बहन की इस इच्छा को पूरा करने के लिए भगवान जगन्नाथ और बलभद्र उन्हें रथ पर बैठाकर नगर देखने निकले। इस दौरान वे गुंडिचा स्थित अपनी मौसी के घर भी गए। तभी से हर साल यह रथयात्रा निकल रही है।
लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा लकड़ी की होने की वजह से हर 12 साल में बदल दी जाती है और साथ हीं हर 12 साल में उनका ह्रदय भी बदला जाता है।
ह्रदय बदले समय मंदिर की सुरक्षा बढ़ा दी जाती है और पूरे शहर की बिजली बंद कर दिया जाता है। स्वयं मंदिर के पुजारी भी ह्रदय बदलते समय अपनी आँखों पर पट्टी बाँध लेते हैं।