धरती पर अचानक प्रकट हुआ ये भव्य नंदी मंदिर | Dharatee par achaanak prakat hua ye bhavy nandi mandir
हम सभी कभी न कभी मंदिर तो जरूर गए होंगे, कुछ लोग तो इस कलयुग मे भी भगवान के दर्शन करने के लिए रोज मंदिर जाते होंगे, और कही न कही ऐसे मनुष्यो की वजह से ही धरती पर संतुलन बना हुआ हैं। (nandi mandir)
आज के समय मे भारत मे लग भग इतने मंदिरों का निर्माण हो गया हैं की इसकी गिनती करना लग भग असंभव है। और आज के इस समय मे भक्तों की संख्या बड़ती ही जा रही हैं, जिससे मंदिरों का निर्माण और बने हुए मंदिरों को और भी बड़ा किया जा रहा हैं, जैसे उद्धारण के तौर पर भगवान श्री राम का आयोद्धा मंदिर और वृंदावन का कॉरीडोर।
और बड़ते भक्तों की संख्या और मंदिरों का निर्माण शायद आप सभी के लिए सामान्य बात हो, लेकिन जिस मंदिर के बारे मे, हम आज आप को बताने जा रहे हैं, वह बिल्कुल भी साधारण नहीं हैं। आज के इस लेखन मे हम आप सभी को भगवान शिव के एक ऐसे मंदिर के बारे मे बताने जा रहे हैं, जिसकी स्थापना बाकी मंदिरों की तरह नहीं हुई, बल्कि यह मंदिर की स्थापना धरती से प्रकट होने से हुई हैं। जानने के लिए यह लेखन को अंत तक पढे।
मंदिर का इतिहास और स्थापना | Mandir ka itihaas aur sthaapana
कर्नाटका के बैंगलोर मे भगवान शिव का श्री दक्षिणामुख नंदी तीर्थ कल्याणी क्षेत्र जिसे नंदीश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता हैं। यह मंदिर अन्य मंदिरों से बिल्कुल अलग हैं, इसके बनाए जाने की कला इसे बाकी मंदिरों से अलग बनाती हैं, इसे जाने से पहले हम इस मंदिर का इतिहास और इसकी स्थापना के बारे मे जानते हैं।
इस मंदिर को खोजे जाने की शुरुआत होती हैं, सन 1997 मे जब यह मंदिर एक बंजर जमीन के नीचे था, स्थानीय राजनेता ने यह बंजर जमीन एक बिल्डर को बेच दी, जिससे उस बिल्डर ने यहा इमारत का निर्माण शुरू किया। Nandi mandir
खुदाई के दौरान मजदूरों को यहाँ एक काला पत्थर दिखाई दिया, जिससे सभी को लगा वह कोई शिव लिंग होगा, लेकिन खुदाई के बाद मालूम पड़ा वह नंदी महाराज की मूर्ति हैं। मिट्टी के दबे होने के कारण नंदी के मुह पर मिट्टी लगी हुई थी, जब वहाँ से मिट्टी हटाई तो नंदी के मुह से लबालब पानी निकालने लगा। और वह पानी कहा से आ रहा हैं वह किसी को मालूम नहीं पड़ा।
जब इसके बारे मे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को बताया तब उनके शोधकर्ताओ वहाँ आए और उन्होंने नंदी के मुह से बहते पानी की धारा का पीछा किया तो मालूम पड़ा नंदी की मूर्ति के नीचे एक शिव लिंग भी हैं, और जो नंदी महाराज के मुह से बहती पानी की धारा हैं वह सीधा शिव लिंग पर गिरती हैं। जब शोधकर्ताओं ने और खोज करी तो देखते ही देखते जमीन के नीचे से पूरा मंदिर ही खोज निकाला। जब शोधकर्ताओ ने मंदिर के बारे मे मालूम किया तो पता चला यह मंदिर 17 वी ईस्वी मे बनाया गया था।
आईये अब एक गौर हम मंदिर की दिशा पर भी करते हैं, जिससे आखिर क्यूँ यह मंदिर अन्य मंदिर से अलग बताया जाता हैं,
इसका जवाब तो इस मंदिर के नाम मे ही हैं, जिस प्रकार अन्य मंदिरो के मुख का स्थान और मूर्ति की दिशा पूर्व मे होती हैं, वही इस मंदिर की दिशा और इसकी मूर्ति की दिशा दक्षिण दिशा मे हैं। इसीलिए इस मंदिर को दक्षिणमुखी कहा जाता है। नंदी के मुख से बहने वाली पवित्र जल की धारा को कन्नड़ में ‘तीर्थ‘ कहा जाता है। नंदी के मुख से निकला जल शिवलिंग पर गिरता है और उसके बाद मंदिर के बीच में बने तालाब में बह जाता है, जिसे कन्नड़ में कल्याणी कहा जाता है। और ‘क्षेत्र‘ का तात्पर्य पवित्र स्थान से है। इस प्रकार, मंदिर का नाम दक्षिणामुख नंदी तीर्थ कल्याण क्षेत्र रखा गया।
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हम सभी अक्सर शिव लिंग की पूजा करते हैं तो शिव लिंग के सामने ही नंदी की मूर्ति होती हैं , लेकिन इस मंदिर मे नंदी के मुख से लबालब पानी की धार बहती है, यह इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती हैं। और यह एक मात्र ऐसा मंदिर नहीं हैं, जिसमे नंदी की मूर्ति से लबालब पानी की धारा बहती हैं, आंध्र प्रदेश के श्री उमा महेशवाड़ा स्वामी मंदिर के कुंड के ऊपर भी एक नंदी की मूर्ति हैं, जिसके मुख से पानी बहता हैं और पानी का स्त्रोत कहा से आता हैं यह किसी को नहीं मालूम। (Nandi mandir)
“अगर आप श्री उमा महेशवाड़ा स्वामी मंदिर के बारे मे पूरी जानकारी जानना चाहते हैं तो आप इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं” नंदी मूर्ति जो दे रही हैं संकेत कलयुग के अंत का
श्री दक्षिणामुख नंदी तीर्थ कल्याणी मंदिर मे शिव लिंग पर गिरने वाला पानी लोगों को प्रसाद के रूप मे दिया जाता हैं, जिसे वहाँ के पंडित एक बोतल मे भरके भक्तों को देते हैं।। लेकिन लोगों का मानना हैं की मंदिर के नीचे प्राकृतिक मीठे पानी के झरने हो सकते हैं, जो नंदी के मुंह से निकलने के स्त्रोत से बहते हैं। दूसरी तरफ यह कहना है कि पानी पास के सैंकी टैंक से आता है। हालाँकि, सैंके टैंक 1882 ईस्वी में बनाया गया था, और मंदिर का निर्माण 17 वी ईस्वी मे हुआ था। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए, सैंकी टैंक से बहुत पहले बनाया गया था।
शिव लिंग के सामने एक कुंड भी हैं। जिसे वहाँ लोग कल्याणी के नाम से जानते हैं, उस कल्याणी कुंड से अक्सर पानी आता रहता हैं और उस पानी मे भगवान विष्णु के 2 अवतार भी मौजूद हैं, मछलियाँ और कछुए जो इस पानी मे हमेशा रहते हैं।
जिस तरह हर मंदिर मे भगवानों के त्यौहार बनाए जाते हैं उसी तरह भगवान शिव इस मंदिर के मुख्य देवता हैं; इस प्रकार, भगवान शिव से संबंधित हर त्यौहार इस मंदिर में मनाया जाता है। इस मंदिर के दर्शन, पूजा और रहस्य को देखने के लिए पूरे दिन भारी भीड़ आती है। लेकिन शिवरात्रि के त्यौहारो पर यह मंदिर अच्छे से सजाया जाता हैं जिससे यह मंदिर और भी खूबसूरत हो जाता है। वैसे तो यह मंदिर जनता के लिए सुबह 7:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और शाम 5:00 बजे से 8:30 बजे तक खुला रहता है, लेकिन भगवान शिव के त्यौहारो पर यह मंदिर पूरे दिन खुलता हैं।
नंदी का इतिहास | Nandi ka itihaas
हिन्दू धर्म में, नन्दि या नन्दिदेव कैलाश के द्वारपाल हैं, जो शिव के नॄषभ (नर-ऋषभ) वाहन हैं। पुराणों के अनुसार वे शिव के वाहन तथा अवतार भी हैं जिन्हे बैल के रूप में शिवमन्दिरों में प्रतिष्ठित किया जाता है।
नंदी किसका अवतार है | Nandi kisaka avataar hai
पुराणों के अनुसार वे शिव के वाहन तथा अवतार भी हैं जिन्हे बैल के रूप में शिवमन्दिरों में प्रतिष्ठित किया जाता है। संस्कृत में ‘नन्दि’ का अर्थ प्रसन्नता या आनन्द है।
नंदी महाराज का मंत्र | Nandi mahaaraaj ka mantr
क्या नंदी जी पानी पी रहे हैं? | kya Nandi mahaaraaj jee paanee pee rahe hain?
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि भगवान नंदी दूध/पानी नहीं पीते हैं ।
कैसे हुआ नंदी का जन्म? | kaise hua Nandi mahaaraaj ka janm?
आज की इस पोस्ट मे बस इतना ही, मिलते हैं अगले लेखन मे। धन्यवाद!