अहोई अष्टमी एक ऐसा पर्व जिस दिन करोड़ो महिलाएं अपनी संतान के लिए निर्जला व्रत रखती है। लेकिन जिन महिलाओं को संतान की प्राप्ति नहीं हो पाती उन महिलाओं के लिए भी ये पर्व बेहद खास है। इस पर्व के मौके पर संतान प्राप्ति के लिए हजारों जोड़े वृन्दावन पहुंचते है और राधा कुण्ड में स्नान करते है। कहा जाता है की ये कुंड द्वापरयुग में खुद राधा रानी द्वारा बनाया गया था। लेकिन राधा रानी द्वारा बनाया गया ये कुंड इतना खास क्यों है और अहोई अष्टमी के पर्व का वृन्दावन में मौजूद इस कुंड से क्या सम्बन्ध है ? Ahoi Ashtami और Radha kund
वृन्दावन में मौजूद राधा कुंड नाम से प्रसिद्ध इस कुंड का जिक्र पद्म पुराण समेत कई दूसरे धर्म ग्रंथो में देखने को मिलता है। हिन्दुओं की एक पवित्र धार्मिक स्थल होने के साथ साथ ये कुंड इतना रहस्यमई है की इसका रहस्य आज तक वैज्ञानिक भी नहीं खोज पाएं। लेकिन पुराणों में इस कुंड को लेकर एक पौराणिक कथा बेहद प्रचलित है।
Radha kund | राधा कुंड से जुडी पौराणिक कथा
पद्म पुराण में इस कुंड के बारे में बताया गया है की जब श्री कृष्ण को मारने के लिए कंस ने अरिष्टासुर नाम के राक्षस को वृन्दावन भेजा तो अरिष्टासुर ने गौवंश का रूप धारण कर लिया और गौवंश के बीच शामिल होकर श्रीकृष्ण को मारने का इंतजार करने लगा। लेकिन श्री कृष्ण ने गौवंश के रूप में छिपे उस राक्षस को पहचान लिया और समय रहते उसका उसका वध कर दिया।
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लेकिन अरिष्टासुर का वध करने के पश्चात जब श्री कृष्ण राधा जी से मिलने पहुंचे तो उन्होंने श्री कृष्ण से कहा की उन्होंने एक गौवंश की हत्या की है और जबतक वे सभी तीर्थो में स्नान नहीं करेंगे तब तक वे गौवंश की हत्या के पाप से मुक्त नहीं हो पाएंगे। राधा जी (Radha ji) की ये बात सुनकर श्री कृष्ण (Shri Krishna)ने अपनी एड़ी जमीन पर मारी और एक विशाल कुंड बना दिया जिसके बाद श्री कृष्ण ने पृथ्वी पर मौजूद सभी तीर्थो का आह्वान किया और फिर सभी तीर्थ प्रकट हुए और निर्मल जलधारा के रूप में इस कुंड में समां गए। इस कुंड को कृष्ण कुंड कहा जाता है। इसके बाद श्री कृष्ण ने इस कुंड में स्नान किया और फिर राधा जी से मिलने पहुंचे।
श्री कृष्ण द्वारा किए गए इस चमत्कार से राधा जी बेहद प्रभावित हुई। इसलिए उन्होंने भी अपनी सखियों के साथ मिलकर अपने कंगन से एक कुंड बनाने का फैसला किया। राधा जी द्वारा बनाया गया ये कुंड श्री कृष्ण द्वारा बनाएं गए कुंड से भी कई गुना ज्यादा सुन्दर था। कहा जाता है की इस कुंड में स्नान करने के पश्चात जब राधा जी श्री कृष्ण से मिलने पहुंची तो उन्होंने राधा जी को कई वरदान दिए। जिसमे से एक वरदान ये भी था की राधा जी द्वारा बनाया गया ये कुंड सृष्टि के अंत तक कभी सूखा नहीं रहेगा। साथ ही श्री कृष्ण ने राधा जी (Radja ji ) को एक वरदान ये भी दिया था की इस कुंड में स्नान करने वाले जोड़ें को मनचाही संतान की प्राप्ति होगी।
Ahoi Ashtami |अहोई अष्टमी के पर्व पर राधा कुंड का क्या महत्व है ?
कहा जाता है की जिस दिन श्री कृष्ण ने राधा जी को ये वरदान दिया था उस दिन भी अहोई अष्टमी का ही पर्व था। जिसके चलते अहोई अष्टमी के मौके पर आज भी हजारों जोड़े संतान प्राप्ति की इच्छा लेकर इस कुंड में स्नान करने के लिए वृन्दावन पहुंचते है और आधी रात को ठीक 12 बजे कुंड में स्नान करते है। इस कुंड की मान्यता कई गुना इसलिए भी बढ़ जाती है क्यूंकि इस कुंड में स्नान करने वाले हजारों दंपतियों की मनोकामना पूरी हो चुकी है। वही इस कुंड को लेकर एक मान्यता ये भी है की कार्तिक माह के पुष्य नक्षत्र में आज भी श्री कृष्ण और राधा रानी (Radha Rani) इस कुंड में महारास रचाने के लिए प्रकट होते होते है। radha kund snan
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राधा कुंड स्नान | Radha Kund Snan Ahoi Ashtami
अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड स्नान का अनुष्ठान करना बेहद शुभ और फायदेमंद माना जाता है। पर्यवेक्षक पवित्र राधा कुंड को कद्दू, माला और प्रसाद चढ़ाते हैं। मध्यरात्रि के समय, भक्त कुंड में गोता लगाते हैं या स्नान करते हैं और उसके बाद श्याम कुंड में स्नान करते हैं।
– इस पूजा की शुरुआत अहोई अष्टमी वाले दिन होती है।
– उस दिन रात को श्री राधा कुंड के पास दीया जलाया जाता है।
– और राधा रानी को याद किया जाता है।
– राधा रानी की पूजा करके उनको प्रणाम करें
– उसके बाद अपनी इच्छा राधा रानी के सामने रखकर प्रार्थना करें।
– आप अपने मन में राधा रानी के लिए सच्ची भावना रखें।
– यह सब होने के बाद आप ठीक 12 बजे अपने साथी के साथ राधा कुंड में स्नान करें।
– स्नान करने के बाद सीताफल दान करें।
राधा कुंड इतना प्रसिद्ध क्यों है?
क्या राधा कुंड और कुसुम सरोवर एक ही हैं?
राधा कुंड कहां पर है
राधा कुंड की महिमा
सदियों पुराने इस कुंड के रहस्य और इससे जुडी श्री कृष्ण और राधा रानी की इस पौराणिक कथा को लेकर आपका क्या मानना है हमे कमेंट में जरूर बताएं।