आमलकी एकादशी | Amalaki Ekadashi
आमलकी एकादशी हिन्दू धर्म में अन्य एकादशियों की तुलना में अत्यंत महत्वपूर्ण है। आमलकी एकादशी ( Amalaki Ekadashi 2024 ) को फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में आने वाले पुष्य नक्षत्र में मनाया जाता है। आमलकी का अर्थ होता है ‘आंवला’। इस व्रत में आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है, जिसे शास्त्रों में भगवान के वास के समान माना जाता है। भगवान विष्णु ने आंवले के पेड़ को सृष्टि के समय जन्म दिया था, और उसे स्वर्ग और मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की आराधना की जाती है और उपवास किया जाता है।
आमलकी एकादशी का व्रत ( Amalaki Ekadashi Vrat ) करने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और भगवान विष्णु की कृपा सदैव बनी रहती है। भारत में आवंले के पेड़ को आमलकी भी कहा जाता है, और इस पेड़ के नीचे विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। आमलकी एकादशी के व्रत से व्रती को स्वास्थ्य, धन, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
आमलकी एकादशी का महत्व ( Amalaki Ekadashi ka Mahatv )
हिन्दू पंचांग के अनुसार, आमलकी एकादशी ( Amalaki Ekadashi 2024 ) के दिन का महत्व होली जैसे प्रमुख त्यौहारों की तुलना में भी अधिक होता है। इस दिन भगवान को आमला के पेड़ के रूप में पूजा जाता है, जो हिन्दू धर्म के प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्वों में से एक है। आमलकी एकादशी को उपवास करने से माना जाता है कि सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अन्यत्र, हिन्दू परंपरा के अनुसार, देवी लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है, और आमलकी एकादशी ( Amalaki Ekadashi ) के दिन उसकी पूजा से धन की प्राप्ति होती है।
इसके अलावा, इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है क्योंकि कहा जाता है कि भगवान कृष्ण अपनी प्रेमिका राधा से आमले के पेड़ के पास मिलने जाते थे। जो भी आमले के पेड़ से प्रार्थना करते हैं, उनकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है। आमले का पेड़ स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है और इससे विभिन्न प्रकार की औषधियाँ तैयार की जाती हैं, जो विटामिन सी का स्रोत होती हैं।
आमलकी एकादशी के व्रत की पूजन विधि
आमलकी एकादशी का व्रत अपने आप में बहुत फलदायी होता है। इस व्रत के पहले दिन व्रती को दशमी की रात्रि में एकादशी व्रत ( Ekadashi Vrat ) के साथ भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए सोना चाहिए। अगले दिन, यानी आमलकी एकादशी के दिन, सुबह स्नान करके भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष हाथ में तिल, कुश, मुद्रा और जल लेकर संकल्प करना चाहिए कि मैं भगवान विष्णु की प्रसन्नता एवं मोक्ष की कामना से आमलकी एकादशी का व्रत रखता/रखती हूं। उसके बाद, भगवान की पूजा के पश्चात, पूजन सामग्री लेकर आंवले के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए।
इसके लिए, सबसे पहले वृक्ष के चारों ओर की भूमि को साफ करें और उसे गाय के गोबर से पवित्र करें। फिर, पेड़ की जड़ में एक वेदी बनाकर उस पर कलश स्थापित करें। इस कलश में देवताओं, तीर्थों एवं सागर को आमंत्रित करें और उसमें सुगंधी और पंच रत्न रखें। फिर, कलश पर श्रीखंड चंदन का लेप करें और वस्त्र पहनाएं। अंत में, कलश के ऊपर श्री विष्णु के छठे अवतार परशुराम की मूर्ति स्थापित करें और विधिवत रूप से परशुरामजी की पूजा करें। रात्रि में भगवत कथा व भजन-कीर्तन करते हुए प्रभु का स्मरण करें। द्वादशी के दिन सुबह ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें और परशुराम की मूर्ति सहित कलश ब्राह्मण को भेंट करें। इन क्रियाओं के पश्चात, उपवास खोल कर अन्न जल ग्रहण करें।
आमला एकादशी कब है 2024? ( Amla Ekadashi kab hain 2024 )
आंवला एकादशी में क्या खाना चाहिए? ( Amla Ekadashi mein kya khaana chahiye )
आंवला एकादशी के दिन क्या करना चाहिए? ( Amla Ekadashi ke din kya karana chahiye )
आंवला एकादशी की पूजा कैसे होती है? ( Amla Ekadashi Ki Pooja kaise hote hain )
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद स्नान आदि कार्यों से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की पूजा करें।
- पूजा में विष्णु सहस्रनाम का पाठ जरूर करें।
- आमलकी एकादशी की व्रत कथा पढ़ें या सुनें।