महालक्ष्मी यन्त्र लॉकेट में समुद्र मंथन के दौरान प्रकट होने वाली Mahalakshmi देवी की शक्तियां समाहित हैं। इसे धारण करने वाले जातकों पर महालक्ष्मी की सीधी कृपा बरसती है। उन्हें कभी आर्थिक संकट, दरिद्रता, दुर्भाग्य और दुःखों का मुंह नहीं देखना पड़ता।
यदि आपको ऐसा लगे कि आपके घर में पैसा नहीं टिक रहा है, आय में वृद्धि नहीं हो रही है, भाग्य साथ नहीं देता, हर कदम पर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, तरक्की और प्रमोशन दरवाज़े पर आकर लौट गए हैं तो इसका अर्थ यह है कि माँ लक्ष्मी आपसे नाराज़ हैं। इस सभी परिस्थितियों में Mahalaxmi Yantra Locket आपकी बहुत मदद कर सकता है। इसे धारण करते ही आपको इसके चमत्कार दिखने शुरू हो जाएंगे।
1. आर्थिक संकट, कर्ज, दरिद्रता से मुक्ति पाने के लिए Mahalaxmi Yantra Locket बहुत लाभकारी है।
2. इसे धारण करने से जातक के सौभाग्य में वृद्धि होती है।
3. यह यन्त्र रुपी लॉकेट अष्टधातु से निर्मित है जिसका अर्थ यह है कि इससे कुंडली में प्रतिकूल ग्रहों की दशा भी ठीक हो जाती है।
4. नौकरी, पदोन्नति, व्यापर में तरक्की के मार्ग में यह Mahalakshmi लॉकेट अपनी अहम भूमिका निभाता है।
5. महालक्ष्मी जी का असीम आशीर्वाद प्राप्त होता है।
1. शुक्रवार के दिन सुबह स्नानादि क्रिया से निवृत हो जाएं।
2. पूजाघर में जाकर चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर महालक्ष्मी की प्रतिमा और यन्त्र लॉकेट को रखें।
3. अब महालक्ष्मी जी को रोली, चंदन, अक्षत, लाल पुष्प आदि अर्पित करें।
4. इसके बाद Yantra Locket पर तिलक करें।
5. घी का दीपक और धूप जलाकर महालक्ष्मी जी आरती करें।
6. इसके उपरांत महालक्ष्मी मंत्र का जाप करते हुए Mahalaxmi Yantra Locket को धारण करें।
7. ध्यान रहे कि महालक्ष्मी जी की पूजा नियमित रूप से होती रहे।
महा लक्ष्मी मंत्र : “ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।”
Mahalakshmi स्वरुप की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी जब अमृत की प्राप्ति के लिए दैत्यों और देवताओं के मध्य खींचतान जारी थी। उस समय महालक्ष्मी अपने हाथों में स्वर्ण से भरा कलश था जिससे धन की वर्षा हो रही थी। इस तरह mahalakshmi स्वरुप धन-समृद्धि-वैभव का प्रतीक मानी जाती है।
हमारे पुराणों में maa laxmi का वर्णन दो तरह से मिलता है, एक लक्ष्मी हैं जिनका जन्म समुद्र मंथन के दौरान हुआ था जबकि दूसरी laxmi mata महर्षि भृगु और ख्याति की पुत्री के नाम से विख्यात हैं। महर्षि भृगु की पुत्री को श्री देवी के नाम से भी जाना जाता है। इनका विवाह भगवान विष्णु से हुआ था। जबकि समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से उत्पन्न हुई महालक्ष्मी धन की देवी कही जाती हैं। इनके हाथों में स्वर्ण से भरा कलश है और उनके चार हाथों में से एक हाथ लक्ष्य बाकी तीन हाथ – दूरदर्शिता, दृढ़ संकल्प, श्रमशीलता और व्यवस्था शक्ति के प्रतीक माने जाते हैं।