गुरु दोष क्या होता है?
जब जातक की कुंडली में दूसरे, पांचवें, नौंवें और बाहरवें भाव में बृहस्पति के शत्रु ग्रह हो तो वह अशुभ देने लगता है और गुरु दोष कहलाता है। इस समय बृहस्पति मंदा हो जाता है। गुरु दोष से व्यक्ति के विवाह में दिक्क्तें आने लगती है और वैवाहिक सुख भोग रहे जातकों के जीवन में उतार चढ़ाव आने शुरू हो जाते हैं।
बृहस्पति खराब होने के क्या लक्षण है?
1. शिक्षा पाने में तरह-तरह की बाधाएं आना।
2. अत्यधिक कल्पनाशील होना।
3. अच्छे गुरु या मार्गदर्शक का न मिलना।
4. नैतिकता और आदर्शों के मूल्यों में कमी आना।
5. अपने ज्ञान का अहंकार करने लगना।
6. निर्णय लेने की क्षमता में कमी आना।
7. ईश्वर के प्रति विश्वास कम होना।
8. घर में रखा सोना खो जाना, गिरवी रखने की नौबत आना।
9. मान-सम्मान की हानि।
बृहस्पति तेज होने से क्या होता है?
जिन जातकों की कुंडली में बृहस्पति तेज होता है उनके चेहरे पर एक अलग ही चमक और तेज दिखाई देता है। वे अपने ज्ञान के बल पर संसार में कुछ भी कर गुजरने की क्षमता रखते हैं। समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा इन्हें खूब हासिल होती है। जातक प्रतिभावान और मिलनसार प्रवृति का होता है।
बृहस्पति कमजोर हो तो क्या करना चाहिए?
आइये जानते हैं गुरु को कैसे खुश करें :
1. यदि जातक की कुंडली में गुरु नीच फल दे रहा हो तो इस दोष से शीघ्र मुक्ति पाने के लिए Guru Yantra Locket को धारण करें।
2. गुरूवार के दिन व्रत का पालन कर बृहस्पति देव की उपासना करें।
3. इस दिन पीले वस्त्र धारण करने से बृहस्पति देव प्रसन्न होते हैं।
4. गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है इस दिन उनकी पूजा-पाठ करने से कमजोर बृहस्पति की स्थिति ठीक होने लगती है।
5. गुरूवार के दिन पीली वस्तुओं और पीले वस्त्र का दान करें।
6. जिनकी कुंडली में गुरु कमजोर है उन्हें प्रतिदिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए।
7. सफ़ेद फूल, चमेली के फूल, गूलर, दमयंती, मुलहठी और शहद के मिश्रित जल से स्नान करें। ऐसा करने से गुरु शुभ प्रभाव में वृद्धि होने लगती है।
8. जल में हल्दी मिलाकर सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए।
गुरु की पूजा कैसे करनी चाहिए?
1. गुरूवार के दिन प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें।
2. इसके बाद बृहस्पतिदेव का पूजन पीले पुष्प, पीले वस्त्र, पीले मिष्ठान के साथ करें।
3. घी का दीपक और धूप जलाकर आसन पर बैठ जाएँ।
4. अब नीचे दिए गए गुरु के बीज मंत्र का 108 बार जाप करें।
5. गुरु बीज मंत्र : ”ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।”
गुरु का बीज मंत्र क्या है?
गुरु बीज मंत्र : ”ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।”
गुरु ग्रह से कौन कौन सी बीमारी होती है?
स्मृतिहीनता, दंतरोग, अंतड़ियों का बुखार, कान का दर्द, पीलिया, लीवर की बीमारी, चक्कर आना, अनिद्रा, शोक आदि शारीरिक कष्ट-कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है।
गुरु मंत्र का जाप कब करना चाहिए?
गुरु मंत्र का जाप गुरूवार के दिन ब्रह्मुहुर्त में करें तो इसके शुभ प्रभाव देखने को मिलेंगे।
गुरु किसका कारक है?
गुरु जिसके नाम से ही हमें इसका अर्थ समझ में आ जाता है वह जो मार्गदर्शन करता है। पथ में मुश्किलों के बीच हमें रास्ता दिखलाता है। गुरु विशेष रूप से आध्यात्मिकता, ज्योतिषों, लेखकों, दार्शनिकों का कारक माना जाता है।
गुरु ग्रह के देवता कौन है?
ज्योतिष के अनुसार गुरु ग्रह के देवता महर्षि बृहस्पति और भगवान दत्तात्रेय हैं जबकि लाल किताब के अनुसार भगवान ब्रह्मा इनके देवता हैं।
गुरु ग्रह का स्वामी कौन है?
नवग्रहों में से एक गुरु ग्रह के स्वामी बृहस्पति देव माने जाते हैं। इन्हें देवगुरु, चुरा आदि नामों से भी जाता है, कहते हैं बृहस्पति किसी भी अन्य ग्रह से शुभ होता है और सकरात्मक परिणाम प्रदान करता है।