रामायण में जिसका वर्णन एक शक्तिशाली राक्षस,पराक्रमी योद्धा और मायावी असुर के रूप में किया गया है।
जो दशानन रावण से भी अधिक बलशाली था तथा उसे मारना लगभग असंभव के समान था।
उस राक्षस का जन्म जिस नक्षत्र योग में हुआ था,उस योग में आज तक किसी भी प्राणी का जन्म नहीं हुआ।
राम की वानर सेना का कोई भी योद्धा,उस राक्षस को नहीं मार सकता था। स्वयं श्री राम भी उस राक्षस को नहीं मार सकते थे।
तो आखिर कौन था वो,रामायण का सबसे शक्तिशाली योद्धा? जिसके सामने स्वयं श्री राम भी विवश थे।
लंकापती रावण स्वयं त्रिलोक विजेता था तथा उसने देवताओं तक को परास्त किया था।
रावण चाहता था की उसकी संतान भी उसी की हीं तरह पराक्रमी हो। इसलिए मेघनाद जब अपनी माता के गर्भ में आया,तो रावण ने उसके जन्म से पहले हीं तैयारियां शुरू कर दी थीं।
जब मेघनाद का जन्म हो तब सारे ग्रह शुभ योग में रहे,इसलिए रावण ने सभी ग्रहों को पराजित कर अपना दास बना लिया।
शनिदेव जानते थे कि अगर मेघनाद के जन्म के समय ग्रहों का यही शुभ योग रहा,तो मेघनाद भी रावण की हीं तरह एक अजर अमर योद्धा बन जाएगा।
नक्षत्रों के इस शुभ योग का असर मेघनाद के व्यक्तित्व पर पड़ा और वो रावण से भी अधिक मायावी निकला।