भाई दूज का पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की
द्वितीय तिथि
को मनाया जाता है।
भाई दूज का त्यौहार हर वर्ष दीपावली के दो दिन बाद तीसरे दिन मनाया जाता है।
द्वितीय तिथि को ही यमुना ने यमराज को तिलक भोजन कराया था और वर मांगा था ।
जिसे यमराज ने स्वीकार कर लिया था इसीलिए भाई दूज का त्यौहार हर वर्ष इसी दिन मनाया जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह दिन भाई और बहन दोनों के लिए काफी शुभ दिन माना जाता है।
भाई दूज के दिन शादीशुदा बहनों के द्वारा भाई को अपने घर बुलाकर नहाकर आदर सत्कार और स्नेह के साथ भाई का तिलक कर पूजन करना चाहिए
भाई दूज का त्यौहार पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। हालांकि हर क्षेत्र में इस त्यौहार को अलग अलग तरीके से मनाया जाता है।
उत्तर भारत में बहनें अपने भाई को अक्षत एवं तिलक लगाकर नारियल भेंट करती हैं
पूर्वी भारत में बहने शंखनाद के बाद भाई को तिलक लगाकर भेंट के तौर पर कुछ उपहार देती हैं।
जो बहन पूरी श्रद्धा से अपने भाई को आदर सत्कार के साथ तिलक कर भोजन कराती हैं उन्हें यमराज का भय नहीं रहता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।