गरुड़ पुराण, एक प्रमुख पुराण है जो हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथों में से एक है।
गरुड़ पुराण का नाम भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने इसे किसी राजा को सुनाया था।
यह पुराण भगवान विष्णु के अवतार, धर्म, कर्म, और पाप, के विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तार से बताता है।
जो व्यक्ति को आदर्श जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं।
आलस्य और सुस्ती से दूर रहना चाहिए। इन आदतों से व्यक्ति का समय बर्बाद होता है और उसकी प्रगति रुक जाती है।
गरुड़ पुराण के अनुसार, हिंसा करना और दूसरों को कष्ट पहुंचाना दुराचार है। यह आदत व्यक्ति के कर्मों को दुष्कर्म में बदल सकती है।
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि कृपणता और कन्यादान करने में कट्टरता करना उचित नहीं है। यह आदत दान और सेवा की गुणवत्ता को कम कर सकती है।
गरुड़ पुराण में उल्लिखित है कि चोरी, बलात्कार, अधर्मिक क्रियाएं आदि करने वाले व्यक्ति की आदतों से वह अपराधी बन सकता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार, अशिक्षितता और ज्ञान की कमी से व्यक्ति के जीवन में स्थानीयकरण नहीं हो पाता। यह आदत उसकी समृद्धि और समाज में सहयोग को रोक सकती है।
ये पांच आदतें गरुड़ पुराण में वर्णित हैं जो व्यक्ति को कंगाल बना सकती हैं और उसकी प्रगति को रोक सकती हैं।