Ramayana एक महत्वपूर्ण कहानी का एक नजदीकी अध्ययन”
Ramayana वही रामायण जिसे, वाल्मीकि द्वारा रचित की संस्कृत महाकाव्य हैं, जिसमें श्रीराम की गाथा है। Ramayana के बारेमे तो हम मे से हर कोई जनता हैं। आखिर कैसे रावण ने किया था सीता का अपहरण; फिर राम और लक्ष्मण ने कैसे बचाया था सीता को रावण का वध करके।”बीच जंगल मे कहा से आ गई मूर्ति-Ramayana” {1}
इस सांस्कृतिक पौराणिक कथा के बारे न जाने कबसे सुनते आ रहे हैं; अब तक के इस समय मे हमे न जाने कितने रामायण के सच होने के सबूत मिले हैं। यही Ramayana हमारे इतिहास और सांस्कृतिक को दर्शाती हैं और आज हम रामायण के एक एसे हिस्से की बात कर रहे हैं। जिसे त्रेतायुग से जोड़ा जाता हैं; और यह एक Ramayana काल से जुड़ी अनदेखी निशानी भी हैं जिसे आज के समय मे बहुत ही कम लोग हैं जो इस विषय को जानते हैं। तो आईये आज की इस विडिओ शुरू करते हैं और जानते हैं रामायण काल से जुड़ी शेष शैया प्रतिमा के बारे मे।
मध्य प्रदेश के जबलपुर के बँधावगढ़ के जंगलों के काफी अंदर के पहाड़ों पर एक भगवान विष्णु की प्रतिमा हैं, जिसे अक्सर लोग जंगल सफारी से देखने आते हैं। और प्रतिमा भी अपने आप मे काफी विशाल प्रतिमा हैं जिसकी लंबाई 130 फीट हैं। और यह प्रतिमा शेषनाग के ऊपर लेटी हुई हैं, जिसके कारण इस प्रतिमा का नाम शेष शैया पड़ा। यह विष्णु जी की प्रतिमा अपने आप मे बहुत सुंदर प्रतिमा हैं, जितनी सुंदरता उतनी ही पहेलिया भी उलजहाये रखती हैं।
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ग्रंथों के मुताबिक यह प्रतिमा भगवान राम ने बनाई थी, जहा भगवान राम और लक्ष्मण अक्सर पूजा करने जाया करते थे। विशु जी की प्रतिमा के ऊपरी तरफ एक शिव लिंग भी बनी हुई हैं।
लेकिन कुछ कहानियों के मुताबिक यह प्रतिमा रीवा रियासत के महाराज व्याघ्रदेव ने इसका निर्माण आज से दो हजार साल पहले करवाया था। अब इसके इतिहास मे कितनी सच्चाई हैं यह तो कह पाना मुश्किल हैं।
वैसे और भी कुछ किस्से कहानियों के मुताबिक इस पूरे जंगल मे 12 प्रतिमा हैं जिसमे से सिर्फ अभी 2 ही प्रतिमा मिली हैं भगवान विष्णु की शेष शैया प्रतिमा और भगवान शिव की शिव लिंग हैं और;
इसी पहाड़ की चोटी के सबसे ऊपर एक किला हैं पुराणिक कथाओ के मुताबिक जिसे भगवान राम ने बनाया था और इसकी सुरक्षा की डोर भगवान राम ने अपने प्रिय भाई लक्ष्मण को दी थी। और दूसरी तरफ कुछ किताबों का यह मानना हैं की यह किला भी, रीवा रियासत के महाराज व्याघ्रदेव ने इसका निर्माण आज से दो हजार साल पहले ही विष्णु जी की प्रतिमा के साथ ही बनवाया था। आज के समय मे उस किले तक पहुचना किसी के लिए संभव नहीं हैं और न ही किसी को वहा जाने की अनुमति हैं, क्यूंकी उस किले की रक्षा जंगलों मे रहने वाले बाघ करते हैं साथ ही और जंगल का पूरा हिस्सा टाइगर रिजर्व कोर मे आता हैं। और जहा तक विष्णु जी प्रतिमा के दर्शन की बात आती हैं वह तो बस जंगल सफारी से ही मुमकिन हैं।
“प्रतिमाओं के रहस्य: भगवान राम के आदर्श और इतिहास के बीच की कथाएं”
अगर पौराणिक कथाओ के पढे तो यह जंगल पहले अपने आप मे एक बहुत बड़ी राजधानी हुआ करती थी जो अपने अंदर कई गाव को रखती थी, भगवान राम के साथ साथ गाव के लोग भी इन प्रतिमा की पूजा करा करते थे और विष्णु जी की प्रतिमा के चरणों से चरणगंगा नदी का उद्गम भी होता है, इसे चरण गंगा इसलिए भी कहा जाता हैं
क्युकी विष्णु जी की प्रतिमा के चरण के पास से नदी बहती हैं, और जो पहले वह नदी आगे चलकर एक गंगा का रूप ले लेती थी, जो आज के समय मे जंगल मे रहने वाले पशु पक्षियों व अन्य जानवरों की प्यास भुजने का काम करती हैं। यहा के अब तक खोजे हुए कुंड मे कभी पानी खत्म नहीं होता, हर मौसम में इनमें लबालब पानी भरा रहता है।
वैसे यह प्रतिमा अपने रूप के साथ साथ अपने रंग से भी जानी जाती हैं, जी हाँ यह मूर्ति अपने रंग से इसलिए जानी जाती हैं, क्यूंकी यह मौसम के साथ रंग बदलती है। शेष शैया पर विराजमान भगवान विष्णु की प्रतिमा बारिश में हरियाली में डूबी नजर आती है तो सर्दियों में यह प्रतिमा आकाशीय नीला रंग ले लेती है। जबकि गर्मी में यह प्रतिमा लालिमा लाल रंग धारण कर लेती है। दरअसल ऐसा प्रकृति के प्रभाव से होता है। बारिश में काई के कारण प्रतिमा हरे रंग में परिवर्तित हो जाती है, जबकि लाल पत्थर से बने होने के कारण गर्मियों में इसे लालिमा रंग मे देखा जाता है।
तो यह थी हमारे विष्णु जी की शेष शैया प्रतिमा की जानकारी, आपको यह पोस्ट कैसी लगी हमे कमेन्ट मे जरूर बताए, साथ ही अपने परिजनों के साथ शेयर करे।