बैसाखी | Baisakhi
बैसाखी ( Baisakhi 2024 ) , जिसे वैसाखी ( Vaisakhi ) भी कहा जाता है, उत्तर भारत में पूरे उत्तरी राज्यों, खासकर पंजाब, हरियाणा, और दिल्ली में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह सिख समुदाय के नानकशाही कैलेंडर के अनुसार नए वर्ष की शुरुआत को चिह्नित करता है। इस त्योहार का महत्वपूर्ण धार्मिक और कृषि सांगत में होता है। बैसाखी 1699 में सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह द्वारा खालसा पंथ की स्थापना की स्मृति है। इसके साथ ही यह पंजाब का वसंत या फसलों के काटने का समय भी चिह्नित करता है जब रबी फसलें काटने के लिए तैयार होती है
बैसाखी 2024 में कब है? ( Baisakhi 2024 Mein kab hain )
बैसाखी 2024 ( Baisakhi 2024 ) में कब है: बैसाखी हर साल अप्रैल के 13 या 14 तारीख को मनाई जाती है, जैसा कि अंग्रेजी कैलेंडर में है। 2024 में, बैसाखी शनिवार, 13 अप्रैल को होगी । बैसाखी 2024 का उत्सव 12 अप्रैल की शाम से शुरू होगा, जो बैसाखी के पूर्व संध्या है।
बैसाखी का महत्व ( Baisakhi Ka Mahatv )
बैसाखी त्योहार ( Baisakhi Festival ) सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह दिन सिख समुदाय के लिए खासतौर पर पवित्र माना जाता है, क्योंकि इस दिन खालसा पंथ की स्थापना हुई थी। इसके साथ ही हिन्दू समुदाय के लिए भी यह कई महत्वपूर्ण पर्वों से विशेष है। बैसाखी को भगवान बद्रीनाथ की यात्रा के रूप में भी माना जाता है, और पद्म पुराण में इसको स्नान का महत्वपूर्ण दिन माना गया है। ज्योतिषीय दृष्टि से भी यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन सूर्य मेष राशि में परिवर्तन करता है, जिसे मेष संक्रांति कहा जाता है। इस दिन सौर नववर्ष का आरंभ भी होता है।
बैसाखी एक उत्सव है जो किसानों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह फसल के मौसम के अंत का प्रतीक माना जाता है। इसे खुशी और उत्सव का पर्व माना जाता है और इसे वैसाखी ( Vaisakhi ) के नाम से भी जाना जाता है। यह पंजाब और हरियाणा के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, जहां इसे ऊर्जा और जोश के साथ मनाया जाता है।
यह त्योहार भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों और रूपों में मनाया जाता है, जैसे कि पोहेला बोइशाख, पुथंडु, बोहाग बिहु, बैसाखी, महा विष्णु संक्रांति, और उगादी।
बैसाखी का इतिहास ( Vaisakhi Ka Itihaas )
1699 में, गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की। कई किंवदंतियां इस घटना के बारे में हैं, जो बताती हैं कि उनके उपदेशों पर लोगों ने खुद को खालसा में समर्पित किया। पांच लोगों ने अपने आपको समर्पित किया और वे पंच प्यारे कहलाए गए। इस दिन लोग अपनी फसलों को काटते हैं और अपने गुरुओं की पूजा करते हैं।
लोग इस दिन परंपरागत वस्त्र पहनते हैं और अपने परिवार के साथ उत्साह मनाते हैं। वे श्रद्धालु आटे और घी से बने प्रसाद का आनंद लेते हैं। बैसाखी के इस पावन अवसर पर, हम अपने पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं भेजते हैं।
Baisakhi क्यों मनाया जाता है? ( Baisakhi Festival kyu manaya jaata hain )
Also read : Holika Dahan 2024 : कब किया जाएगा होलिका दहन, जानिए तारीख , शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
बैसाखी कहाँ मनाई जाती है? ( Vaisakhi kaha manaya jaata hain )
बैसाखी के रीति रिवाज कौन-कौन से हैं? ( Baisakhi Ke Reeti Rivaaj
kaun-kaun se hain )
बैसाखी ( Baisakhi ) के प्रमुख परंपराओं में नदियों में स्नान, गुरु ग्रंथ साहिब की अराधना, मिठाई-नमकीन बनाना, पतंग उड़ाना, भांगड़ा-गिड़ा नृत्य, और समुदाय की भोजन सहित है।
बैसाखी कैसे मनाई जाती है? ( Baisakhi kaise manaee jaate hain )
बैसाखी के दिन लोग ढोल-नगाड़ों पर नाचते-गाते हैं। गुरुद्वारों को सजाया जाता है, भजन-कीर्तन कराए जाते हैं।
बैसाखी तिथि और समय ( Baisakhi 2024 Date or Timing )
- वैशाखी: शनिवार, 13 अप्रैल 2024
- वैशाखी संक्रांति क्षण: रात्रि 09:15 बजे
- मेष संक्रांति: शनिवार, 13 अप्रैल 2024