ज्वालामुखी देवी के मंदिर को जोता वाली का मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर में 9 अलग-अलग जगहों से ज्वालाएं निकल रही हैं।

ज्वालामुखी मंदिर को खोजने का श्रेय पांडवों को जाता है। इसकी गिनती माता की प्रमुख शक्ति पीठों में होती है। ऐसी मान्यता है कि यहां देवी सती की जीभ गिरी थी।

ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने अपनी तरफ से पूरा जोर लगा दिया कि जमीन के अंदर से निकलती इस ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाए।

लेकिन वे इस भूगर्भ से निकलती इस ज्वाला का पता नहीं कर पाए कि यह आखिर इसके निकलने का कारण क्या है।

वहीं इतिहास अकबर द ग्रेट ने भी इस ज्योत को बुझान की कोशिश की थी लेकिन वो नाकाम रहा था।

यही नहीं पिछले सात दशकों से भूगर्भ विज्ञानी इस क्षेत्र में तंबू गाड़ कर बैठे हैं, वह भी इस ज्वाला की जड़ तक नहीं पहुंच पाए।

यह मंदिर माता के अन्य मंदिरों की तुलना में अनोखा है क्योंकि यहां पर किसी मूर्ति की पूजा नहीं होती है बल्कि पृथ्वी के गर्भ से निकल रही 9 ज्वालाओं की पूजा होती है।