भगवान जगन्नाथ की जब बात होती है, तो सबसे पहले याद आती है वहां की रथयात्रा की। हिंदू धर्म में बहुत महत्व है हर साल होने वाली इस रथयात्रा का।

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इसके पीछे भी एक रोचक मान्यता है। माना जाता है कि एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने नगर देखने की इच्छा प्रकट की। 

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बहन की इस इच्छा को पूरा करने के लिए भगवान जगन्नाथ और बलभद्र उन्हें रथ पर बैठाकर नगर देखने निकले। इस दौरान वे गुंडिचा स्थित अपनी मौसी के घर भी गए। तभी से हर साल यह रथयात्रा निकल रही है।

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पुरी के भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा में साक्षात श्री कृष्ण का ह्रदय मौजूद है और उसके धड़कने की आवाज आज भी आती है। 

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लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा लकड़ी की होने की वजह से हर 12 साल में बदल दी जाती है और साथ हीं हर 12 साल में उनका ह्रदय भी बदला जाता है।

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ह्रदय बदले समय मंदिर की सुरक्षा बढ़ा दी जाती है और पूरे शहर की बिजली बंद कर दिया जाता है। स्वयं मंदिर के पुजारी भी ह्रदय बदलते समय अपनी आँखों पर पट्टी बाँध लेते हैं।

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ऐसा कहा जाता है कि भगवान का ह्रदय देखने वाले की तुरंत मृत्यु हो जाती है। 

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