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शनि यन्त्र लॉकेट शनि दोषों से पीड़ित जातकों के लिए अत्यंत लाभकारी है। इस यन्त्र में शामिल शनि ग्रह से संबंधित शक्तियां शनि की ढैय्या और साढ़े साती के प्रभावों को कम करने का कार्य करती है। यदि जातक शनि के प्रकोप का सामना कर रहे हैं तो उनके लिए यह लॉकेट बहुत प्रभावकारी है।

 

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शनि दोष कैसे बनता है?

ज्योतिष शास्त्र में शनि दोष को सभी प्रकार के दोषों में सबसे अधिक पीड़ादायक बताया गया है। यदि जातक की कुंडली में शनि दोष का योग है या शनि कुंडली में गलत घर में बैठे हुए हैं तो शनि अपने दुष्प्रभाव दिखाने आरम्भ कर देता है। शनि दोष जीवन को नकारात्मक दिशा में मोड़ देता है। कार्यों में अड़चनें आनी शुरू हो जाती है और जातक का स्वास्थ्य भी साथ नहीं देता। क्योंकि शनि देव सबसे धीमी चाल चलते हैं।

शनि दोष के लक्षण

आइये जानते हैं शनि ग्रह खराब होने पर क्या होता है :

1. समय से पहले आँखें कमजोर होना।
2. कम उम्र में बाल अत्यधिक झड़ना।
3. सर में अधिक दर्द रहना।
4. नास्तिक होना या भगवान का हर बात में मजाक बनाना
5. अपने से बड़े-बुजुर्गों का अपमान करना।
6. चोरी करना, जुआ खेलना और सट्टे लगाना।
7. मस्तिष्क में सदैव द्वन्द रहना।
8. जरूरत से ज्यादा आलसी और चालाक होना।

शनि ग्रह को कैसे शांत करें?

आइये जानते हैं शनि के प्रकोप से बचने के लिए क्या करें :

1. शनि दोष से शीघ्र निवारण के लिए शनिदेव की अलौकिक शक्तियों से लैस Shani Yantra Locket को धारण करें।

2. स्नान करके मंदिर जाये और पश्चिम दिशा में सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

3. शनि चालीसा का पाठ करें और हाथ जोड़कर ध्यान लगाकर प्रार्थना करें।

4. शनिवार के दिन काली वस्तु का दान करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।

5. शनिवार के दिन लोहे चीजों को न खरीदें।

6. शनिवार को शनिवार के रत्न नीलम को धारण करें परंतु ध्यान रहे कि इस को धारण करने से पहले किसी ज्योतिषी से सलाह मशविरा अवश्य कर ले।

7. पीपल के वृक्ष की उपासना करे व उसकी परिक्रमा लगाएं इस से शनिदेव शांत होते है।

8. माना जाता है कि शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से शनि दोष का निवारण होता है।

शनि दोष हटाने के लिए क्या करना चाहिए?

शनि दोष से शीघ्र निवारण के लिए Shani Yantra Locket को धारण करें। साथ ही नियमित रूप से हर शनिवार शनिदेव की उपासना करें।

शनि ग्रह से कौन सी बीमारी होती है?

शनि दोष लगने पर जातक के नर्वस सिस्टम पर बुरा प्रभाव पड़ता है। मानसिक रोग, साइटिका, नसों में ऑक्सीजन की कमी, हड्डियों से संबंधित बीमारियां होती है।

शनि कब खराब होता है?

शनि देव न्याय के देवता माने जाते हैं, जब जातक के मन में चोर आ जाये और वह अपने सत्कर्मों से भटक कर बुराई के मार्ग पर चलने लगे तो शनि कुंडली में अपने अशुभ प्रभाव दिखाने शुरू कर देता है।

शनि मजबूत कब होता है?

शनिवार के दिन व्रत का पालन करने और दान-पुण्य करने से शनि मजबूत स्थिति में आने लगता है। जब व्यक्ति अपने भटके मार्ग से सही रास्ते पर आने लगे तो शनि देव प्रसन्न होते हैं और अपने प्रकोप को कम कर देते हैं।

कुंडली में शनि का घर कौन सा होता है?

कुंडली में शनि देव षष्टम, अष्टम और दशम स्थान पर विराजमान रहते हैं। इस प्रकार छठा, आठवां और दसवां घर शनि का है।

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