कोपेश्वर मंदिर | Kopeshwar Temple
कोपेश्वर मंदिर(kopeshwar temple)ऐसा मंदिर जिसकी छवि आपको मंत्रमुग्ध कर दे, मंदिर को देखने भर से उस मंदिर से प्यार हो जाए, भारत मे ऐसे अन्य मंदिर हमे देखने को मिलते हैं।। जिसकी बनावट श्रद्धालुओ को अपनी ओर खिचती हैं, भक्त भी इस मंदिर को देख कर सोच मे पड़ जाते की अतीत में जिस समय इंसानों के पास उन्नत औजार नहीं होते थे। वह इतना सटीक काम कैसे कर लिया करते थे?
साथ ही साथ उनके हाथों की कलाकृति भविष्य तक चमकती हैं। यह कहना भी गलत नहीं होगा की इतिहास के भंडार हमारे समुद्र से भी बड़ा हैं। आज की इस लेखन मे हम आप सभी को ऐसे ही भव्य मंदिर की ओर लेके चलते हैं। जिसकी सुंदरता आपको भी मंत्रमुग्ध कर देगी।
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आईए जानते हैं, आज के इस लेखन में एक ऐसे ही भव्य मंदिर के बारे, लेखन को अंत तक पढ़े ।
जिस मंदिर की आज हम बात करने वाले हैं, उस मंदिर का नाम हैं; श्री कोपेश्वर मंदिर(kopeshwar temple) यह मंदिर महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के खिद्रापुर में है। यह भव्य मंदिर भगवान शिव को संप्रपित हैं; इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में शिलाहारा राजा गंधारादित्य ने 1109 ई. मे करवाया था। यह कोल्हापुर के पूर्व में श्री कृष्णा नदी के तट के ठीक पीछे है। सिलहारा भले ही एक जैन राजा थे, लेकिन उन्होंने अन्य प्रकार के हिंदू मंदिरों का निर्माण करवाया था। इससे हमे यह मालूम पड़ता हैं की, सिलहारा राजा के दिल मे धर्मों के प्रति उच्च सम्मान और प्रेम की भावना हैं।
यह मंदिर भारत के सब से प्रमुख धार्मिकों स्थल मे से एक स्थल हैं। कोपेश्वर मंदिर(kopeshwar mandir)अपनी वास्तु कला के लिए सब से ज्यादा प्रसिद्द हैं। इस मंदिर का सब से सुंदर मार्ग हैं, स्वर्ग मंडप; जो की एक गोलाकार कक्ष हैं, जो पूरे 40 खंभों द्वारा खड़ा हुआ हैं। और सभी खंबों को देवी देवताओ के छवि से तराशा गया हैं। जिसको देखने से श्रद्धालुओ के दिल में काफी ठंडक पहुचती हैं। साथ ही साथ इन खंबों मे 12 रशिया शामिल हैं। ऐसा ही एक और दिव्य मंदिर है, जहां महादेव के साक्षात चमत्कार देखने को मिलते है कोतवालेस्वर महादेव मंदिर के दर्शन से भक्त पा जाते हैं कोर्ट-कचहरी के झंझटों से मुक्ति
इस कक्ष के ऊपरी ओर कोई छत नहीं हैं, कार्तिकेय की रात की चंद्रमा स्वर्ग मंडप की गोलकार छत पूरी तरह से ढक लेता हैं। इस पवित्र संयोग को देवीय आशीर्वाद कहा जाता हैं। लेकिन सुबह के वक्त यह खुली छत भगवान महादेव का सूर्याभिषेक करती हैं।
वैसे कोपेश्वर का अर्थ है क्रोधित शिव, जी हाँ यह मंदिर भगवान शिव के क्रोधित रूप का प्रतीक हैं। कहा जाता हैं जब माता सती ने अग्नि कुंड में कूद कर अपना देह का त्याग किया था और भगवान शिव माता सती के जलते हुए शरीर को लेकर नृत्य करने लगे थे। उन्होंने हर जगह अपने गुस्से से तबाई मचाई हुई थी। उनके नृत्य का गुस्सा ज्वाला की तरह भड़ता ही जा रहा था। अगर गुस्से की ज्वाला और बढ़ जाती तो सम्पूर्ण पृथ्वी का नाश हो जाता हैं।
ऐसे में भगवान विष्णु ने उन्हे शांत करने का फैसला किया, और वह भगवान का क्रोध शांत करने के लिए, खिद्रापुर मे श्री कृष्ण नदी के तट पर लेके आए थे। तब भगवान विष्णु ने भगवान शिव के क्रोध को शांत करने के लिए तपस्या मे नील होने को कहा। तब भगवान शिव अपने क्रोध को शांत करने के लिए तपस्या मे नील हो गए।
ग्रंथों के ज्ञान के सहारे ही सिलहारा राजा ने यह इस सुंदर मंदिर का निर्माण कराया। बात करे कोपेश्वर मंदिर(kopeshwar temple) के वास्तुकला के बारे मे तो आज भी सभी वज्ञानिकों को हैरान करती हैं। इन संरचनाओं को देखकर आज भी अन्य शोधकर्ता यही कहते हैं कि आखिर कैसे इतनी सठिक वास्तुकला से ये यह सुंदरता बनाई गई है, जबकि हजारों साल पहले उन्नत मशीनों का तो जमाना ही नहीं था, सिर्फ छैनी और हथोड़े से यह करना संभव कैसे हैं?
अगर बीते इतिहास की बात की जाए तो 1702 ईस्वी में मुगल शासक औरंगजेब, जी हाँ! वही मुगुल शासक औरंगजेब जिसने भारत मे अन्य कई मंदिरों को अपना निशाना बनाया था। उसका एक निशान यह कोपेश्वर मंदिरकोपेश्वर मंदिर(kopeshwar temple) भी था, हमले का परिणाम मंदिर की सुंदर मूर्तियों को देख कर हो जाता हैं। जिन्हे मुगलों शासकों द्वारा खंडित कर दिया गया। उन खंडित भागों को देखने से मालूम पड़ता है की मुगलों शासकों ने हमारे भारत देश को किस कदर ठेस पहुचाई हैं।
कोपेश्वर मंदिर का इतिहास | Kopeshwar Temple History | Kopeshwar Temple Khidrapur History
अगर बीते इतिहास की बात की जाए तो 1702 ईस्वी में मुगल शासक औरंगजेब, जी हाँ! वही मुगुल शासक औरंगजेब जिसने भारत मे अन्य कई मंदिरों को अपना निशाना बनाया था। उसका एक निशान यह कोपेश्वर मंदिरकोपेश्वर मंदिर(kopeshwar temple) भी था, हमले का परिणाम मंदिर की सुंदर मूर्तियों को देख कर हो जाता हैं। जिन्हे मुगलों शासकों द्वारा खंडित कर दिया गया। उन खंडित भागों को देखने से मालूम पड़ता है की मुगलों शासकों ने हमारे भारत देश को किस कदर ठेस पहुचाई हैं।
कोपेश्वर मंदिर कहाँ है | where is kopeshwar temple | how to reach kopeshwar temple
कोपेश्वर मंदिर महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के खिद्रापुर में है । यह शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर महाराष्ट्र में है और सांगली से भी यहां पहुंचा जा सकता है ।
कोपेश्वर मंदिर की कोल्हापुर से दूरी | Kopeshwar Temple Khidrapur | Kopeshwar Temple Distance from Kolhapur
यह मंदिर महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के खिद्रापुर में है। यह भव्य मंदिर भगवान शिव को संप्रपित हैं; इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में शिलाहारा राजा गंधारादित्य ने 1109 ई. मे करवाया था। यह कोल्हापुर के पूर्व में श्री कृष्णा नदी के तट के ठीक पीछे है।
कोपेश्वर मंदिर का समय | kopeshwar temple timings
कोपेश्वर मंदिर कोल्हापुर कृष्णा नदी के तट पर स्थित एक अत्यंत प्राचीन एवं कलात्मक मंदिर है, जो प्राचीन मूर्तिकला तकनीक का उत्कृष्ट उदाहरण है। कोपेश्वर मंदिर का समय सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक है।