नवरात्रि में क्यों खेला जाता है गरबा? बड़ी ही रोचक है इसके पीछे की वजह
गरबा एक पारंपरिक व सांस्कृतिक नृत्य है जिसकी शुरुआत गुजरात से हुई थी तो चलिए जानते हैं नवरात्रि में इस नृत्य का क्या महत्व है...
गरबा शब्द कर्म और दीप से मिलकर बना है। नवरात्रि के पहले दिन मिट्टी के घड़े में बहुत से छेद किए जाते हैं जिसके अंदर एक दीपक प्रज्वलित करके रखा जाता है। इसके साथ चांदी का एक का सिक्का भी रखते हैं। इस दीपक को ही दीप गर्भ कहा जाता है।
दीप गर्भ की स्थापना के पास महिलाएं सुंदर व रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर माता शक्ति के आगे नृत्य कर उन्हें प्रसन्न करती हैं। आपको बता दें कि दीप गर्भ, नारी की सृजन शक्ति का प्रतीक है और गरबा इसी दीप गर्भ का अपभ्रंश रूप है।
गरबा नृत्य कई तरह से और कई चीजों के साथ खेला जाता है। गरबे में महिलाएं एवं पुरुष ताली, चुटकी, डांडिया और मंजीरों का उपयोग करते हैं। ताल से ताल मिलाने के लिए महिलाएं और पुरुषों का दो या फिर चार का ग्रुप बनाकर नृत्य किया जाता है।
गरबा नृत्य, प्रजनन क्षमता का जश्न मनाता है, नारीत्व का सम्मान करता है और मातृ देवियों के सभी नौ रूपों का सम्मान करता है।
गरबा एक पारंपरिक व सांस्कृतिक नृत्य है जो भारत की संस्कृति को दर्शाता है। साथ ही यह नृत्य उत्साह और हर्ष का भी प्रतीक है।