संत तुलसीदास ने रामचरण मानस के उत्तरकांग में लिखा है कि काकभुशण्डि परमज्ञानि राम भक्त है।
काकभुशुण्डि जी का प्रथम जन्म अयोध्यापुरी में क्षुद्र के घर हुआ।
वेदों और पुराणों के अनुसार काकभुशुण्डि ने 11 रामायण और 16 महाभारत देखी हैं।
कौए के रूप में अपने एक जन्म के दौरान काकभुशुण्डि की मुलाकात बालक राम से हुई।
कौआ का शरीर पाने पर और भगवान श्री राम का मंत्र मिलने पर उसे अपने कौआ के शरीर से प्यार हो गया,
भगवान राम ने ही काकभुशुण्डि को अमर बनाया था।
संत द्वारा प्राप्त शाश्वत आनंद को "काकभुशुण्डि समय यात्रा" कहा जाता है।