बांके बिहारी मंदिर | Banke Bihari Temple
उत्तर प्रदेश में मथुरा-वृंदावन को पावन धरती माना जाता है , इस धरती पर त्रेतायुग मे स्वयं श्रीमती राधा रानी और श्री कृष्ण ने जन्म लिया था । उनके जन्म से ही ये धरती पवित्र हो गई थी । यहां मथुरा में श्री बांके बिहारी जी का मंदिर है और रोजाना इस दिव्य मंदिर में हजारों की संख्या में भक्त, दर्शन के लिए आते है। बाकें बिहारी मंदिर (Banke Bihari Temple) में, हजारों की तादाद मे श्रद्धालु दर्शन हेतु आते है
लोगों की मानयाता है की यहाँ के बाके बिहारी जी की मूर्ति मे साक्षात श्री कृष्ण वास करते है, और इस मंदिर मे कदम रखते ही आपको इस बात का एहसास भी हो जाएगा । ठाकुर जी की एक झलक के लिए लाखों लोग यहाँ घंटो तक लंबी कतारों में खड़े रहते हैं ।
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लोग सुबह मंदिर खुलने से लेकर शाम तक बांके बिहारी ( banke bihari mandir ) के दर्शन करने के लिए लाइन में लगे रहते हैं लेकिन कुछ ही लोग होते हैं जिन्हें बांके बिहारी के दर्शन आसानी से होते हैं,वहीं जब लोग बांके बिहारी के दर्शन करते हैं तब पुजारी बीच-बीच में पर्दा डाल देते हैं बाके बिहारी श्री कृष्ण को ही कहा जाता है ।
मथुरा में इस दिव्य मंदिर का निर्माण स्वामी हरिदास जी और उनके वंशजों ने करवाया था । श्री बांके बिहारी(banke bihari) जी की मूर्ति के आगे हर दो मिनट पर पर्दा लगाया जाता है, इसके पीछे वैसे तो कई सारी कहानियाँ है , मान्यताओं के अनुसार बाके बिहारी जी बार बार इस मंदिर को छोड़ कर अपने भक्तों के प्रेम मे उन्ही के साथ चले जाया करते थे ।
बिहारी जी (bihari ji) और लोगो के बीच ये पर्दा इसलिए किया जाता है ताकि बिहारी जी को एक नजर तक कोई निहार न सकें, क्यूँ की बाके बिहारी जी है ही इतने प्यारे की उनहीँ बार बार देखते रहने का मन्न करता है ।
लेकिन पहले बिहारी जी के आगे बार-बार पर्दा नहीं डाला जाता था, ये तब से शुरू हुआ जब निसंतान विधवा बांके बिहारी जी के दर्शन के लिए आई और बांके बिहारी जी को देर तक देखती रह गई ।
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इसी दौरान वो मन्न ही मन्न सोचने लगी कि काश उनका भी कन्हैया जैसी कोई संतान होती और ऐसे सोचते-सोचते वो रोने लगी और दर्शन करके वापस घर आ गयी । कहा जाता है कि बांके बिहारी उस माँ का दुःख-दर्द दूर करने के लिए उनके घर चले गए । जब अगले दिन इस मंदिर के पुजारी ने जब पूजा करने के लिए मंदिर के परदे हटाए तब मंदिर के पुजारी और अन्य लोगों ने देखा की ठाकुर जी तो मंदिर मे है ही नहीं, उन्होंने ठाकुर जी को खोजना शुरू किया और खोजते-खोजते वृद्धा नाम की उस भक्त के घर पहुंच गए, और वहाँ बाके बिहारी जी को पाया ।
तब जाकर उन्होंने बांके बिहारी जी से अपने धाम पर चलने की प्रार्थना की जिसके बाद बांके बिहारी सभी लोगों के अनुरोध पर वृंदावन मथुरा वापिस लौट आए और इसके बाद से ही मंदिर में पर्दा डालने की परंपरा शुरू हो गई ।
बांके बिहारी मंदिर का रहस्य
बांके बिहारी मंदिर वृंदावन टाइमिंग | बांके बिहारी मंदिर का समय
बांके बिहारी मंदिर कहां पर है | बांके बिहारी मंदिर कहां है | Banke Bihari Mandir kaha per hai
बाँके बिहारी मंदिर भारत में मथुरा जिले के वृंदावन धाम में बिहारीपुरा में स्थित है। यह भारत के प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
बांके बिहारी मंदिर वृंदावन का इतिहास | बांके बिहारी मंदिर का इतिहास | History of Banke Bihari Temple in hindi
इस मन्दिर का निर्माण स्वामी श्री राम जी के वंशजो के सामूहिक प्रयास से संवत १९२१ के लगभग किया गया। श्री बाँकेबिहारी जी निधिवन में ही बहुत समय तक स्वामी जी द्वारा सेवित होते रहे थे। फिर जब मन्दिर का निर्माण कार्य सम्पन्न हो गया, तब उनको वहाँ लाकर स्थापित कर दिया गया।