Govardhan Puja 2023 kab hai | गोवर्धन पूजा 2023 कब है?
गोवर्धन पूजा हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को करते हैं। और यह तिथि इस साल 13 नवंबर 2023 दिन सोमवार को हैं। (Govardhan Puja)
Govardhan Puja | गोवर्धन पूजा मुहूर्त
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से प्रारंभ हो रही है. इस तिथि का समापन 14 नवंबर दिन मंगलवार को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट पर होगा. उदयातिथि के आधार पर गोवर्धन पूजा 14 नवंबर मंगलवार को होगी.
Mahadev Silver Pendants पर स्पेशल ऑफर
Govardhan Parikrama karane ke niyam | गोवर्धन परिक्रमा करने के नियम
गोवर्धन पूजा परिक्रमा के नियम, जो इस पूजा मे बहुत महत्वपूर्ण कार्य हैं, वैसे तो हमारे भारत देश मे कई तरीकों से से गोवर्धन पूजा की जाती हैं लेकिन कुछ ऐसे नियम है, जिन्हे नए तरीकों से नहीं करना चाहिए, तो आईए बात करते हैं गोवर्धन परिक्रमा के खास नियमों के बारे मे;
- घर के आगन या छत पर गोवर्धन महाराज की आकरती बनने से पहले उस जगह को अच्छे से साफ करे, किसी प्रकार की गंदगी न हो साथ ही गंगा जल का छिड़काव करके आस पास की जगह को शुद्ध करे।
- उसके बाद आप उस जगह पर गाय या भैस का गोबर ले और उसका एक चौकोर बनाए, उसके अंदर भगवान कृष्ण, पहाड़, गाय, और पेड़ बना ले, याद रहे चौकोर को नीचे से खुला रखे और गोवर्धन मे बने कृष्ण, पहाड़ और गाय को पुष्पों की सहायता से अच्छे से सजा दे।
- पूजा करने से पहले स्नान करना बहुत जरूरी हैं, स्नान करते वक्त आप अपने नहाने मे गंगा जल की कुछ बुँदे डाल ले, फिर इसके बाद आपको साफ कपड़े पहन कर ही पूजा प्रारंभ करे।
- अगर आप शादी शुदा हैं, तो आपको अपने जीवन साथी के साथ ही पूजा करनी चाहिए। अगर किसी कारण से आप अपने जीवन साथी के साथ पूजा प्रारंभ नहीं कर पा रहे हैं, तो ही आपको गोवर्धन पूजा प्रारंभ करनी चाहिए।
- इसके बाद आप, तली हुई पूरी मे रखे खील बताशे और दूध से गोवर्धन महाराज को भोग लगाए, भोग लगाते समय श्री कृष्ण का नाम जाप करते रहे। इसके दौरान याद रहे जिनके साथ आप पूजा व भोग लगा रहे हैं वह उम्र के साथ ही लगाना होगा। जैसे परिवार का सबसे बड़ा सदस्य ही पहले भोग लगाए फिर उसके बाद उनसे छोटा। इस बात का खास ध्यान रखे।
- भोग लगाने के बाद सभी परिवार वालों को गोवर्धन महाराज की परिकर्मा लगानी हैं। याद रहे परिकर्मा मे सिर्फ 7 बार ही परकर्मा लगाने हैं। इस बात का विशेष ध्यान रखे की आपके सभी परिवार वाले अपनी उम्र के अनुसार खड़े हो। और परिकर्मा के दौरान किसी तरह की वार्तालाप और अपशब्द का उपयोग न करे। केवल श्री कृष्ण का जाप करे।
- परिकर्मा के पूर्ण होने के बाद गोवर्धन महाराज और अपने सभी आपसे बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद ले।
Also read : गोवर्धन पर्वत परिक्रमा शुरू करने से पहले जान लें ये जरूरी नियम और मार्ग में आने वाले प्रमुख स्थान
Govardhan Parikrama ka mahatv | गोवर्धन परिक्रमा का महत्व
भागवत पुराण के मुताबिक जब श्री कृष्ण ने सभी ब्रज के लोगों को गाय की पूजा और गोवर्धन की पूजा करने को कहा, तो स्वर्ग के देवता इंद्रदेव श्री कृष्ण व ब्रज के लोगों ने नाराज हो गए। और फिर उन्होंने ब्रज मे बहुत भयंकर बारिश करवा दी, जिससे हर तरफ बाढ़ के हालत हो गए। ऐसे मे श्री कृष्ण जी ने सभी ब्रज वासीओ को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत अपनी एक छोटी अंगुली से उठा लिया और सभी ब्रज वासीओ को गोवर्धन पर्वत के अंदर शरण दी, और इंद्रदेव के अहेनकार को तोड़ा था। तभी से गोवर्धन पर्वत के साथ श्री कृष्ण की पूजा और परिकर्मा की प्रथा शुरू हो गई।