नवरात्री के चौथे दिन देवी कूष्मांडा की पूजा की जाती है देवी कूष्मांडा का निवास स्थान सूर्यमंडल के बीच में माना जाता है।

पूजा के समय देवी को पीला चंदन ही लगाएं। इसके बाद कुमकुम, मौली, अक्षत चढ़ाएं। 

सुबह जल्दी उठें और साफ और अच्छे कपड़े पहनें।देसी घी का दीया जलाएं, सिन्दूर, पीला रंग चढ़ाएं।

पूजा की विधि

भय,चिंता और घबराहट वाले लोगों को  मां कूष्मांडा की पूजा करनी चाहिए

महत्त्व

नारियल गुलाब की खीर से लेकर स्वादिष्ट आटे का हलवा तक, मां कुष्मांडा भोग लगाया जाता है 

मां कूष्मांडा भोग

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्मांडा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां कूष्मांडा मंत्र

कूष्मांडा देवी की आठ भुजाएं होती है इसलिए इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से जाना जाता है।

चौथा जब नवरात्र हो, कुष्मांडा को ध्याते। जिसने रचा ब्रह्माण्ड यह, पूजन है आध्शक्ति कहते जिन्हें, अष्टभुजी है रूप। इस शक्ति के तेज से कहीं छाव कही धुप॥

मां कुष्मांडा की आरती