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    बुध यंत्र लॉकेट में बुध ग्रह से जुड़ी शक्तियां हैं जो व्यक्ति को रोगों और बुरे संकटों से रक्षा प्रदान करती है। ऐसा कहा जाता है कि यदि आपकी कुंडली में बुध की स्थिति सही है तो सब कुछ सही दिशा में कार्य करता है। बिगड़े काम बनने लगते हैं और रोगों से सरंक्षण होता रहता है। अगर बुध आपकी कुंडली में बुरे प्रभाव देने लगा तो आपके जीवन में बड़ी-बड़ी मुसीबतें आने लगती हैं। ऐसे में बुध यन्त्र लॉकेट इन सभी समस्याओं के निवारण के रूप में सामने आता है।

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    बुध दोष क्या होता है?

    जब जातक की कुंडली में बुध नीच अवस्था में आकर अपने अशुभ फल देने लगे तो बुध दोष की स्थिति उत्पन्न होती है। ऐसे बहुत से लक्षण हैं जिनपर गौर पर यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति पर बुध दोष लगा हुआ है।

    बुध दोष के लक्षण :

    आइये जानते हैं जब बुध कमजोर होता है तो क्या होता है :

    1. दांत कमजोर होना,
    2. सूंघने की क्षमता कम होना
    3. बात करते समय हकलाना
    4. बौद्धिक क्षमता क्षीण होना
    5. शारीरिक सुंदरता और आकर्षण में कमी
    6. त्वचा संबंधी रोग होना
    7. गुप्त रोग होना

    बुध कमजोर हो तो क्या करना चाहिए?

    बुध कमजोर स्थिति में हो तो जातक को इसके दुष्प्रभावों को शीघ्र खत्म करने के लिए बुध की अलौकिक शक्तियों वाले Budh Yantra Locket को धारण करना चाहिए। हर बुधवार व्रत का पालन करना चाहिए और नियमित रूप से बुध देव, दुर्गा माँ और भगवान विष्णु की उपासना करनी चाहिए। बुध सभी ग्रहों के राजकुमार हैं। बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा करने और उन्हनें दूर्वा चढ़ाने से भी लाभ होता है।

    बुध ग्रह की पूजा कैसे की जाती है?

    1. बुधवार के दिन प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लें।

    2. बता दें बुधवार का व्रत 17, 21 और 45 बुधवार तक करना चाहिए।

    3. इस दिन हरे रंग के वस्त्र धारण करें।

    4. बुध देव को मूंग का हलवा, मूंग के लड्डू और पंजीरी भोग में अर्पित करें।

    5. बुध के बीज मंत्र : ”ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” का 11, 21 या 108 बार जाप करें।

    बुध के देवता कौन है?

    बुध के अधिदेवता भगवान विष्णु माने जाते हैं इसलिए जिन जातकों की कुंडली में बुध दोष हो उन्हें भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।

    बुध ग्रह किसका पुत्र है?

    बुध चंद्र और तारा के पुत्र हैं। इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। चन्द्रमा के देवगुरु बृहस्पति की पत्नी तारा चन्द्रमा की सुंदरता को देख मोहित हो गई। यह आकर्षण इतना अधिक था कि वे अपने पति बृहस्पति को छोड़ चन्द्रमा के साथ चली गईं। इसके परिणामस्वरूप चंद्र और उनके गुरु बृहस्पति के बीच एक भयानक युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य चन्द्र के साथ हो गए और सभी देवता बृहस्पति के साथ। भीषण युद्ध की स्थिति देख ब्रह्मा जी डरने लगे और उन्होंने इस युद्ध को रुकवाने के लिए तारा को मानकर बृहस्पति के पास भेज दिया। इसके बाद तारा को एक पुत्र हुआ जिसका नाम बुध रखा गया। पहले तो तारा ने यह सत्य उजागर नहीं किया कि बुध किसका पुत्र है पर अंत में आकर तारा ने यह स्वीकार ही लिया कि बुध चंद्र और तारा के पुत्र हैं।

    बुध ग्रह का मित्र कौन है?

    नवग्रहों में शुक्र और सूर्य ग्रह बुध के मित्र ग्रह माने जाते हैं जबकि मंगल और चंद्रमा इसके शत्रु ग्रहों में शामिल हैं।

    बुध का मंत्र कौन सा है?

    बुध का मंत्र : ”ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः”

    बुध ग्रह से कौन सी बीमारी होती है?

    जातक की कुंडली में बुध अशुभ स्थिति में है तो व्यक्ति को फेफड़ों से जुड़ी बीमारी, श्वांस से जुड़ी बीमारी, हकलाना, दृष्टिहीन होना, गूंगा-बहरा होने की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

    बुध ग्रह का जप कितना होता है?

    बुध दोष से मुक्ति पाने के लिए और उन्हें प्रसन्न करने के लिए बुध बीज मंत्र की जप संख्या 9000 होनी चाहिए। तभी इसके शुभ फल आपको मिलेंगे।

    बुधवार के दिन कौन से भगवान की पूजा की जाती है?

    बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है, इस दिन गणेश जी पूजा करने से भगवान गणेश के साथ ही बुध देव भी प्रसन्न होते हैं।