पुराणों में चार युगों के विषय में बताया गया है, सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग।

ऐसा क्या कारण रहा होगा जिसके चलते कलियुग को धरती पर आना पड़ा।

वह ना सिर्फ आया बल्कि यहां आकर यहीं का हो गया तो आखिर क्या रहस्य है कलियुग के धरती पर आगमन के पीछे।

जब धर्मराज युधिष्ठिर अपना पूरा राजपाठ परीक्षित को सौंपकर अन्य पांडवों और द्रौपदी समेत महाप्रयाण हेतु हिमालय की ओर निकल गए थे।

उन दिनों स्वयं धर्म, बैल का रूप लेकर गाय के रूप में बैठी पृथ्वी देवी से सरस्वती नदी के किनारे मिले।

धर्म और पृथ्वी आपस में बात कर ही रहे थे कि इतने में असुर रूपी कलियुग वहां आ पहुंचा और बैल और गाय रूपी धर्म और पृथ्वी को मारने लगा।

राजा परीक्षित ने अपनी तलवार निकाली और कलियुग को मारने के लिए आगे बढ़े। राजा परीक्षित का क्रोध देखकर कलियुग कांपने लगा।

कलियुग भयभीत होकर अपने राजसी वेष को उतार कर राजा परीक्षित के चरणों में गिर गया और क्षमा याचना करने लगा।

राजा परीक्षित ने शरण में आए हुए कलियुग को मारना उचित न समझा और उससे कहा अधर्म, पाप, झूठ, चोरी, कपट, दरिद्रता आदि अनेक उपद्रवों का मूल कारण केवल तू ही है।

परीक्षित की बात को सुनकर कलियुग ने कहा कि पूरी पृथ्वी पर आपका निवास है। पृथ्वी पर ऐसा कोई भी स्थान नहीं है जहां आपका राज्य ना हो ऐसे में मुझे रहने के लिए स्थान प्रदान करें।

तभी से कलयुग आजतक पृथ्वी पर राज कर रहा है।