकुमार हमीर मल्ले देव को हुई, उस समय हमीर मल्ले देव मल्ल भूमि की कुलदेवी माँ मृणमयी यानि माँ काली की पूजा कर रहे थे। पूजा को पुन: करके हमीर मल्ले देव ने अपनी सेना को युद्ध के लिए तैयार किया। तब तक बहुत देर हो चुकी थी, आक्रमणकारीयो ने बिष्णुपुर मे बसे रानीसागर नामक छोटे से गाँव मे तब तक हमला कर चुके थे। लाखों की सेना ने जब रानीनगर मे हमला किया। तो वहाँ के लोगों मे भगदड़ मच गई और लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर भागने लगे।

    Mundamala Ghat Battle
    Mundamala Ghat Battle

    रानीनगर को दवस्त करने के बाद, आक्रमणकारीयो ने अपनी सेना को राजकुमार हमीर मल्ले देव के किले की ओर मोड दी। वैसे बिष्णुपुर साम्राज्य में कुल बारह किले थे, जिनमें से एक मुंडमाल किला था। और यह युद्ध इसी किले के सामने हुआ। हमीर मल्लो देव ने अपनी सेना के साथ युद्ध मे उतर गए। दोनों पक्षों के बीच धमासान युद्ध छिड़ गया, सम्पूर्ण रणभूमि पठान सैनिको की चीखो से गूंज उठी। युद्ध इतना भयंकर था की भारी संख्या मे पठान सैनिक की लाशे जमीन पर दवस्त होने लगी और युद्ध उन्ही लाशों के ऊपर होने लगा। राजकुमार हमीर मल्ले देव और उनके सैनिको ने आक्रमणकारीयो को इतनी क्रूरता से मारा की इसका अंदाजा इस तरह लगाया जा सकता हैं की, किले के पूर्वी द्वार पठान सैनिकों की लाशों से भर गया। लंबे समय युद्ध चलने के बाद आखिर मे जीत बिष्णुपुर के राजकुमार हमीर मल्लो देव की हुई।

    लाशों का भारी ढेरा हटाने से पहले हमीर मल्लो देव ने पठान सैनिकों की लाशों का सर काट कर मुंडमाला बनाई और उसे दानव संहारक माँ मृणमयी देवी को उपहार के रूप मे चड़ाई। तभी से इस युद्ध को मुंडमाला घाट युद्ध/ Mundamala Ghat Battle के नाम से जाना जाने लगा।

    मुंडमालाघाट की लड़ाई | The Battle Of Mundamala Ghat

    बंगाल प्रांत के अधिकांश भाग अभी भी इस्लामी आक्रमण से वंचित थे। गौर में अफगान आक्रमणकारी सोलेमान खान कर्रानी के शासनकाल के दौरान, बिष्णुपुर का राज्य बंगाल के रार क्षेत्र में एक अद्वितीय गौरव पर खड़ा था। सुलेमान के लापरवाह बेटे दाऊद खान कर्रानी ने पूरे बंगाल पर आक्रमण करने का सपना देखा। 1575 ई. में दाऊद खान ने 1,00000 पठान सैनिकों की विशाल सेना के साथ बिष्णुपुर पर हमला किया। श्रद्धेय फकीर नारायण कर्मकार महाशय लिखते हैं – “दाऊद खान अचानक एक लाख से अधिक सैनिकों और समान गोला-बारूद के साथ बिष्णुपुर के पास रानीसागर नामक गाँव में आया और डेरा डाला।” बर्बर आक्रमणकारियों ने मूल आबादी के एक बड़े हिस्से का नरसंहार किया और कई लोगों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया। दाऊद खान की लाखों की सेना के अचानक हमले से रानीसागर के लोग शर्मिंदा हो गये। 

     Mundamala Ghat Battle
    Mundamala Ghat Battle

    मंडला में कौन कौन सी नदी का संगम है?

    इतिहास में यह गोंड रानी दुर्गावती का गढ़ हुआ करता था। यह नर्मदा नदी के किनारे बसा हुआ है और पास ही वह संगम है जहाँ बंजर नदी का नर्मदा में विलय होता है।

    मंडला क्यों प्रसिद्ध है?

    मंडला नगर, नर्मदा नदी के किनारे जबलपुर के 45 मील दक्षिण-पूर्व में मंडला जिले का प्रशासनिक केन्द्र है, जो तीन ओर से नर्मदा द्वारा घिरा हुआ हैं। फुल धातु (Bell metal) के पात्रों के लिये विख्यात है। यह गोंड़ वंश की राजधानी रह चुका है। यहाँ किले और प्रासाद के अवशेष हैं।

    मंडला में कौन सा किला है?

    रामनगर किला, 17 वीं शताब्दी के अंत में गोंड राजा द्वारा बनाया गया था। यह नर्मदा नदी के पास में बनाया गया है इस किले की मुख्य विशेषता इसकी तीन मंजिला रणनीतिक निर्माण है। यह नर्मदा नदी के तट पर बनाया गया था ताकि नदी तीन पक्षों से रक्षा करे।

    मंडला जिले की रानी का नाम क्या था?

    रानी दुर्गावती ने राज्य को अत्यंत समृद्ध बनाया, कहा जाता है कि उनके शासनकाल में लोगों ने अपने करों का भुगतान सोने में किया।

    मुंडमाला घाट युद्ध | Mundamala Ghat yudh

    बंगाल प्रांत के अधिकांश भाग अभी भी इस्लामी आक्रमण से वंचित थे। गौर में अफगान आक्रमणकारी सोलेमान खान कर्रानी के शासनकाल के दौरान, बिष्णुपुर का राज्य बंगाल के रार क्षेत्र में एक अद्वितीय गौरव पर खड़ा था। सुलेमान के लापरवाह बेटे दाऊद खान कर्रानी ने पूरे बंगाल पर आक्रमण करने का सपना देखा। 1575 ई. में दाऊद खान ने 1,00000 पठान सैनिकों की विशाल सेना के साथ बिष्णुपुर पर हमला किया।
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