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    Original Neelam Ring Online

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    नीलम रत्न क्या है ?
    नीलम एक ऐसा कीमती रत्न है जो रंक को राजा बनाने की अद्भुत क्षमता रखता हैं। नीलम शनि ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है, जो काफी प्रभावशाली माना जाता है.
    रत्नशास्त्र के अनुसार नीलम शनि का मुख्य रत्न है. इस रत्न का रंग नीला होने के कारण इसको नीलम कहा जाता है. शनि ग्रह को संतुलित करने एवं शुभ लाभ
    प्राप्त करने के लिए नीलम रत्न को धारण किया जाता है.
    नीलम को संस्कृत में इन्द्रजीत मणि, फारसी में नीलाबिल, याकूत और अंग्रेजी में सेफायर दुरग्यूज के नाम से जाना जाता है।

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    नीलम रत्न किसे पहनना चाहिए ?
    शनि की राशि कुम्भ और मकर राशि वालो को नीलम पहनना चाहिए।
    कुंडली में शनि कमजोर होने पर भी आप नीलम पहन शक्ति है।
    शनि चौथे , पांचवे ,दसवे ,ग्यारहवे भाव में हो तो ऐसे में ज्योतिष से सलाह ले कर नीलम पहने।
    शनि का जिस जातक पर बुरा प्रभाव रहे उसे नीलम धरण करना चाहिए।

    असली नीलम रतन की पहचान
    असली नीलम रत्न नीले रंग का, पारदर्शक, चमकने वाला, छूने में मुलायम और इसके अंदर किरणें यानी धारियां निकलती प्रतीत होती हैं। अगर नीलम असली है तो इसे दूध
    के बर्तन में रखने के बाद दूध का रंग नीला दिखाई देने लगता है। इस रत्न को पानी के गिलास में रखने के बाद पानी में से किरणें निकलती दिखाई देती हैं।

    नीलम रत्न कहा पाया जाता है ?
    यह रत्न महानदी, हिमालय, जम्मू-कश्मीर, श्रीलंका, थाईलैंड, बर्मा, बैंकाक, आस्टे्रलिया, रोडेशिया, मोनटाना, जावा और ब्रह्मपुत्र में पाया जाता है। चिकना, चमकदार, साफ रंग
    वाला नीलम उत्तम माना जाता है। दूध के बीच असली नीलम रखने से दूध का रंग नीला दिखाई देने लगता है।

    नीलम रतन धारण करने के लाभ।
    नीलम रत्न धारणकर्ता के ऊपर शनि देव की कृपा बनी रहती है व उनके बुरे प्रभाव से बचा रहता हैं।
    रत्न शास्त्रों के अनुसार नीलम धारण करने वालों की सुरक्षा देवी – देवता स्वयं करते हैं।
    माणिक एवं हीरे रत्नों के राजा कहलाते हैं।
    इस रत्‍न को पहनने से व्‍यक्‍ति के मन से लालच और बेईमानी दूर होती है।
    ज्‍योतिषशास्‍त्र के अनुसार नीलम रतन पहनने से बुरी शक्‍तियों और काला जादू से सुरक्षा मिलती है।
    सामाजिक, व्‍यावसायिक और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है और मनचाहे परिणाम मिलते हैं।
    शनि की दशा के दौरान जातक को नीलम रत्‍न से अभूतपूर्व लाभ मिलते हैं। यदि आप के ऊपर शनि की दशा या महादशा चल रही है तो नीलम रतन को धारण करें।
    बुरी नजर से दूर रहने के लिए भी इस रत्‍न को पहना जाता है।

    नीलम रत्न कैसे धारण करे।
    नीलम रत्‍न को चांदी या पंचधातु में पहन सकते हैं। इस रत्‍न को कृष्‍ण पक्ष के या किसी भी शनिवार के दिन धारण कर सकते हैं। शनिवार के दिन सुबह जल्‍दी उठें और
    स्‍नान कर घर के पूजन स्‍थल में साफ आसन पर बैठ जाएं। अब एक तांबे का बर्तन लें और उसमें गंगाजल, तुलसी की पत्तियां, गाय का कच्‍चा दूध,
    शहद और घी डालें। इसके बाद 108 बार ‘ऊं शं शनैश्‍चराय नम:’ का जाप करें और नीलम रत्‍न को धारण कर लें। शनि के गोचर के दौरान भी इस रत्‍न को पहना जा सकता है।

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