मोढेरा सूर्य मंदिर | Modhera Sun Temple
भारत मे मंदिरों की गिनती कर पाना सबसे कठिन या असंभव काम है। अगर इसे संभव बना भी दिया जाए तो हम सठिक आँकड़ा नहीं निकाल सकते। हर मंदिर के पीछे की कुछ न कुछ कहानी होती हैं, जो हर मंदिर को एक दूसरे से अलग बनाती हैं।
चाहे मंदिर इतिहास का हो या बीते युगों का हो, वह अपने अंदर अन्य तरह के राज दफन रखता हैं, और उन राज से अगर कोई इंसान परिचित होता हैं तो वह एक शब्द बोलत हैं “असंभव”। वही अगर हम इन मंदिरों के राज खोजने की कोशिश करे तो अंत मे हमारे हाथ सिर्फ निराशा ही हाथ लगती हैं।
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आज के इस लेखन मे आप सभी को ऐसे रहस्यमय मंदिर के दर्शन कराने जा रहे हैं जिसे देख आप सभी हो जाएंगे हैरान। आईए बात करते हैं मोढेरा सूर्य मंदिर/ Modhera Sun Temple के रहस्य के बारे मे।
अहमदाबाद से तकरीबन सौ किलोमीटर की दूरी पर पुष्पावती नदी के किनारे पर मोढ़ेरा का विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर स्थित है। जिसे मोढ़ेरा सूर्य मंदिर के नाम से जाना जाता हैं। यह मंदिर प्रसिद्द हैं अपनी वास्तुकला से।
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एसी वास्तुकला जिसके सामने सात अजूबे भी फीके पड़ जाते हैं यह मंदिर खगोल विज्ञान, ज्योतिष, भौतिकी, ज्यामिति और साहित्य का एक बेहतरीन उद्धरण हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार गुजरात के इस मंदिर का निर्माण 1026-27 ईस्वी मे चालुक्य वंश के भीम प्रथम के शासनकाल के दौरान किया गया था। यह मंदिर भारत के अनोखी इतिहासिक का बेजोड़ उद्धरण हैं। यह मंदिर पहली नजर मे ही श्रद्धालुओ को अपनी ओर मंत्रमुग्ध कर लेता हैं, और सभी श्रद्धालु सोचने पर मजबूर हो जाते हैं की आखिर उस समय मे कारीगरों के पास ऐसे कौन से आधुनिक उपकरण थे, जिन्हे आज के समय मे भी करना इतना आसान नहीं हैं।
मंदिर को देखने भर से ही ऐसा प्रतीति हो जाता हैं की, पुराने काल और आज के काल की कलाओ मे कितना जमीन आसमान का फर्क हैं। जहा आज के समय मे घर बनाने और दिशा का पता लगाना बहुत ही साधारण सा काम हैं वही, पुराने समय मे इस मंदिर को सठिक पश्चिम दिशा मे बनाया गया है, अब यह सोचा जा सकता हैं की पिछले हजारों साल पहले लोगों के पास ऐसे कौन से आधुनिक उपकरण थे। जो वह इस्तेमाल करते थे।
वैसे भारत देश मे सूर्य देव के कई मंदिर हैं, लेकिन गुजरात के इस सूर्य देव के मंदिर मे भगवान सूर्य देव की ही पूजा नहीं होती, कई सालों पहले अकरमण्डकारियों ने मंदिर को तोड़ कर खंडित कर दिया था। और मंदिर के गर्भगृह मे एक सूर्य देव की एक मूर्ति हुआ करती थी जो कहा जाता हैं की विदेशी हमले द्वारा इसे चुरा लिया गया। मूर्ति इतनी सुंदर हीरो और सोने से जड़ी हुई थी की गर्भगृह मे मूर्ति के ऊपर सूर्य की किरणे पड़ने भर से पूरा मंदिर जग-मगा उठता था।
बात करे मंदिर की वास्तुकला की, तो इसका कोई जवाब नहीं। न जाने हमारे पूर्वजों के पास ऐसे कौन सी उन्नत तकनिके थी, जो उन्होंने ऐसे महान कार्य कर दिखाए, जिसे आज के समय मे कर पाना भी बहुत कठिन हैं;
मंदिर मे बने 52 खंबे हैं जिनकी लंबाई तकरीबन 30 फीट हैं, जिसे जटिल नक्काशी से सजाए गए हैं, और साल के प्रतेक हर एक हफ्ते को दर्शाता हैं। और मंदिर की बहारी दीवारों पर चारों ओर 364 हाथी और एक शेर की मूर्ति हैं, जो साल के प्रतेक दिनों की गिनतियाँ बताती हैं। साथ ही मंदिर की दीवारों और मंदिर मे बने खंभों पर हमारे भारतीय कथाओ को उपेरा गया हैं, जिसमे मुख्य रूप से रामायण और महाभारत को दर्शाया गया हैं।
इस मंदिर मे सबसे खूबसूरत अगर कुछ हैं तो वह हैं, मंदिर की गोलाकार छत जिसे देखने से ऐसा लगता हैं की, किसी चित्रकार ने इसका चित्र बनाया हो। लेकिन हककित तो यही हैं, की इसे पत्थरों को काट कर नक्काशी की गई हैं। इन सभी कलाकृति को देख कर मन मे बस यही सवाल आता हैं, की आखिर हमारे पूर्वजों ने इतनी जटिल कलाकृति कैसे की होगी।
यह थी मोढेरा सूर्य मंदिर/ Modhera Sun Temple की महान कलाकृति अब बात करते हैं मंदिर के अन्य चमत्कारी वास्तुकला के बारे मे।
साल के 21 जून की तारिक यह वही तारिक हैं जिस दिन भारत मे सबसे लंबा दिन होता हैं, इस दिन के सूरज की पहली और आखिरी किरण सीधा मंदिर के गर्भगृह पर पड़ती हैं, जिससे मंदिर बेहद खुसबसूरत दिखता हैं, अगर आज के समय मे सूर्य देव की मूर्ति चोरी न हुई होती तो वह इस मंदिर के गर्भगृह मे होती, और सूरज की किरणे पड़ने से मंदिर जग मगा उठता। वही दूसरी तरफ 21 जून की दोपहर को मंदिर पर कोई परछाई नहीं पड़ती, क्यूंकी उस दिन का सूरज मंदिर ठीक ऊपर होता हैं।
मंदिर मे एक सूर्यकुण्ड भी हैं जिसे आज के समय मे राम कुंड के नाम से भी जाना जाता हैं, यह कुंड काफी नीचे बनाया गया हैं, जिसमे पहुचने के लिए सीढ़िया बनाई गई हैं, और इसकी कुछ सीढ़ियों के आस पास देवीओ के टीले भी बनाए हैं। जिसमे एक समय पर उनकी मूर्तियाँ यहा रखी जाया करती थी। इस कुंड मे हर सुबह और शाम सूरज की किरणे पड़ती हैं और यह मोढेरा सूर्य मंदिर/ Modhera Sun Temple की खास वास्तुकला को दर्शाता हैं।
इस मंदिर की सबसे खास मान्यता हैं, की त्रेतायुग मे भगवान राम इस जगह पर आए थे। इसके पीछे की कहानी को इस तरह बताया हैं, की जब भगवान राम ने लंका के राजा रावण के संहार के बाद श्री गुरु वशिष्ट से ऐसा स्थान बताने के लिए कहा, जहां वह आत्मशुद्धि कर सके और ब्रह्म हत्या के पाप से भी मुक्ति पा सकें। तब श्री गुरु वशिष्ठ ने श्री राम को धर्मरण्य जाने की सलाह दी थी। सकंद पुराण और ब्रह्म पुराण मे बताया गया है कि प्राचीन काल में मोढ़ेरा के आसपास का पूरा क्षेत्र धर्मरण्य के नाम से जाना जाता था।
यह थी मोढ़ेरा सूर्य मंदिर की सम्पूर्ण जानकारी, हम सभी के लिए बहुत दुख भरी बात हैं की जिसे आज के समय मे हम मंदिर कह रहे हैं वह मात्र अब तक पर्यटक स्थल बनकर रह गई हैं, जिसमे लोग आज के समय मे सिर्फ घूमने के लिए आते हैं। भारत देश मे इस्लामिक और विदेशी अकरमण्ड के कारण हमने न जाने कितने सुंदर स्थलों को खों दिया हैं।
मोढेरा सूर्य मंदिर का इतिहास | Modhera Sun Temple History | Sun Temple Modhera History
मोढेरा सूर्य मंदिर का निर्माण किसने करवाया था? | Who Built Modhera Sun Temple | Sun Temple Modhera Built by
मोढेरा सूर्य मंदिर कहाँ स्थित है? | Where is Modhera Sun Temple Located | Where is Modhera Sun Temple
अहमदाबाद से तकरीबन सौ किलोमीटर की दूरी पर पुष्पावती नदी के किनारे पर मोढ़ेरा का विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर स्थित है। जिसे मोढ़ेरा सूर्य मंदिर के नाम से जाना जाता हैं। यह मंदिर अपनी वास्तुकला से प्रसिद्द हैं
मोढेरा सूर्य मंदिर प्रवेश शुल्क | Modhera Sun Temple Entry Fee
मोढेरा सूर्य मंदिर में प्रवेश बिलकुल निशुल्क है ।
अहमदाबाद से मोढेरा सूर्य मंदिर कितनी दूर है? | How to reach Modhera Sun Temple From Ahmedabad by Bus | How Far is Modhera Sun Temple From Ahmedabad
अहमदाबाद से तकरीबन सौ किलोमीटर की दूरी पर पुष्पावती नदी के किनारे पर मोढ़ेरा का विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर स्थित है। जिसे मोढ़ेरा सूर्य मंदिर के नाम से जाना जाता हैं।