ईश्वर के चरण कमलों को Charan paduka कहा जाता है, प्राचीन समय में ये चरण पादुका लकड़ी से निर्मित हुआ करती थी। ईश्वर की चरण पादुका को हिन्दू धर्म में विशेष रूप से पूजे जाने की परंपरा है क्योंकि यह ईश्वर के घर में होने का साक्ष्य या प्रमाण माना जाता है। चरण पादुका में भी विशेष रूप से laxmi ji ke charan paduka को धन-समृद्धि-वैभव का सूचक कहा जाता है। यही वजह है धनतेरस और दीपावली जैसे शुभ मौकों पर लक्ष्मी माँ की उपासना कर चरण पादुका स्थापित की जाती है।
1. माता लक्ष्मी की Charan Paduka को स्थापित करने के लिए सर्वप्रथम पूरे विधि विधान से माँ लक्ष्मी की पूजा की जानी चाहिए।
2. पूजा के लिए शुक्रवार या शुभ मुहूर्त पर प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
3. फिर पूजा स्थल पर एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर माता लक्ष्मी की प्रतिमा और Charan Paduka को रखें।
4. इसके बाद उन्हें लाल पुष्प, अक्षत, चन्दन, रोली आदि अर्पित करें।
5. अब घी का दीपक और धूप जलाएं।
6. इसके उपरान्त आसन पर बैठकर माता लक्ष्मी के बीज मंत्र का 108 बार उच्चारण करें।
”ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।”
8. अब charan paduka पर तिलक कर स्थापित करें।
Laxmi ji ke charan paduka को हमेशा उसी दिशा में लगाना चाहिए जहाँ पर घर में धन और अन्न रखा रहता हो। तिजोरी वाली दिशा में चरण पादुका लगाने से बरकत बनी रहती है और कभी धन या अन्न का अभाव नहीं होता है।
लक्ष्मी माता की प्रतिमा या मूर्ति को वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा में ही लगाना चाहिए। उत्तर दिशा धन के देवता कुबेर और देवी लक्ष्मी की दिशा मानी जाती है। इस दिशा में प्रतिमा रखने से माता लक्ष्मी की असीम कृपा बरसती है।
Laxmi ji ke charan paduka को घर, कार्यालय ( ऑफिस ), दुकान, फैक्ट्री, गोदाम आदि में रखा जा सकता है। Charan Paduka को स्थापित करने के लिए एकमात्र शर्त है माता लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा अर्चना किया जाना।