देवासुर संग्राम के समय रावण ने असुरों का साथ देते हुए अनेकों देवताओं को पराजित किया।

इस युद्ध में रावण ने देवताओं को हराया, बल्कि उन्हें बंदी बना कर कारागार में भी  डाल ।

एक दिन मौका पाकर सभी देवता रावण के कैद से मुक्त हो गए,उन्होंने सोते हुए रावण को बंदी बनाया और  देवलोक ले जाने लगे।

तभी वहाँ रावण का पुत्र मेघनाद बड़े मायावी तरीके से प्रकट हुआ।

उसने अकेले हीं सभी देवताओं को परास्त कर उनसे अपने पिता को मुख्त करवाया।

इसी युद्ध में मेघनाद ने इंद्रदेव को बंदी बनाया था। 

रावण और मेघनाद इंद्रदेव की बली देना चाहते थे।

तभी वहाँ स्वयं ब्रह्मदेव प्रकट हुए और उन्होंने इंद्रदेव को बचाया। 

मेघनाद ने ब्रह्मदेव की बात मान ली  और ब्रह्मदेव ने प्रसन्न होकर मेघनाद  को इंद्रजीत की उपाधि दे दी।