जब व्यक्ति ईश्वर के किसी भी गुण-स्वरूप की पूजा करता है।

तो उसके प्रति श्रद्धा व्यक्ति के भीतर के आलस को परास्त कर देती है और व्यक्ति की समयबद्धता बनती है।

जब शान्त मन से देवपूजा विधिपूर्वक करते हैं।

तो मन मे शान्ति और सकारात्मकता का संचार होता है। व्यक्ति में धैर्य बढ़ता है।

पूजा में अनुष्ठान, मंत्र और ध्यान शामिल होता है, जो फोकस और एकाग्रता में सुधार करता है।

पूजा में शामिल होने से शांतिपूर्ण वातावरण बनता है, और व्यक्तियों को दैनिक तनाव से अलग होने और सांत्वना मिलती है।

पूजा सांस्कृतिक महत्व रखती है, जिससे  सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं को बनाए रखने और मनाने की अनुमति मिलती है।

पूजा में अक्सर आशीर्वाद और रोजमर्रा की जिंदगी के लिए परमात्मा के प्रति कृतज्ञता की अभिव्यक्ति शामिल होती है।

पूजा अक्सर आत्म-चिंतन, आत्म-सुधार और स्वयं की गहरी समझ को प्रोत्साहित करती है, जिससे व्यक्तिगत विकास और आत्म-जागरूकता होती है।

पूजा प्रेम का चरम रूप है - यह एक प्रकार की निर्विवाद भक्ति है। अगर आप भगवान की पूजा करते हैं तो आप भगवान से इतना प्यार करते हैं।