जगन्नाथ धाम | Jagannath Dham
जिस प्रकार हमारे जीवन के 4 काल चक्र हैं, सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और अंतिम कलयुग। उसी प्रकार भारत देश मे 4 धाम हैं, जिसमे बद्रीनाथ धाम सतयुग मे स्थापित किया गया था, रमेश्वरा धाम त्रेतायुग मे स्थापित किया गया था और उसी तरह द्वारिकधाम द्वापरयुग मे और अंतिम कलयुग का धाम हैं, जगन्नाथ धाम/ Jagannath Dham और मजेदार बात यह भी हैं इन सभी धामों की स्थापना भगवान विष्णु के अवतारों ने ही की हैं।
लेकिन जगन्नाथ पूरी धाम/Jagannath Puri Dham से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारियाँ हैं जो भविष्य के अंत की ओर संकेत देती हैं। और इसका पूरा सबूत हमे भविष्य मालिका मे मिलता हैं। तो आज के इस खास लेखन मे हम आप सभी को भविष्य मालिका मे मिले जगगनाथ पूरी धाम के राज के बारे मे बताएंगे।
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Jagannath Dhamतो आईए शुरू करते हैं आज के इस खास लेखन को, पहले हम जानते हैं, नाथो के नाथ जगन्नाथ धाम/ Jagannath Dham के बारे मे;
नगरी उड़ीसा के पूरी मे विराजमान हैं, जगन्नाथ धाम मंदिर। विश्व का सबसे प्रसिद्द यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण को समर्पित हैं। जिसमे दर्शन करने लोग दूर दूर से आते हैं। लेकिन जिस जगन्नाथ धाम को हम आज के समय मे जानते हैं, वह पहले ऐसा बिल्कुल भी नहीं था। इससे पहले जगन्नाथ मंदिर पर 18 बार से ज्यादा हमले हुए हैं, जिसमे आकरमाँड़कारियों का एक ही मकसद होता था या तो वह मंदिर को तोड़ दे या वह मंदिर का सारा कीमती खजाना चुरा ले। कई आक्रमंड ऐसे भी हुए हैं जिसमे प्रभु जगन्नाथ जी को मंदिर से बाहर छुप कर रहना पड़ा हो। इस सभी हमलों के पीछे मुगलों और अंग्रेजों का बहुत बड़ा हाथ था। इसी कारण इस मंदिर मे गैर हिन्दुओ का प्रवेश वर्जित हैं।
और आज हम जय जगन्नाथ पूरी धाम के बारे मे ही बात कर रहे हैं। मंदिर की छवि के कण कण मे बसे है प्रभु जगन्नाथ और उनके साथ उनकी बहन सुबदरा और उनके बड़े भाई बलदाऊ जो इसी मंदिर मे प्रभु जगन्नाथ जी के साथ निवास करते हैं।
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यह मंदिर पूरी तरह चमत्कारी और रहस्य से भरा पड़ा हैं, आईये इस पर थोड़ी बात करते हैं, आप सभी ने हर मंदिर मे देवी देवता को स्नान कराते हुए तो जरूर देखा होगा। लेकिन इस मंदिर मे कुछ अलग है, इस मंदिर मे जब प्रभु जगन्नाथ जी को स्नान कराया जाता हैं तो वह बीमार पड़ जाते हैं, उनका शरीर गरम होने लगता हैं, साथ ही साथ प्रभु जगन्नाथ जी का उपचार दवाइयों के साथ कराया जाता हैं। हैरान करने वाली बात यह हैं की, हर 12 सालों मे प्रभु जगन्नाथ जी का पुनर्जन्म भी होता हैं। जब भगवान कृष्ण ने अपने देह का त्याग किया था तब समस्त शरीर का अंतिम संस्कार किया गया जिसमे उनका पूरा शरीर तो पंचतत्वों मे विलेन हो गया लेकिन उसमे उनका दिल वैसे का वैसा ही रहा। अग्नि देह मे नष्ट न होकर भी उनका दिल किसी जीवित मानव की तरह धड़कता ही रहा।
कई सालों बाद भगवान श्री कृष्ण का दिल भगवान श्री कृष्ण के भक्त राजा इंद्रदेव को एक लट्ठे के रूप मे मिला उसके बाद उन्होंने इस लट्ठे को प्रभु जगन्नाथ जी की मूर्ति मे स्थापित करवा दिया।
हर 12 साल मे प्रभु जगन्नाथ जी के साथ साथ उनके भाई और बहन के काठ की मूर्ति को बदला जाता हैं। जब काठ कीमूर्ति बनकर तैयार हो जाती हैं, तब रात के समय पूरे शहर की बिजली काट दी जाती हैं। और पूरे मंदिर के परिसर को सी.र.पी.एफ की सहारे घेर लिया जाता हैं जिससे कोई भी अंदर न जा सके। उसके बाद पुजारी की आँखों पर पट्टी बांध दी जाती हैं और उनके हाथों मे मोठे मोठे दास्ताने पहनाए जाते हैं फिर वह काठ की मूर्ति मे से उस हृदय को निकालते हैं और नई बनी हुई प्रभु जगन्नाथ जी की काठ की मूर्ति मे डाल देते हैं। पंडित के पूछे जाने पर बताया जाता हैं की जो भी वह चीज हाथ मे लेते हैं वह थोड़ी भारी चीज होती हैं जिसे हिलता हुआ महसूस किया जा सकता हैं।
प्रभु जगन्नाथ जी के धाम मे चमत्कारों की कोई कमी नहीं हैं, इस मंदिर मे प्रभु जगन्नाथ जी अपने भक्तों को भविष्य मे होने वाली आपदाओ और महामारियों का संकेत भी देते हैं। और यह सब उल्लेख हमे भविष्य मालिका मे देखने को मिलता हैं। पहले हम सभी के लिए यह जानना जरूरी हैं, की भविष्य मालिका कोई ग्रंथ नहीं बल्कि ग्रंथों की माला हैं। और एक सबसे विशेष बात जो हम सभी को जानना बहुत जरूरी हैं की, भविष्यवाणी अंकों और गृह संयोग के संकेत के आधार पर बताई और लिखी जाती हैं, जिन्हे डिकोंरके हीड क समझ जा सकता हैं और भविष्यवाणी को सटीक तरीके से डिकोड कर पाना सब के बस की बात नहीं होती।
भविष्य मालिक की शुरुवात लग भग 600 साल पहले हुई थी, उड़ीसा के जगन्नाथ पूरी धाम से हुई मालिका की शुरुवात हुई थी। 16 वी सदी मे मगल पक्ष एकादशी पर संत अच्युतानन्द दास जी का जन्म हुआ था। संत अच्युतानन्द दास जी को अपनी योगिक क्रियाओ से काफी सिद्धियाँ प्राप्त थी। उस समय उड़ीसा मे उनके काफी चर्चे थे, साथी ही साथ उड़ीसा के लोग उन्हे एक उच्च सिद्द योगी मानते थे।
उन्होंने अपने समय पर 4 और योगियों के साथ मिलकर एक महान ग्रंथ की योजना की थी। जिसको आज हम सभी भविष्य मालिका के नाम से जानते हैं। ग्रंथ मे अब तक बताई गई कई बातें सच हुई हैं, और अगर इन्ही बातों की सचाई को माने तो जिस कलयुग की उम्र 4 लाख 32 हजार साल थी, वह तेजी से बड़ते पाप और अधर्म के कारण केवल 5 हजार साल रह गई हैं।
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अगर और कोई ग्रंथ की बात करे तो भगवान कल्कि का जन्म बड़ते पाप और अधर्म के कारण होगा, उत्तर-प्रदेश के शंभल नामक गाव मे होगा। लेकिन अगर हम आप सभी को कहे की भविष्य मालिका हमे यह बताती हैं की भगवान कल्कि का जन्म पहले ही हो गया हैं! तो क्या आप सभी यकीन करेंगे, यही कारण हैं की भविष्यवाणी को डिकोड करना कितना जरूरी हैं।
अगर विनाश और युग परिवर्तन की बात की जाए तो, भविष्य मालिका हमे यह बताती हैं की, पूरी के राज घराने मे पुरुषोत्तम देवराज के बाद कोई भी भविष्य मे उनका राजा नहीं बचेगा क्यूंकी उनकी सिर्फ एक ही बेटी होगी और उनकी मृत्यु के बाद यह सब विनाश और युग परिवर्तन की शूरवात होगी। और “आज के समय मे पूरी राजा का कोई बेटा नहीं हैं सिर्फ एक बेटी हैं। और पुरुषोत्तम देवरा की उम्र अब लग भग 70 साल हैं।“
यह सब संकेत देता हैं की युग परिवर्तन की शुरुवात हो चुकी हैं। हम सभी को लगता हैं की भगवान कल्कि हमारी रक्षा बस भौतिक रूप मे आकर कर सकते हैं वही आकर युग परिवर्तन की शुरुवात करेंगे। “क्या यह सच हैं की भगवान का अवतार एक भौतिक रूप हैं?” लेकिन क्या हो अगर प्रकर्तिक आपदा और तरह तरह की कोरोना वायरस से भी घातक वायरस ही युग परिवर्तन की शुरुवात बने। “क्यूंकी युग परिवर्तन यही तो हैं की, जब सबका विनाश होगा तब सतयुग की शुरुवात होगी” यह हम सभी को सोचने पर मजबूर कर देता हैं। लेकिन हमारे भगवान किस तरह युग परिवर्तन लाएंगे यह किसी को भी नही पता। यह तो बस केवल एक थ्योरी हैं। लेकिन विनाश आएगा यह तो तेय हैं।
भविष्य मालिका बताती हैं की 2020 से ही अंत की शुरुवात हो चुकी हैं, इसमे कोरोना वायरस से भी घाट वायरस तभाई मचाएंगे जिनका कोई भी तोड़ नहीं होगा कोई इलाज नहीं होगा। बस वायरस की चपेट मे आय लोगों की मौत ही दिखाई देगी।
भविष्य मालिका कहती हैं जब शनि मीन राशि मे प्रवेश करेगा, तब दुनिया का अंत शुरू होगा। शस्त्रों के मुताबिक शनि मीन राशि मे 29 मार्च 2025 से 23 फरवरी 2028 तक रहेगा। और अगर पुराने रिकार्ड्स देखे जाए तो जब जब शनि मीन राशि मे आया हैं तब तब विनाश देखने को मिला हैं। उधारण के तोर पर विश्व युद्ध, स्पैनिश प्लेज, और अन्य तरह तरह के युद्ध यह सब शनि का मीन राशि मे प्रवेश होने से हुआ हैं। अब तक जितनी भी भविष्य मालिक मे बताए गई घटना हैं वह सब सच हुई हैं, इसका सभूत आज हमारे सामने हैं, चाहे वह यूक्रेन मे हमला हो या इस्राइल और हमास का युद्ध हो। यह सभी घटना भविष्य मालिका मे बताई गई भविष्यवाणी हैं।
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अब हम बात करते हैं, जगन्नाथ पूरी मंदिर के भविष्यवाणी की; देखिए जगन्नाथ पूरी मंदिर अपने आप मे एक रहस्यमय स्थान है। जगन्नाथ पूरी मंदिर के ऊपर न तो कोई प्लेन जाता है और न ही कोई पक्षी मंदिर के ऊपर से जाता हैं, और मंदिर का झंडा भी हवा की उलटी दिशा मे लहराता हैं। अब यह unexplained phenomena नहीं है तो और क्या हैं? देखिए भविष्य मालिका मे जगन्नाथ पूरी मंदिर को कलयुग के अंत को इस तरह लिखा हैं की, जब मंदिर की चोटी पर बाज बैठेगा, और तेज गति की हवाओ से नील चक्र मुड़ जाएगा, और मंदिर के पताका मे आग लग जाएगी, मंदिर की छत से पत्थर गिरने लगेंगे और सबसे हैरान करने वाला यह की मंदिर के अंदर खून के धब्बे मिलेंगे, इन सभी घटना होने के बाद से महाप्रलय की शुरुवात हो जाएगी। एक सचाई यह भी हैं की यह सभी घटना 2023 मे हो चुकी हैं। क्या अब हम कह सकते हैं; की महाप्रलय की शुरुवात हो चुकी हैं। यह सब घटना देखने के बाद हम यह तो पक्के तोर पर कह सकते हैं, भविष्य मालिका मे सच्चाई तो हैं।
जगन्नाथ धाम किस राज्य में है? | In which state is Jagannath Dham?
नगरी उड़ीसा के पूरी मे विराजमान हैं, जगन्नाथ धाम मंदिर। Jagannath Dham mandir विश्व का सबसे प्रसिद्द यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण को समर्पित हैं। जिसमे दर्शन करने लोग दूर दूर से आते हैं।
जगन्नाथ धाम के देवता कौन से हैं? | Which god is the god of Jagannath Dham?
यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण को समर्पित हैं। जिसमे दर्शन करने लोग दूर दूर से आते हैं। लेकिन जिस जगन्नाथ धाम को हम आज के समय मे जानते हैं, वह पहले ऐसा बिल्कुल भी नहीं था। इससे पहले जगन्नाथ मंदिर पर 18 बार से ज्यादा हमले हुए हैं, जिसमे आकरमाँड़कारियों का एक ही मकसद होता था या तो वह मंदिर को तोड़ दे या वह मंदिर का सारा कीमती खजाना चुरा ले।
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जगन्नाथ के 4 धाम कौन से हैं? | What are the 4 Dhams of Jagannath?
जगन्नाथ पुरी क्यों प्रसिद्ध है? | Why Jagannath Puri is Famous
जगन्नाथ मंदिर पर कितनी बार हमला हुआ है ? | How Many times Jagannath Temple Attack
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